प्रतिवर्ष 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जाता है |वर्ष 2025 में 11वां National Handloom Day भारत मंडपम नई दिल्ली में मनाया गया |इस अवसर पर माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगी |इस लेख में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के बारें में, इसके महत्व तथा उद्देश्य के विषय में चर्चा करेंगे |
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के बारें में-

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस की शुरुआत चेन्नई में 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा की गयी थी |इस दिवस की मूल जड़ें 7 अगस्त, 1905 को कोलकाता के टाउन हॉल में शुरू हुये स्वदेशी आंदोलन से जुड़ी है, जिसने स्वदेशी उद्योगों, विशेषकर हथकरघा बुनकरों को प्रोत्साहित किया था |
भारत सरकार विभिन्न राज्यों तथा केन्द्रशासित प्रदेशों में बुनकर सेवा केंद्र, संस्थानों तथा सोशल मीडिया अभियानों के माध्यम से हथकरघा दिवस का आयोजन करती है |
प्रति वर्ष इस अवसर पर फैशन शो, हैंडलूम पुरस्कार समारोह, हथकरघा उत्पादों की प्रदर्शनी, लाभार्थियों को प्रमाण-पत्र वितरण, डिज़ाइनर शो, एक्सपो तथा जागरूकता अभियान आयोजित किये जाते है |
2025 के इस आयोजन में लगभग 650 बुनकर शामिल होंगे तथा अंतर्राष्ट्रीय खरीदार, निर्यातक तथा सरकारी अधिकारी भी समारोह का हिस्सा बनेंगे |
इस दिवस के अवसर पर सर्वश्रेष्ठ बुनकरों को संत कबीर पुरस्कार तथा राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार दिए जायेंगे साथ ही विशेष सांस्कृतिक और शिल्पकला सम्बंधित कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा |
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का उद्देश्य-
1-इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य हथकरघा क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, उसके लचीलेपन, नवाचार क्षमता तथा सामाजिक-आर्थिक महत्व को उजागर करना है |
2-इसका उद्देश्य भारतीय हथकरघा क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को सम्मानित करना, हथकरघा बुनकरों तथा श्रमिकों का सशक्तिकरण करना तथा देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में उनके योगदान को रेखांकित करना है |
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का महत्व-
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के निम्नलिखित महत्व है-
1-हथकरघा क्षेत्र भारत की गौरवशाली तथा विविध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है तथा ग्रामीण और अर्ध-ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का महत्वपूर्ण स्रोत है |
2-इस क्षेत्र में लगभग 70% से अधिक महिला श्रमिक कार्यरत है, जिससे महिला सशक्तिकरण को सीधा प्रोत्साहन मिलता है |
3-यहाँ विशेष बात यह है कि उत्पादन प्रक्रिया पर्यावरण-अनुकूल तथा कम पूंजी और ऊर्जा आधारित होती है |यह पारंपरिक शिल्प को फैशन के बदलते रुझानों के अनुरूप बनाये रखने में सक्षम है |
4-यह दिवस न केवल सांस्कृतिक महत्व को, बल्कि वस्त्र उद्योग में टिकाऊ प्रथाओं के प्रचार, नवाचार, पारंपरिक ज्ञान की रक्षा तथा वैश्विक बाजार में भारतीय हथकरघा की प्रतिष्ठा बढ़ाने का कार्य करता है |
5-यह दिवस भारत की आत्मनिर्भरता की भावना, बुनकरों के आर्थिक-सामाजिक उत्थान तथा हथकरघा विरासत के संवर्धन के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है |
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