अम्ल वर्षा किसे कहते हैं:अम्ल वर्षा के लिए मुख्यतः सल्फर तथा नाइट्रोजन के ऑक्साइड उत्तरदायी है|जब यें ऑक्साइड वर्षा की बूंदों में मिल जाते हैं,तो अम्ल वर्षा होती हैं| इस लेख में अम्ल वर्षा क्या हैं तथा अम्ल वर्षा के कारण तथा प्रभाव आदि सम्बंधित जानकारी मिलेगी |
इस लेख में-
1-अम्ल वर्षा किसे कहते हैं |
2-अम्ल वर्षा का निर्माण
3-अम्ल वर्षा के प्रमुख स्रोत
4-अम्ल वर्षा के कारण
5-अम्ल वर्षा के प्रभाव
6-अम्ल वर्षा से प्रभावित क्षेत्र
7-अम्ल वर्षा से निपटने के लिए रणनीतियाँ
अम्ल वर्षा किसे कहते हैं-

वायुमंडल में विद्ममान कार्बन डाइऑक्साइड गैस पानी में घुल कर कार्बोनिक अम्ल बनाती है |वर्षा के जल में कार्बोनिक अम्ल मिले होने के कारण वर्षा के जल का PH सामान्य से कुछ कम (लगभग 6.5) होता हैं| घातक गैसें जैसे सल्फर डाइऑक्साइड,सल्फर ट्राईऑक्साइड,तथा नाइट्रोज ऑक्साइड आदि जो वायु प्रदूषण के कारण वायुमंडल में विद्ममान रहती है, वर्षा जल को अवशोषित कर उसका PH और कम कर देती है |इसे ही अम्ल वर्षा कहते हैं |
अम्ल वर्षा का निर्माण-
जब सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड वायुमंडल में जल और ऑक्सीजन के साथ क्रिया करते हैं, तो इससे सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) तथा नाइट्रिक अम्ल (HNO3) बनता हैं |
जब ये अम्ल जल की बूंदों में घुल जाते है, जिससे अम्ल वर्षा का निर्माण होता हैं | अम्ल वर्षा का सामान्य PH लगभग 4.2-4.4 होता है |
प्रमुख गैसें जो अम्लीय वर्षा हेतु उतरदायी है, निम्न प्रकार की है-
2-सल्फर ट्राईऑक्साइड-यह पानी के साथ घुलकर सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) बनाती है |
3-हाइड्रोजन सल्फाइड-यह वायुमंडल में हाइड्रोजन मूलकों के साथ सल्फर डाइऑक्साइड बनाती है |
4-नाइट्रोजन के ऑक्साइड-यह प्रकाश ऑक्सीकरण द्वारा नाइट्रस अम्ल बनाती है |
5-कार्बन डाइऑक्साइड-यह पानी के साथ घुलकर कार्बोनिक अम्ल बनाती है |
अम्ल वर्षा के प्रमुख स्रोत-
कोयले के जलने, विद्युत शक्ति सयंत्रों तथा पेट्रोलियम शोधन से सल्फर डाइऑक्साइड निकलती है| इसी के साथ कुछ मात्रा में सल्फर ट्राईऑक्साइड भी निकलती है |प्राकृतिक स्रोतों में ज्वालामुखी प्रमुख है |हाइड्रोजन सल्फाइड गैस प्राकृतिक रूप से सल्फर को अपचयित करने वाले जीवाणुओं से प्राप्त होती है तथा दलदली भूमि से निकलती है | यह गैस जीवाश्म ईंधनों के आंशिक रूप से जलने तथा अनेक उद्योगों में द्वितीयक उत्पाद के रूप में प्रकट होती है |नाइट्रोजन के विभिन्न ऑक्साइड गैसें अनेक जीवाश्म ईंधनों के ज्वलन तथा विस्फोटक उद्योगों से निकलकर वायुमंडल में मिल जाती हैं |
अम्ल वर्षा के कारण-
जीवाश्म ईंधन के दहन से,सल्फर डाइऑक्साइड तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड निकलते हैं| जीवाश्म ईंधन का दहन वाहनों में प्रचलित है तथा यें पर्यावरण प्रदूषकों का प्राथमिक स्रोत है |विद्युत शक्ति सयंत्रों तथा औद्योगिक प्रक्रियाओं में कोयले के दहन से ये पदार्थ निकलते है |
प्राथमिक स्रोत-ज्वालामुखी उद्धार तथा आकाशीय बिजली भी सल्फर डाइऑक्साइड तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड के उपस्थिति का कारण है |
वायुमंडल में प्रदूषक SO2 तथा NOx रासायनिक क्रिया करते है जिससे सल्फ्यूरिक तथा नाइट्रिक अम्ल बनते है जो जलवाष्प के साथ मिलकर वे वर्षण के समय अम्लीय वर्षा बनाते है |
अम्ल वर्षा के प्रभाव-
अम्ल वर्षा के निम्न प्रभाव है-
1-यह जल,स्थल,वायु,वनस्पतियों,जीव-जंतुओं तथा इमारतों को क्षति पहुंचाती हैं |
2-झीलों,तालाबों,नदियों आदि का जल अत्यधिक अम्लीय हो जाता हैं | इससे पानी में रहने वाले जीव प्रभावित होते है | यही कारण है कि अम्ल वर्षा को 'Lake Killer' कहा जाता है|
3-झीलों,तालाबों आदि से पानी रिस कर भू-गर्भ में स्थित विभिन्न धातुओं जैसे ताबां,एलुमिनियम, कैडमियम आदि से क्रिया करके विभिन्न जहरीले यौगिक बनाता है जो प्राणियों को प्रभावित करते हैं |
4-अम्ल वर्षा से त्वचा रोग तथा एलर्जी होती है |
5-अम्ल जल जब घरों में जस्ता, सीसा या ताबें के पाइपों से गुजरता है तो इस जल में धातुओं की अधिकता हो जाती हैं, जिससे अतिसार तथा पेचिश जैसे रोगों की संभावना बढती हैं |
6-इससे दमा तथा कैंसर का खतरा हैं |
7-इससे मृदा उर्वर शक्ति क्षीण होती है |
8-इससे पौधों की वृद्धि में कमी आती है |
9-पौधों की पत्तियों में उपस्थित पर्णहरित का विघटन हो जाता है, जिससे पतियों का रंग परिवर्तित हो जाता है |
10-पौधों की पतियाँ, पुष्प तथा फल असमय झड़ जाते हैं |
11-प्राचीन इमारतों का क्षरण होता है, जिससे "स्टोन कैंसर" कहते है |
12-जैव विविधता को नुकसान |
अम्ल वर्षा से प्रभावित क्षेत्र-
निम्न क्षेत्रों में अम्ल वर्षा के समस्या सर्वाधिक है-
1-स्केंडेनेविया (नार्वे,स्वीडन,फ़िनलैंड,आदि)
2-उत्तर-पूर्व USA तथा दक्षिण-पूर्व कनाडा
अम्ल वर्षा से सर्वाधिक प्रभावित देश नार्वे है |
भारत के कुछ महानगरों में वर्षा का PH निम्न प्रकार पाया गया-
1-कोलकाता-5.8
2-चेन्नई-5.85
3-दिल्ली-6.21
4-मुंबई-4.8
आगरा से 40 किलोमीटर दूर मथुरा का तेल शोधक कारखाना है,जो प्रतिदिन 25 से 30 टन सल्फर डाइऑक्साइड गैस वायुमंडल में छोड़ता है|इसी कारण आगरा के वायुमंडल में सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा 1.75 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर है | इसके कारण ताजमहल पर कहीं-कहीं संक्षारक धब्बे दिखाई देते है |
अम्ल वर्षा से निपटने के लिए रणनीतियाँ-
1-कोई भी प्रक्रिया जो वातावरण में सल्फर और नाइट्रोजन के उत्सर्जन को कम करेगा, वही अम्ल वर्षा पर नियंत्रण कर पायेगा| कम सल्फर ईंधन या प्राकृतिक गैस या धुआं तथा कोयला, इन चीजों का तापीय संयंत्रों में उपयोग, अम्ल वर्षा की घटनाओं को कम कर सकता है |
2-कोयला विद्युत संयंत्रो ने सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन को 90% से अधिक कम करने के लिए फ्लू-गैस डी-सल्फाराइजेशन तकनीकों को अपनाया है |
3-ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP)
4-पूर्वी एशिया एसिड डिपोजिशन मॉनिटरिंग नेटवर्क (EANET) और अन्य पहलों के द्वारा विश्व की सरकारें अम्ल वर्षा को कम करने के लिए सहयोग कर रही हैं |
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