रूसी अंतरिक्षयात्री ओलेग कोनोनेंकों स्पेस में 1000 दिन पूरा करने वाले दुनिया के प्रथम व्यक्ति बन गये |ओलेग ने स्पेस में 1000 दिन रहने का रिकॉर्ड बना लिया है |इससे पूर्व यह रिकॉर्ड रूसी अंतरिक्षयात्री गेनाडी पडाल्का के पास था जोकि 887 दिन स्पेस में रहे थे |ओलेग कोनोनेंको ने अंतरिक्ष में 1000 दिन अपनी पांचवी अंतरिक्षयात्रा में पूरी की |इस दौरान ओलेग इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के तीन बार कमांडर भी रहे |
ओलेग कोनोनेंकों के बारे में-

21 जून 1964 को तुर्कमेनिस्तान में जन्मे ओलेग को बचपन से अंतरिक्ष को समझने में दिलचस्पी थी |उनके पिता दिमित्री इवानोविच एक कंपनी में बतौर ड्राइवर काम करते थे तथा मां तैसिया तुर्कमेनाबात एयरपोर्ट पर कम्युनिकेशन ऑपरेटर थी |ओलेग ने इसी देश से हाईस्कूल किया तथा इसके साथ स्थानीय भाषा में सर्वाधिक नम्बर पाने का कीर्तिमान हासिल किया |ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने रूसी स्पेस एजेंसी के डिज़ाइन ब्यूरो के साथ मिलकर काम करना शुरू किया |बतौर डिज़ाइन इंजीनियर उनके पास कई अहम जिम्मेदारियां रही |29 मार्च 1996 को उनका सेलेक्शन अंतरिक्ष यात्री के तौर पर हुआ तथा ट्रेनिंग की शुरुआत हुई |
स्पेस के प्रति उनके लगाव का नतीजा रहा कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन प्रोग्राम का हिस्सा बनने के बाद अक्टूबर 1998 में उनकी इस प्रोग्राम के लिये ट्रेनिंग शुरू हुई |उन्होंने पहली उड़ान अप्रैल 2008 में भरी तथा अंतरिक्ष में 200 दिन बिताये |इस तरह उन्होंने दूसरी तीसरी चौथी तथा पांचवी अंतरिक्ष यात्रा पूरी की तथा स्पेस में 1000 दिन पूरा करने वाले दुनिया के प्रथम व्यक्ति बन गये |ओलेग ने स्पेस में 1000 दिन रहने का रिकॉर्ड बना लिया |इससे पहले यह रिकॉर्ड रूसी कॉस्मोनॉट गेनाडी पडाल्का का था |वे 887 दिन स्पेस में थे |
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ओलेग कोनोनेंकों के साथ रूसी कॉस्मोनॉट निकोलाई शुब तथा नासा एस्ट्रोनॉट लोरल ओहारा गई थी |अब ओलेग तथा नासा एस्ट्रोनॉट ट्रेसी डाइसन सितम्बर 2024 को वापस धरती पर लौटेंगे |ऐसे में स्पेस में रहते हुये ओलेग को 1110 दिन पूरे हो जायेंगे |रूस में एस्ट्रोनॉट को कॉस्मोनॉट कहते है |
स्पेस से लौटने के बाद ओलेग के शरीर की होगी जाँच-
नासा के ट्रांसलेशन रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस हेल्थ (TRISH) के पूर्व प्रमुख इमैन्यूएल उरुकिता ने कहा कि ओलेग विशेष व्यक्ति है, स्पेस में 1000 दिन बिताना सबके बस की बात नहीं है |ओलेग के स्पेस से लौटने के बाद शरीर की जाँच होगी क्योंकि इसका असर उनके शरीर तथा मन पर भी पड़ा होगा |

साथ ही साथ उरुकिता एस्ट्रोनॉट के शरीर का अध्ययन का इसलिए भी करते है ताकि कुछ बातों जैसे पृथ्वी से लम्बी दूरी रहने में संचार का कितना असर पड़ता है, रेडिएशन का क्या प्रभाव होता है, स्पेस में रहने से शरीर तथा मन पर क्या प्रभाव पड़ता है, ग्रैविटी का असर आदि का पता चल सके |
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन-
अन्तर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में स्थित एक अंतरिक्ष स्टेशन या रहने योग्य कृत्रिम उपग्रह है |यह LEO में मानव निर्मित सबसे बड़ा पिंड है |इसका पहला कॉम्पोनेन्ट 1998 में कक्षा में प्रक्षेपित किया गया था |
यह लगभग 92 मिनट में पृथ्वी का चक्कर लगाता है तथा प्रतिदिन 15.5 परिक्रमा पूरी करता है |इसके चालक दल सदस्य जीव विज्ञान, मानव जीव विज्ञान, भौतिकी खगोल विज्ञान, मौसम विज्ञान आदि क्षेत्रों में प्रयोग करने में सक्षम होते है |
यह एक माइक्रोग्रेविटी तथा अंतरिक्ष पर्यावरण अनुसंधान प्रयोगशाला के रूप में कार्य करता है |
ISS का निर्माण 15 देशों का प्रतिनिधित्व करने वाली पांच अलग-अलग अंतरिक्ष एजेंसियों ने एक संयुक्त परियोजना के रूप में $100 बिलियन की लागत से किया था |
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