Carlo Acutis: विश्व का पहला मिलेनियल संत

1991 में लन्दन में जन्मे कार्लो एक्यूटिस जिसकी 2006 में 15 वर्ष की उम्र में ल्यूकेमिया से मृत्यु हो गई थी |वह कैथोलिक चर्च का पहला मिलेनियल संत बनने जा रहा है |पोप फ्रांसिस के अनुसार कार्लो एक्यूटिस के चमत्कारों के कारण उसे संत की उपाधि मिलने जा रही है |ईसाई धर्म में संत की उपाधि चमत्कार साबित होने पर ही मिलती है |

कार्लो एक्यूटिस के बारे में-

Carlo Acutis: विश्व का पहला मिलेनियल संत

कार्लो एक्यूटिस का जन्म 1991 में लन्दन में हुआ था |कार्लो एक कंप्यूटर एक्सपर्ट थे |उन्होंने अपनी मृत्यु से पहले चर्च की शिक्षाओं को ऑनलाइन फ़ैलाने के लिये वेबसाइट बनाई |जिसके बाद उन्हें God's influencer के रूप में जाना जाने लगा |कार्लो एक्यूटिस को उनके चमत्कारों के लिये अब संत का दर्जा दिया जायेगा |

ईसाई धर्म में संत का दर्जा किसे दिया जाता है-

संत की उपाधि देने से पहले यह देखा जाता है कि क्या मृत्यु के बाद उस व्यक्ति के नाम पर कोई चमत्कार हुआ है |इस तरह के कम से कम दो चमत्कार होने जरुरी होते है |चमत्कार को उदाहरण के द्वारा समझाएं तो किसी गंभीर रोगी का अचानक ठीक हो जाना चमत्कार माना जा सकता है |यह बीमारी शीघ्र ही तथा स्थायी तौर पर सही होनी चाहिए यानी अगर कोई संत से प्रार्थना करने गया तो उसकी बीमारी तुरंत एक बार में ठीक हो जानी चाहिए साथ ही इसका कोई मेडिकल एक्सप्लेनेशन नहीं होना चाहिए |इसके लिये पहले डॉक्टर जाँच करते है तथा उसके बाद ईसाई धर्म के धर्माधिकारियों  द्वारा जाँच की जाती है |आखिरी चरण में रोमन कैथोलिक चर्च के प्रमुख पोप द्वारा इस महान व्यक्ति को संत की उपाधि दी जाती है |

कार्लो एक्यूटिस के चमत्कार-

Carlo Acutis: विश्व का पहला मिलेनियल संत

कार्लो एक्यूटिस के दो चमत्कार जिससे उन्हें संत बनने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है |सेंट-मेकिंग कमेटी ने ऐसे दो चमत्कार के बारे में बताया है |कमेटी के अनुसार एक्यूटिस के लिये संत बनने की राह तब खुली जब कथित तौर पर एक साथ वर्षीय ब्राजीलिया बच्चा एक दुर्लभ अग्न्याशय की बीमारी से ग्रसित था |जब उस बीमार बच्चे ने कार्लो की टीशर्ट को छुआ तो वह ठीक हो गया |पोप द्वारा मूल्यांकन और अनुमोदन के बाद इस चमत्कार को सत्य पाया गया |

दूसरी घटना फ्लोरेंस में एक यूनिवर्सिटी की छात्रा की दुर्घटना में ब्रेन इंजरी हो गई थी उसके परिवार को बताया गया कि लड़की की हालात गंभीर है जिसके बाद उस लड़की की माँ ने कार्लो एक्यूटिस की कब्र पर उस लड़की के ठीक होने की प्रार्थना की |कुछ दिनों बाद उसने दावा किया कि उसकी बेटी को वेंटिलेटर से हटा दिया गया और 10 दिन बाद स्कैन से पता चला कि उसकी मस्तिष्क की चोट गायब हो गई थी |

इस तरह पोप फ्रांसिस ने कार्लो एक्यूटिस के नाम से दोनों चमत्कारों को मंजूरी दे दी जिसने एक्यूटिस को संत घोषित करने के योग्य बना दिया |

संत का दर्जा मिलने से क्या होता है-

ईसाई धर्म में संत की उपाधि पाने की एक पूरी प्रक्रिया होती है जिससे होकर भावी संत को गुजरना होता है |संत घोषित करने की प्रक्रिया को कैननाइजेशन कहते है |माना जाता है कि संत स्वर्ग चले जाते है तथा यहाँ से गॉड यानी ईश्वर का कार्य करते है |

कैननाइजेशन के बाद संत का नाम धर्मग्रन्थ में शामिल कर लिया जाता है तथा सभाओं और प्रार्थनाओं  में भी उसका नाम बोला जाता है |उस संत के नाम पर चर्च का नाम भी रखा जा सकता है |

संत कौन कहलायेगा कैसे तय होता है-

मृत्यु के पांच वर्ष के बाद ही किसी को संत की उपाधि मिल सकती है |इस समय के दौरान व्यक्ति का वेरिफिकेशन होता है कि व्यक्ति ने किसी प्रकार का कोई गलत काम तो नहीं किया है |चर्च के लोकल अधिकारी उस व्यक्ति की सारी जाँच-पड़ताल करते है |इसे पॉस्ट्युलेशन कहते है |वेटिकेन सिटी में अधिकारियों का एक समूह होता है जो इसी पर काम करता है |इनका कार्य संत बनने से पहले किसी व्यक्ति की सारी जाँच-पड़ताल करना है |सबूत जमा होने के बाद 9 धर्मगुरु दस्तावेजों की जाँच करते है तथा बहुमत रहा तो दस्तावेज पोप के पास चले जाते है |पोप के हामी भरने के बाद उस व्यक्ति को सम्माननीय का दर्जा मिला जाता है परन्तु संत की उपाधि प्राप्त होने के लिये उस व्यक्ति के चमत्कारों को देखा जाता है |

संत कहलाने के लिये अभी दो चरण बाकी है |उस व्यक्ति के चमत्कारों को विज्ञान के नजरिये से देखा जाता है जिसके लिये साइंटिफिक कमीशन बैठती है, जो तय करती है कि मृतक ने जो काम किये है वह चमत्कार है कि नहीं |

यदि चमत्कार इतना बड़ा है कि साइंस की समझ में न आये तो मान लिया जाता है कि फलां व्यक्ति संत है या स्वयं ईश्वर ने उससे काम करवाए है |इसके बाद पोप सभा करते है जिसमें संत का नाम लिया जाता है तथा उसके चमत्कारों की बात बतायी जाती है |जिसके बाद संत के नाम से कई तरह की चीजे हो सकती है |

मिलेनियल संत कौन होते है-

मिलेनियल जनरेशन का व्यक्ति यानी 1980 के दशक की शुरुआत से 1990 के दशक के अंत तक पैदा हुआ व्यक्ति मिलेनियल जनरेशन का माना जायेगा |

भारत के देव सहायम को भी संत का दर्जा प्राप्त है-

कार्लो एक्यूटिस से पहले भारत से एक शख्स देव सहायम को भी संत घोषित किया गया था |गौरतलब है कि धर्म के लिये शहीद होने पर एक ही चमत्कार में संत घोषित कर दिया जाता है |देव सहायम को शहीद का दर्जा मिला हुआ था इसलिए उनके एक चमत्कार पर ही उन्हें संत घोषित कर दिया गया था |वह भारत के पहले ऐसे आम व्यक्ति थे जिन्हें संत की उपाधि से नवाजा गया था |

मदर टेरेसा को भी संत का दर्जा प्राप्त है |

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