हॉल ही में केरल के पूर्व वित्तमंत्री टी एम थॉमस इसाक को KIIFB मसाला बांड मामले में प्रवर्तन निदेशालय की जाँच के संबंध में केरल उच्च न्यायालय से राहत मिली |इस लेख में मसाला बांड क्या है तथा मसाला बांड के लाभ तथा कमियों के बारे में चर्चा करेंगे |
मसाला बांड क्या है-

मसाला बांड एक भारतीय इकाई द्वारा भारत के बाहर जारी किये गये रूपए-मूल्य वाले बांड है |ये ऋण उपकरण है, जिनका उपयोग स्थानीय मुद्रा में विदेशी निवेशकों से धन जुटाने के लिये किया जाता है |विदेशों में रूपया बांड जारी करने की रुपरेखा बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के अंतर्गत आती है |मसाला बांड सरकारी तथा निजी दोनों संस्थाएं जारी कर सकती है |भारत के बाहर रहने वाले निवेशक जो भारत में परिसम्पतियों में निवेश करना चाहते है, वे इन बांडो की सदस्यता ले सकते है |जो देश वित्तीय कार्यवाही कार्य बल के सदस्य है उनके नागरिक मसाला बांडो की सदस्यता ले सकते है |सदस्यता लेने वाला निवेशक ऐसे होने चाहिए जो प्रतिभूति बाजार नियामक अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन का सदस्य हो |इसके साथ ही भारत जिन बहुपक्षीय तथा क्षेत्रीय वित्तीय संस्थानों का सदस्य है वे भी इन बांड्स की सदस्यता ले सकते है |
मसाला बांड के लाभ-
1-भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) के रूप में पंजीकरण अनावश्यक है, जिससे कागजी कार्यवाही में कमी आती है |
2-मसाला बांड तुलनात्मक रूप से सीमित घरेलू बांड बाजार से दूर विविधता लाने का अवसर प्रदान करते है |
3-ये बांड उन वैश्विक निवेशकों के लिये एक मार्ग बनाते है जिनके पास FII/FPI मार्ग के माध्यम से घरेलू बाजार में प्रवेश कठिन है |
4-पूंजीगत लाभ पर कर छूट प्राप्त होती है,जो निवेशकों के लिये अनुकूल कर उपचार प्रदान करता है |
5-ये रूपए-मूल्य वाले बांड भारतीय स्टेट बैंक की आधार दर से 5% तक अधिक ब्याज दरें प्रदान करते है, जो संभावित रूप से आकर्षक रिटर्न प्रदान करते है |
6-बांड का निपटान अंतर्राष्ट्रीय संरक्षकों के माध्यम से विदेशी मुद्रा में किया जा सकता है, जिससे निपटान प्रक्रिया में लचीलापन तथा सुविधा मिलती है |
मसाला बांड की कमियाँ-
1-Moody का कहना है कि उभरते बाजारों में मुद्रा जोखिमों के संबंध में निवेशकों की सावधानी के कारण मसाला बांड के माध्यम से वित्त पोषण को स्थिरता संबंधित चिंताओं का सामना करना पड़ता है |
2-रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा समय-समय पर दरों में में कटौती ने निवेशकों के लिये मसाला बांड की अपील को कम कर दिया है |
3-उच्च करों की संभावना ने भी इस वित्तीय साधन की प्रभावशीलता को कमजोर कर दिया है |
4-यदि विदेशी निवेशक बड़ी मात्रा में अपने भारतीय मसाला बांड होल्डिंग्स को भुनाने का विकल्प चुनते है, तो इन्हें जारी करने वाली अर्थव्यवस्थाएं विनिमय दर जोखिम उठाती है |
5-ऐसा अंतर्राष्ट्रीय ब्याज दरों में उतार-चढाव या भारत में बिगड़ते व्यापक आर्थिक बुनियादी सिद्धांतों, भारतीय रूपए पर मूल्यह्यस का दबाव डालने जैसे कारकों के कारण हो सकता है |
6-मसाला बांड भारतीय अर्थव्यवस्था में विदेशी निवेशकों का विश्वास बनाने में मदद करता है |
मसाला बांडों से प्राप्त आय का उपयोग कहाँ किया जा सकता है-
मसाला बांडों से प्राप्त आय का उपयोग निम्न प्रकार से किया जा सकता है-
1-रुपया ऋण तथा गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर के पुनर्वित्त में किया जा सकता है |
2-एकीकृत टाउनशिप तथा किफायती आवास परियोजनाओं के विकास के लिये किया जा सकता है |
3-कॉर्पोरेट को कार्यशील पूंजी के रूप में किया जा सकता है |
RBI के आदेश के अनुसार मसाला बांडों से अर्जित आय का उपयोग निम्न जगह नहीं किया जा सकता है-
1-FDI के दिशानिर्देशों के अनुसार गतिविधियाँ निषिद्ध है |
2-पूंजी बाजार में निवेश तथा घरेलू स्तर पर इक्विटी निवेश के लिये आय का उपयोग नहीं किया जा सकता है |
3-भूमि की खरीद में नहीं किया जा सकता है |
FAQ-
1-भारत में प्रथम मसाला बांड कब जारी किये गये थे?
भारत में प्रथम मसाला बांड नवम्बर 2014 में विश्व बैंक द्वारा समर्थित IFC द्वारा जारी किया गया था |
2-मसाला बांड का उद्देश्य क्या है?
मसाला बांड का मुख्य उद्देश्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को वित्त पोषित करना तथा भारतीय मुद्रा का अंतर्राष्ट्रीयकरण करना है |
3-क्या मसाला बांड से अर्जित आय का उपयोग रियल एस्टेट में किया जा सकता है?
नहीं |मसाला बांड से अर्जित आय का उपयोग एकीकृत टाउनशिप तथा किफायती आवास परियोजना के विकास के लिये किया जा सकता है |
4-भारत में मसाला बांड जारी करने वाला प्रथम राज्य कौन सा है?
केरल |
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