हॉल
ही में भारत सरकार ने प्रमुख राजमार्ग विकास परियोजना भारतमाला परियोजना
चरण-1 को पूरा करने की समय सीमा 2027-28 तक बढ़ा दी हैं | यह कदम मेगा परियोजना की
अनुमानित लागत में 100% से अधिक की वृद्धि के बाद उठाया गया हैं तथा यह
कार्यान्वयन की धीमी गति एवम वित्तीय बाधाओं को दर्शाता हैं |
परिचय—
भारतमाला परियोजना सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मंत्रालय के अंतर्गत शुरू किया गया एक व्यापक कार्यक्रम हैं | भारमाला के प्रथम चरण की घोषणा 2017 में की गयी थी तथा इसे वर्ष 2022 तक पूरा किया जाना था | प्रथम चरण के अंतर्गत 535000 करोड़ रुपे की लागत से 34800 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गो का निर्माण किया जायेगा |
यह प्रोजेक्ट गुजरात तथा राजस्थान से शुरू हो कर पंजाब की ओर चलेगी एवम फिर पूरे हिमालयी राज्यों J&K, हिमाचल प्रदेश उतराखंड और तराई क्षेत्रों के साथ UP तथा बिहार की सीमाओं को कवर करेगी तथा पश्चिम बंगाल, सिक्किम, मणिपुर और मिजोरम में भारत-म्यांमार की सीमा तक जाएगी | आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों सहित दूरदराज़ के ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी प्रदान करने पर विशेष जोर दिया जायेगा |
प्रारम्भ में इस कार्यक्रम की अवधि 2017-18 से वर्ष 2021-22 तक थी जिसे अब 2027-28 तक बढ़ा दिया गया |
चरण-1 में 34800 किलोमीटर सड़को का निर्माण
किया जाना है, जिसमे शामिल है-
1-5000 किलोमीटर
राष्ट्रीय कॉरिडोर।
2-9000 किलोमीटर
आर्थिक कॉरिडोर।
3-6000 किलोमीटर फीडर
कॉरिडोर और इंटर कॉरिडोर।
4-2000 किलोमीटर
सीमावर्ती सड़कें।
5-2000 किलोमीटर
तटवर्ती सड़कें एवं बंदरगाह संपर्क सड़कें।
6-800 किलोमीटर हरित
क्षेत्र एक्सप्रेस वे।
7-10000 किलोमीटर अधूरे
सड़क निर्माण कार्य।
विशेषतायें-
भारतमाला परियोजना पूर्व निर्मित बुनियादी ढांचे की बढ़ी हुई प्रभावशीलता, एकीकरण, निर्बाध आवागमन के लिए बुनियादी कमियों को दूर करने तथा राष्ट्रीय व आर्थिक कॉरिडोर को एकीकृत करने पर केन्द्रित हैं | इस परियोजना के 6 प्रमुख अव्यव निम्न है-
आर्थिक कॉरिडोर: आर्थिक कॉरिडोर को एकीकृत करने से आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण उत्पादन तथा उपभोग केंद्रों के बीच विस्तृत कनेक्टिविटी की सुविधा मिलती है।
इंटर-कॉरिडोर और फीडर मार्ग: यह प्रथम मील से
अंतिम मील तक की कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगा।
राष्ट्रीय कॉरिडोर दक्षता में सुधार: इसके माध्यम से मौजूदा राष्ट्रीय कॉरिडोर की क्षमता बढ़ाने और ट्रैफिक जाम को
कम करने का लक्ष्य रखा गया है।
सीमा और अंतर्राष्ट्रीय संपर्क सड़कें: बेहतर सीमा सड़क बुनियादी ढाँचे से अधिक गतिशीलता सुनिश्चित होगी और साथ ही पड़ोसी
देशों के साथ व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा।
तटीय व पोर्ट कनेक्टिविटी हेतु
सड़कें: तटीय क्षेत्रों में कनेक्टिविटी के माध्यम से बंदरगाह आधारित
आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है,
जिससे पर्यटन एवं औद्योगिक विकास
दोनों बेहतर होते हैं।
ग्रीन-फील्ड एक्सप्रेसवे: उच्च यातायात सघनता और अधिक जाम वाले स्थान की उपस्थिति वाले
एक्सप्रेसवे ग्रीन-फील्ड एक्सप्रेसवे से लाभान्वित होंगे।
वर्त्तमान स्थिति-
नवम्बर 2023 तक 15045 किलोमीटर 42% परियोजना पूरी हो गयी है|
इस योजना के अंतर्गत निर्माण कार्य
करने वाली एजेंसी-
1-भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग
2-राष्ट्रीय राजमार्ग तथा ओद्योगिक विकास
निगम तथा लोक निर्माण विभाग
भारतमाला प्रोजेक्ट के लाभ-
1-आर्थिक गलियारों से कार्गो की त्वरित आवाजाही में
वृद्धि|
2-अन्तराष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि |
3-पूरे देश में सड़क संपर्क में सुधार |
4-निवेश में तेजी तथा रोजगार वृद्धि की संभावना |
भारतमाला प्रोजेक्ट के सामने चुनौतियां-
1-कच्चे माल की लागत |
2-भूमि अधिग्रहण लागत में वृद्धि |
3-हाई-स्पीड कॉरिडोर का निर्माण और GST में वृद्धि |
स्रोत--PIB