साइबर किडनैपिंग तथा साइबर अपराध
हॉल
ही में एक 17 वर्षीय चीनी छात्र काई ज़ुआंग(Kai Zhuang) जो साइबर अपहरण का शिकार
हुआ था, यूटा के ग्रामीण क्षेत्र में सुरक्षित पाया गया | अधिकारियों को पता चला
कि चीन के उसके माता-पिता ने उसे खोजने से पूर्व ही $80000 फिरौती का भुगतान कर
दिया था |वह Brigham शहर से 40 किलोमीटर उत्तर में एक तम्बू में पाया गया, जहाँ
ऐसा लगता है कि उसने स्वयं को आत्मनिर्वासित कर लिया था |
साइबर किडनैपिंग एक ऐसे अपराध को संदर्भित करता है, जहाँ अपहरणकर्ता अपने
शिकार को छिपने के लिए मना लेते है तथा फिर फिरौती के लिए उनके घरवालों से संपर्क
करते हैं |
इस
प्रकार के अपहरण में पीड़ित का अपहरण नहीं किया जाता है, बल्कि उन्हें यह विश्वास
दिलाया जाता है कि वह खतरे में हैं |
किडनैपर शारीरिक रूप से मौजूद नहीं होते हैं | वे वीडियो कॉल प्लेटफॉर्म के
माध्यम से पीड़ित की ऑनलाइन निगरानी करते हैं |


साइबर अपराध—
परिचय-
साइबर अपराध ऐसे अपराध है, जहाँ कंप्यूटर अपराध का एक माध्यम होता है या अपराध करने लिए एक साधन के रूप में प्रयोग किया जाता है | साइबर अपराध में अपराधों की एक विस्तृत श्रंखला शामिल है, यह व्यक्तियों, संगठनों के साथ-साथ सरकारों को भी प्रभावित कर सकती हैं | इसमें अवैध तथा गैरकानूनी गतिविधियाँ शामिल है, जो अपराध के लिए टेक्नोलॉजी का लाभ उठाती है |
Note-भारतीय संविधान की 7वीं अनुसूची के अनुसार साइबर क्राइम राज्य सूची का विषय है|
साइबर अपराध के प्रकार-
1-फिशिंग-यह एक प्रकार का सोशल इंजीनियरिंग हमला
है, जिसका उपयोग यूजर का डाटा चुराने के लिये किया जाता है, जिसमे क्रेडिट कार्ड व
लॉगिन क्रेडेंशियल शामिल है| इसमें एक हमलावर एक विश्वसनीय संस्था के रूप में
किसी पीड़ित को मेल, मैसेज के माध्यम से धोखा देता है |
2-पहचान की चोरी-जब कोई अपराधी किसी यूजर की व्यक्तिगत
तथा गोपनीय जानकारी प्राप्त कर लेता है तो ब्लैकमेल के रूप में फिरौती की मांग
करता हैं |
3-साइबर स्टॉकिंग-इस अपराध में ऑनलाइन उत्पीडन शामिल होता है, जहां यूजर को बहुत सारे ऑनलाइन संदेशो व इमेलों का सामना करना पड़ता है | साइबर स्टॉक किसी यूजर को डराने के लिए सोशल मीडिया, वेबसाइट तथा सर्च इंजन का प्रयोग करते है |
4-बॉटनेट-कंप्यूटर का एक ऐसा नेटवर्क जिसे दूर बैठे हैकर्स द्वारा बाह्य रूप से नियंत्रित किया जाता है| रिमोट हैकर्स या तो स्पैम भेजते या बॉटनेट के माध्यम से अन्य कंप्यूटरों पर हमला करते है|
5-डिस्ट्रिब्यूटेड डिनायल-ऑफ़ सर्विस अटैक-इसका प्रयोग किसी ऑनलाइन सर्विस की अनुपलब्ध बनाने व विभिन्न स्रोतों से वेबसाइट पर अत्यधिक ट्रैफिक के माध्यम से नेटवर्क को बाधित करने के लिए किया जाता है |
भारत में साइबर सुरक्षा से सम्बंधित परेशानियाँ-
1-भारत में साइबर क्राइम की जाँच के लिये अलग से कोई प्रक्रियात्मक सहिंता मौजूद नहीं हैं |
2-अधिकांश साइबर क्राइम अन्तराष्ट्रीय प्रकृति के होते है | विदेशों से साक्ष्य एकत्र करना धीमी तथा कठिन प्रक्रिया है |
3-भारत में ऑपरेटर सुरक्षात्मक बुनियादी ढांचे पर निवेश नहीं कर रहे है | वे केवल लाभदायक बुनियादी ढांचे पर ध्यान केन्द्रित कर रहे है, क्यूंकि उनका मानना है कि साइबर हमलों से तैयारियों पर निवेश से अच्छा लाभ नहीं मिलेगा |
4-वर्तमान में भारत डिजिटलीकारण की ओर अग्रसर है, जिससे उपभोक्ता व नागरिक डेटा को डिजिटल रूप में संग्रहित किया जायेगा तथा ऑनलाइन माध्यम से लेन-देन संपन्न होगा| जिससे भारत साइबर अपराधियों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बन सकता|
5-वर्तमान में साइबर अपराध के सम्बन्ध में सीमित विशेषज्ञता, कम जागरूकता तथा सीमित प्राधिकार शामिल हैं |
साइबर अपराध से बचाव के उपाय-
1-साइबर सुरक्षा जागरूकता अभियान |
2-साइबर बीमा-साइबर घटनाओं से होने वाले नुकसान के खिलाफ वित्तीय कवरेज प्रदान करता है |
3-डेटा को नयी मुद्रा कहा जाता है, इसलिए भारत में एक सख्त डेटा सुरक्षा व्यवस्था की आवश्यकता है |
Note-यूरोपीय संघ का सामान्य डेटा संरक्षण विनिमयन & भारत का व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2019 सही मार्ग में उठाये गए कदम है |
4-सहयोगात्मक त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र-भारतीय अपराध समन्वय केंद्र साइबर सुरक्षा जाँच को केंद्रीकृत करने, प्रतिक्रिया उपकरणों के विकास को प्राथमिकता देने के लिए निजी कंपनियों को एक साथ लाने में सहायता करेगा |
साइबर अपराधों के निपटान हेतु भारत सरकार द्वारा किये गए उपाय-
1-भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र |
2-राष्ट्रीय साइबर फॉरेंसिक प्रयोगशाला |
3-साइट्रेन पोर्टल (CyTrain Portal) |
4-राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल |
5-नागरिक वित्तीय साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग & प्रबंधन प्रणाली -TollFree |
6-CCPWC योजना-महिलाओं व बच्चों के प्रति साइबर अपराध निवारण योजना |
7-संयुक्त साइबर समन्वय दल