बजट क्या है बजट के प्रकार

1 फरवरी 2024 को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण संसद में केंद्रीय बजट 2024 पेश करेंगी | इस बार का यें केंदीय बजट-अंतरिम बजट होगा, क्योंकि इसी साल लोकसभा चुनाव होना हैं| चुनाव के बाद ही नयी सरकार पूर्ण बजट को पेश करेंगी | बजट से सम्बंधित समस्त जानकारी-बजट क्या हैं, बजट के प्रकार आदि इस लेख में मिलेगी |

इस लेख में-

1-परिचय

2-बजट क्या हैं 

3-बजट तथा संवैधानिक प्रावधान 

4-बजट के प्रकार

5-बजट पारित होने की प्रक्रिया

6-केंद्रीय बजट के उद्देश्य 

7-बजट सम्बंधित शब्दावली 

8-FAQ

परिचय-

केंद्र सरकार 1 फरवरी 2024 को आगामी वित्त वर्ष (2024-25) के लिए केंद्रीय बजट प्रस्तुत करेगी | इस बार का यह बजट अंतरिम बजट होगा क्योंकि इसी वर्ष लोकसभा चुनाव होना है | नयी सरकार के घठन के बाद ही नियमित बजट पेश होगा |

बजट क्या है बजट के प्रकार
बजट क्या हैं-

भारतीय संविधान में शासन प्रणाली की त्रि-स्तरीय व्यवस्था हैं| केंद्रीय सरकार, राज्य सरकार तथा स्थानीय सरकारें (नगर-निगम, नगरपालिका तथा जिला परिषद्)

उक्त सरकारें अपना-अपना बजट तैयार करती हैं जिसमे अपेक्षित राजस्व एवम प्रस्तावित व्यय का अनुमान होता हैं | इन्हें केंद्रीय बजट, राज्य बजट, तथा नगरपालिका बजट कहा जाता हैं |

संविधान ने बजट को 'वार्षिक वित्तीय विवरण' कहा हैं | दूसरे शब्दों में 'बजट' शब्द का संविधान में कहीं उल्लेख नहीं हैं |यह 'वार्षिक वित्तीय विवरण' का प्रचलित नाम हैं तथा इसका उल्लेख सविधान के अनुच्छेद 112 में किया गया हैं |

अनुच्छेद 112(1) राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष (जो चालू वर्ष में 1 अप्रैल से शुरू हो कर अगले वर्ष 31 मार्च को समाप्त होता हैं)  के सम्बन्ध में संसद के दोनों सदनों के समक्ष भारत सरकार के उस वर्ष के लिए प्राक्कलित प्राप्तियों तथा व्यय का विवरण पेश कराएँगे |(वार्षिक वित्तीय विवरण)

बजट का निर्माण वित्त मंत्रालय का Department Of Economic Affairs(आर्थिक मामलों का विभाग) करता हैं |

संसदीय परम्परा के अनुसार, केंद्रीय वित्तमंत्री लोकसभा में बजट पेश करते हैं |साथ ही साथ राज्यसभा में बजट दस्तावेज का वितरण होता हैं |

वर्ष 2017 से पहले सरकार केंद्रीय बजट को फरवरी माह के अंतिम कार्य दिवस पर प्रस्तुत किया जाता था, किन्तु 2017 में इस प्रथा को बदलते हुये सरकार ने पहली बार 1 फरवरी को बजट प्रस्तुत किया और तब से प्रत्येक वर्ष 1 फरवरी को बजट प्रस्तुत किया जाता हैं |

बजट पेश किये जाने के बाद इसे दो भागों में बांटा दिया जाता हैं-व्यय भाग तथा राजस्व भाग | दोनों भागों को संसद में अलग-अलग प्रस्तुत किया जाता हैं तथा दोनों पर अलग-अलग चर्चा होती हैं |

✴व्यय भाग-

इसमें भारत की संचित निधि से विभिन्न विभागों को दिये जाने वाले अनुदान राशि शामिल हैं |

इसे विनियोग विधेयक कहा जाता हैं |

यह एक धन विधेयक हैं, क्योंकि इसमें अनुच्छेद 110 में दिया गया एक विषय हैं |

भारित व्यय भी विनियोग विधेयक का अंश होते हैं, परन्तु भारित व्यय पर संसद में मतदान नहीं होता है |

✴राजस्व भाग-

इसमें आगामी वित्त वर्ष में सरकार के व्ययों से कैसे निपटा जाये शामिल हैं |

इसमें आगामी वित्त वर्ष के लिए कर सम्बन्धी प्रस्ताव होते हैं |

इसे वित्त विधेयक कहा जाता हैं |

यह भी एक धन विधेयक हैं तथा इसे उसी द्वारा पारित किया जाता हैं |

बजट क्या है बजट के प्रकार

बजट तथा संवैधानिक प्रावधान-

संविधान में बजट के क्रियान्वयन को लेकर निम्न व्यवस्थायें हैं-

1-संविधान के अनुच्छेद 112 के अनुसार, एक वर्ष के केंद्रीय बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण (Annual Financial Statement AFS) कहा जाता हैं |

2-राष्ट्रपति इसे हर वित्त वर्ष में, संसद के दोनों सदनों में पेश करवाएगा |

3-बिना राष्ट्रपति की सिफारिश के कोई अनुदान की मांग नहीं की जाएगी |

4-समेकित विधि निर्मित विनियोग के भारत की संचित निधि से कोई धन नहीं निकाला जायेगा |

5-बिना राष्ट्रपति के संस्तुति के कर निर्धारण वाला कोई विधेयक संसद में पुरस्थापित नहीं होगा | इस तरह के किसी विधेयक को राज्यसभा में पुरस्थापित नहीं किया जायेगा |

6-संसद किसी कर को कम या समाप्त कर सकती हैं लेकिन इसे बढ़ा नहीं सकती हैं |

7-बजट में व्यय अनुमान को भारत की संचित निधि पर भारित व्यय तथा भारत की संचित निधि से किये गए व्यय को अलग-अलग दिखाना चाहिये |

9-बजट राजस्व खाते से व्यय और अन्य व्ययों को अलग-अलग दिखायेगा |

10-भारत की संचित निधि पर चार्ज किया गया खर्च संसद में मत के लिए प्रस्तुत नहीं किया जायेगा | हालांकि इस पर संसद में चर्चा हो सकती हैं |

बजट के प्रकार-

जिस आधार पर आयों तथा व्ययों का वर्गीकरण होता हैं, उसके अनुसार बजट भिन्न-भिन्न प्रकार के होते हैं | मोटे तौर पर बजटो का वर्गीकरण 4 प्रकार का होता हैं |

1-संस्था या उसके विभागों के आधार पर 

2-प्रयोजन या कार्य के आधार पर 

3-विधि-विधान के आधार पर 

4-उद्देश्य के आधार पर 

संस्था या विभाग को आधार मानने पर विभागीय प्रकार का बजट बनाता हैं बजट में प्रत्येक विभाग के आयों तह व्ययों का वितरण होता हैं |अनेक देशों में इस प्रकार के बजट को अपनाया जाता हैं, जैसे भारत, इंग्लैंड|

प्रयोजन-बजट में आय-व्यय के प्रत्येक कार्य और प्रयोजन को लेकर आकड़ें दिए जाते हैं \इसलिए इस प्रकार के दूसरे बजट का नाम निष्पादन बजट या कार्यक्रम-बजट भी हैं |अमेरिका की हूवर समिति ने सिफारिश की थी कि "सरकारी बजट उपलब्धि अथवा कार्यक्रम बजट बने |आज का संपूर्ण बजट विधान पुन:निर्मित होना चाहिये और कार्यों, क्रिया-व्यापारों तथा योजनाओं के आधार पर बजट बनाने चाहिये |" यह निष्पादन बजट हैं |

व्यय की प्रकृति और स्वरुप को ध्यान में रखकर जो बजट बनाये जाते हैं उनको राजस्व तथा पूंजीगत बजट (Revenue And Capital Budget) कहते हैं |

बजट का अंतिम वर्गीकरण प्रयोजन के विचार से होता हैं | सामान खरीदने, वेतन वितरण करने, पारिश्रमिक देने आदि पर धन व्यय होता हैं |ये भिन्न-भिन्न प्रयोजन या लक्ष्य हैं जिन पर खर्च किया जाना हैं |

व्यवहार में कोई बजट एक ही विशुद्ध प्रकार का नहीं होता हैं | वास्तविक बजट मिश्रित प्रकार का होता हैं | भारत के बजट में जो प्रधान, अप्रधान अथवा उपप्रधान शीर्षक होते हैं, वे प्रायः विभागों को ही सूचित करते हैं | उनमें से कुछ उद्देश्य अथवा प्रकृति अथवा खर्च के लक्ष्य की ओर संकेत करते हैं |

इन आधारों पर बजट निम्न प्रकार के हैं -

बजट क्या है बजट के प्रकार

1-कार्य निष्पादन बजट (Performance Budget)

2-जीरो-बेस बजट (Zero-Base Budget-ZBB)

3-नियोजन कार्यक्रम बजट व्यवस्था (Planning Programme Budget System-PPBS)

4-लिंग बजट (Gender Budget)

बजट पारित होने की प्रक्रिया-

संसद में बजट निम्नलिखित 6 स्तरों से गुजरता हैं-

बजट क्या है बजट के प्रकार

1-बजट का प्रस्तुतीकरण 

2-आम बहस 

3-विभागीय समितियों द्वारा जाँच 

4-अनुदान की मांग पर मतदान 

5-विनियोग विधेयक का पारित होना 

6-वित्त विधेयक का पारित होना 

केंद्रीय बजट के उद्देश्य-

केंद्रीय बजट के निम्न उद्देश्य है

1-आर्थिक वृद्धि 

2-गरीबी तथा बेरोजगारी दर में कमी 

3-आर्थिक असमानता को कम करना 

4-आर्थिक स्थिरता 

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बजट सम्बंधित शब्दावली-

अंतरिम बजट-

अंतरिम बजट, जिसे 'लेखानुदान' की रूप में भी जाना जाता हैं, जिसका मतलब है कि सरकार वित्तीय वर्ष के पहले 4 महीनों के लिए व्यय को पूरा करने के लिए संसद की मंजूरी लेती हैं | जब तक एक नयी सरकार कार्यभार नहीं संभालती और पूर्ण बजट पेश नहीं करती हैं, जिसे पूरे वित्तीय वर्ष के लिए संशोधित किया जाता हैं|

अंतरिम बजट केवल निवर्तमान सरकार की आय और पिछले वर्ष के दौरान किये गए खर्चों के बारे में हैं और अगले कुछ महीनों में किये जाने वाले प्रस्तावित खर्चों के लिए संसद की मंजूरी लेने के लिए भी हैं |

स्वंतत्र भारत का पहला बजट अंतरिम बजट था जिसे 1948 में तत्कालीन वित्तमंत्री आर के शणमुखम चेट्टी ने पेश किया था |

भारित व्यय-

यह वह व्यय हैं जो भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं, परन्तु निकासी के लिए संसद की स्वीकृति की आवश्कता नहीं होती हैं |

FAQ-

1-सरकार के लिए बजट पेश करना क्यों जरुरी ?

बजट किसी भी शासन के अनुमानित आय-व्यय का लेखा-जोखा हैं | सरकार एक रोडमैप के साथ बजट पेश करती हैं कि किस मद पर कितना खर्च करने की योजना हैं, बजट आय के साथ-साथ खर्चों को भी संतुलित करता हैं |

2-बजट शब्द की उत्पति कहाँ से हुई ?

बजट(Budget) शब्द फ्रेंच भाषा के लातिन शब्द 'Bulga' से उत्पन्न हुआ हैं जिसका मतलब-चमड़े का थैला | बुल्गा से फ्रांसीसी शब्द बोऊगेट की उत्पति हुई |इसके बाद अंग्रेजी शब्द बोगेट अस्तित्व में आया तथा इसी से बजट(Budget) शब्द की उत्पति हुई |

3-बजट से पहले हलवा रस्म क्या होती हैं ?

बजट से पहले हलवा रस्म का विशेष महत्व हैं | इस रस्म में पहले एक बड़ी कढ़ाही में हलवा तैयार किया जाता जिसे वित्तमंत्री समेत मंत्रालय के सभी कर्मचारियों में बाटा जाता है | उसके बाद सभी कर्मचारी नार्थ ब्लाक के अन्दर बजट की छपाई में लग जाते हैं | बजट से जुड़े सभी अधिकारी व कर्मचारी लॉक कर दिए जाते हैं, उन्हें परिजनों से मिलने और फोन तक करने की छूट नहीं होती हैं |

4-यदि संसद में बजट पास नहीं हुआ तब क्या होता हैं |

ऐसा होने पर सरकार गिर जाती हैं |




 

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