मानव विकास सूचकांक (HDI) 2023:भारत का स्थान 193 देशों में 134 वां

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की रिपोर्ट 'ब्रेकिंग द ग्रिडलॉक:रीइमेजिनिंग कोऑपरेशन इन ए पोलराइज्ड वर्ल्ड' के अनुसार भारत वैश्विक मानव विकास सूचकांक (HDI) में एक पायदान ऊपर चढ़ गया हैं |

मानव विकास सूचकांक (HDI) 2023:भारत का स्थान 193 देशों में 134 वां
इस लेख में-

1-मानव विकास सूचकांक क्या है |

2-मानव विकास सूचकांक के आयाम 

3-मानव विकास सूचकांक तथा भारत की स्थिति

4-मानव विकास रिपोर्ट 2023-24

5-मानव विकास रिपोर्ट तथा भारतीय अवलोकन 

मानव विकास सूचकांक क्या है-

मानव विकास सूचकांक (HDI) एक सांख्यिकीय उपकरण है, जिसके द्वारा किसी देश की सामाजिक तथा आर्थिक आयामों में समस्त उपलब्धि को मापा जाता है | मानव विकास की यह अवधारणा सर्वप्रथम प्रो.महबूब-उल-हक़ ने विकसित की थी, जोकि एक पाकिस्तानी नागरिक थे | 1977-82 तक वह वर्ल्ड बैंक में Policy Planning के डायरेक्टर भी थे | बाद में वें 1985 में पाकिस्तान के वित्त मंत्री भी बने | मानव विकास सूचकांक तैयार करने में इनका बहुत बड़ा योगदान था | इसलिए इन्हें HDI का जनक भी कहा जाता है | इनके सहयोगी अमर्त्य सेन थे, जिनको 1998 में कल्याणकारी अर्थशास्त्र के लिये नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया | इनका शोध 1943 के बंगाल भुखमरी पर था |

HDI को सयुंक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा विकसित किया गया था तथा पहली बार वर्ष 1990 में राष्ट्रीय विकास के विशुद्ध आर्थिक आकलन के विकल्प के रूप में पेश किया गया था |

मानव विकास सूचकांक (HDI) 2023:भारत का स्थान 193 देशों में 134 वां
source-https://hdr.undp.org/

मानव विकास सूचकांक के आयाम-

किसी देश में मानव विकास हो रहा है या नहीं ? यह कैसे पता चलेगा तो इसके लिये UNDP ने कुछ आयाम तय किये जो मानव विकास जानने के लिये पर्याप्त है |UNDP यह कहता है कि कुछ ऐसी चीजें है,जो मानव विकास को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है तथा कुछ चीजें अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है | HDI मानव विकास के 3 प्रमुख आयामों की और ध्यान आकर्षित करता हैं-

1-शिक्षा का स्तर: इसे 25 वर्ष की आयु के वयस्कों के लिये स्कूली शिक्षा के वर्षों की औसत संख्या तथा स्कूल में प्रवेश करने वाले बच्चों के लिये स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्षों से मापा जाता हैं | यह शिक्षा तक पहुँच एवम शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता को दर्शाता हैं |-शिक्षा सूचकांक 

2-जीवन निर्वाह स्तर: यह प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (GNI) द्वारा मापा जाता हैं, जिसे क्रय शक्ति समता (PPP) के लिये समायोजित किया जाता हैं | यह किसी देश में व्यक्तियों के भौतिक हित को दर्शाता हैं |-GNI सूचकांक

3-स्वास्थ्य तथा लम्बा जीवन: यह जन्म के समय जीवन प्रत्याशा से मापा जाता है | लम्बी जीवन प्रत्याशा बेहतर स्वास्थ्य परिणामों तथा स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच का संकेत देती हैं |-जीवन प्रत्याशा सूचकांक

ये तीन आयाम तभी विकसित हो पाएंगे जब उस देश की राजनीति में लोगों का ज्यादा से ज्यादा योगदान हो | पर्यावरण में स्थिरता हो, मानव अधिकार एवम सुरक्षा मिलें तथा समानता तथा सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिले | यह कुछ चीजें है जो देश में मानव विकास के लिये आधार तैयार करती हैं |

HDI की गणना 0 से 1 तक के इन तीन आयामों को एक एकल सूचकांक में जोड़कर की जाती हैं,जहाँ 0 मानव विकास के निम्नतम स्तर को दर्शाता हैं और 1 उच्चतम स्तर को दर्शाता हैं |

तत्पश्चात देशों को उनके HDI स्कोर के आधार पर निम्न मानव विकास,मध्यम मानव विकास,उच्च मानव विकास तथा अति उच्च मानव विकास जैसी श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता हैं |

मानव विकास सूचकांक तथा भारत की स्थिति-

भारत ने वर्ष 2022 में 0.644 का HDI स्कोर प्राप्त किया| संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की रिपोर्ट 'ब्रेकिंग द ग्रिडलॉक:रीइमेजिनिंग कोऑपरेशन इन ए पोलराइज्ड वर्ल्ड' के अनुसार भारत वैश्विक मानव विकास सूचकांक (HDI) में एक पायदान ऊपर चढ़ गया हैं |भारत की रैंक 193 देशों में 134वीं रही |

यह भारत को 'मध्यम मानव विकास' श्रेणी में वर्गीकृत करता हैं | वर्ष 1990 में भारत का मानव विकास सूचकांक 0.434 था, जबकि वर्ष 2022 का स्कोर 48.4% के सकारात्मक परिवर्तन को दर्शाता हैं |

उल्लेखनीय उपलब्धियों में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा में 9.1 वर्ष की वृद्धि,स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्षों में 4.6 वर्ष की वृद्धि तथा स्कूली शिक्षा के औसत वर्षों में 3.8 वर्ष की वृद्धि शामिल है|

इसके अतिरिक्त, भारत की प्रति व्यक्ति GNI में पर्याप्त वृद्धि देखी गई है, जो लगभग 287% की वृद्धि है |

रिपोर्ट में लेंगिक असमानता को कम करने में भारत की प्रगति का भी उल्लेख किया गया है,जिसमे 0.437 के लेंगिक असमानता सूचकांक पर प्रकाश डाला गया है,जो वैश्विक औसत से अधिक है |

मानव विकास रिपोर्ट 2023-24-

*देशों की स्थिति-

शीर्ष देश- स्विट्ज़रलैंड (0.967), नार्वे (0.966), आइसलैंड (0.959)

अंतिम देश- सोमालिया (0.380), दक्षिण सूडान (0.381), मध्य अफ्रीकी गणराज्य (0.387)

अमेरिका (0.927), UK (0.889), जापान (0.878)

*भारत के पडोसी देशों की स्थिति-

चीन 75वें  स्थान पर जबकि श्रीलंका 78वें स्थान पर है | दोनों देश उच्च मानव विकास श्रेणी के अंतर्गत आते हैं |

भूटान 125वें स्थान पर तथा बांग्लादेश 129वें स्थान पर है | भारत, भूटान तथा बांग्लादेश मध्यम मानव विकास श्रेणी में आते हैं|

नेपाल 146वें, तथा पाकिस्तान 164वें स्थान पर हैं | यें देश निम्न मानव विकास श्रेणी में आते हैं |

*लोकतंत्र का विरोधाभास-

मानव विकास रिपोर्ट 2023-24 से पता चलता हैं कि विश्व में लोकतंत्र के प्रति विरोधाभास है |सर्वेक्षण में शामिल कई लोग लोकतंत्र का समर्थन करते है जबकि कई लोग ऐसे नेताओं के भी समर्थक है जो लोकतांत्रिक सिद्धांतों को कमजोर करते हैं |

इस विरोधाभास ने राजनीतिक ध्रुवीकरण और शक्तिहीनता की भावना को बढ़ावा दिया हैं | 

*वैश्विक असमानतायें तथा बढता मानव विकास अंतर-

आर्थिक संकेन्द्रण के कारण वैश्विक असमानतायें बढ़ गई है |वस्तुओं के सन्दर्भ में वैश्विक व्यापार का लगभग 40% तीन या कम देशों में सकेंद्रित हैं |

मानव विकास रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2021 में, दुनिया की टॉप 3 टेक कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 2021 में 90% से अधिक देशों के जीडीपी से अधिक हो गया |

विकसित तथा अविकसित देशों के मध्य विकास में अंतर बढ़ता ही जा रहा है |

मानव विकास रिपोर्ट तथा भारतीय अवलोकन-

*GII में 108वें स्थान पर-

UNDP की मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लैंगिक असमानता कम हुई है | लैंगिक असमानता (GII) में 166 देशों में भारत 108वें स्थान पर रहा, जबकि 2021 में 170 देशों में भारत 122वें स्थान पर था |GII के तीन आयामों में प्रजनन स्वास्थ्य,सशक्तिकरण तथा श्रम बाजार शामिल है |

रिपोर्ट के अनुसार प्रजनन स्वास्थ्य में भारत का प्रदर्शन दक्षिण एशिया के अन्य देशों की तुलना में अच्छा हैं |2022 में भारत की किशोर जन्म दर 16.3 थी | भारत में श्रम बल भागीदारी दर में काफी अंतर है जहाँ श्रम बल में महिलाओं की हिस्सेदारी 28.3% है जबकि पुरुषों की 76.1% हिस्सेदारी है |

*मानव विकास में प्रगति-

रिपोर्ट के अनुसार भारत ने पिछले कुछ वर्षों में मानव विकास में काफी प्रगति की है | 1990 के बाद से जन्म के समय से जीवन प्रत्याशा में 9.1 वर्ष की वृद्धि आई है | स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्षों में 4.6 वर्ष की बढ़ोतरी हुई है,जबकि स्कूली शिक्षा के औसत वर्षों में 3.8 वर्ष की वृद्धि हुई इसके अतिरिक्त, भारत की प्रति व्यक्ति GNI में पर्याप्त वृद्धि देखी गई है, जो लगभग 287% की वृद्धि है |

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