खगोलविदों द्वारा एक दुर्लभ खगोलीय घटना सिम्पैथेटिक सोलर फ्लेयर या सौर प्रज्वाल देखी गई |इस सौर प्रज्वाल में एक साथ चार विस्फोट हुये |इस लेख में सौर प्रज्वाल क्या है तथा पृथ्वी पर सौर प्रज्वाल के प्रभाव के बारे में चर्चा करेंगे |
सौर प्रज्वाल क्या है-

सोलर फ्लेयर या प्रज्वाल सनस्पॉट से जुड़ी चुम्बकीय ऊर्जा उत्सर्जन से आने वाले विकिरण का एक तीव्र विस्फोट है |ये हमारे सौरमंडल की सबसे बड़ी विस्फोटक घटनाओं में से एक है |इन्हें सूर्य पर चमकीले क्षेत्रों के रूप में देखा जाता है, जोकि कुछ मिनटों से लेकर कई घंटों तक रह सकते है |कुछ ही मिनटों में, ये उत्सर्जन सूर्य-सामग्री को कई लाख डिग्री तक गर्म कर देते है तथा रेडियो तरंगों से लेकर गामा किरणों तक विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम में विभिन्न प्रकार के विकिरण का विस्फोट उत्पन्न करते है |
सौर प्रज्वालायें सफ़ेद रोशनी में दिखाई देती है |ये चमकदार एक्स-रे और पराबैंगनी उत्सर्जन के कारण आसानी से दिखाई देती है |
सौर प्रज्वाल की श्रेणियाँ-
सौर प्रज्वाल की 5 श्रेणियाँ है जिनमें A,B,C,M तथा X शामिल है, जिसमें से प्रत्येक वर्ग अपने पहले वर्ग से दस गुना ज्यादा शक्तिशाली है |
1-X Class Flares (बड़ा आकार):
वे मुख्य घटनाएँ है जो पूरे विश्व में रेडियो ब्लैकआउट तथा ऊपरी वायुमंडल में लम्बे समय तक चलने वाले विकिरण तूफानों को उत्प्रेरित कर सकती है |
2-M Class Flares (मध्यम आकार):
ये सामान्यतः संक्षिप्त रेडियो ब्लैकआउट का कारण बनते है जो पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों को प्रभावित करते है |छोटे विकिरण तूफान कभी-कभी M-श्रेणी की चमक के बाद आते है |
3-C Class Flares (छोटा आकार):
X तथा M वर्ग घटनाओं की तुलना में C वर्ग प्रज्वाल पृथ्वी पर छोटे स्वरूप में होते है |
4-सबसे छोटे फ्लेयर्स A वर्ग है |इसके बाद अन्य फ्लेयर्स आते है |
सिम्पैथेटिक सोलर फ्लेयर के बारे में-
यह खगोलीय घटना तब होती है जब सौर सतह से ऊपर स्थित चुम्बकीय क्षेत्र लूप से सनस्पॉट या फिलामेंट्स अदृश्य रूप से बड़े पैमाने पर जुड़े होते है |जब एक ज्वाला प्रस्फुटित होती है, तो अन्य तरंगें अथवा सौर प्रज्वालायें तेजी से उसका अनुसरण करती है |अनुकम्पी सौर प्रज्वालाओं में आम तौर पर दो जुड़ी हुई ज्वालायें शामिल होती है, जिनकी तीव्रता मामूली विस्फोटों से लेकर एक्स-रे श्रेणी की ज्वालाओं तक होती है, जोकि सौर ज्वालाओं का सबसे शक्तिशाली वर्ग है |
पृथ्वी पर सौर प्रज्वाल का प्रभाव-
सौर प्रज्वाल के दौरान उत्सर्जित तीव्र विकिरण पृथ्वी के उपग्रह संचार को प्रभावित कर सकता है |
इसके अलावा ये रेडियो संकेतों को बाधित कर सकता है तथा अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यात्रियों के लिये भी खतरा पैदा कर सकता है |
बढ़े हुये सौर विकिरण से भू-चुम्बकीय तूफ़ान पैदा होने की संभावना होती है, जो बिजली ग्रिडों को प्रभावित कर सकते है तथा निचले अक्षांशों पर अरोरा पैदा कर सकते है|
अरोरा वह रमणीय दीप्तिमय छटा है जो ध्रुवक्षेत्रों के वायुमंडल के ऊपरी भाग में दिखाई पड़ती है |
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