हॉल ही में नीति आयोग के राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक (FHI) 2025 में राजकोषीय स्थिरता के मामलें में ओडिशा को शीर्ष स्थान प्राप्त हुआ है, जिसके बाद छत्तीसगढ़, गोवा, झारखंड तथा गुजरात का स्थान आता है |इस लेख में राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक क्या है, इस सूचकांक के उद्देश्य तथा राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक 2025 के मुख्य निष्कर्ष के विषय में चर्चा करेंगे |
इस लेख में-
1-राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक क्या है |
2-राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक के उद्देश्य |
3-प्रमुख संकेतकों का मूल्यांकन |
4-राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक 2025 के मुख्य निष्कर्ष |
राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक क्या है-

नीति आयोग द्वारा राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक पहल का उद्देश्य भारत में राज्यों के राजकोषीय स्वास्थ्य की समझ विकसित करना है |राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक विश्लेषण में 18 प्रमुख राज्यों को शामिल किया गया है जो भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP), जनसांख्यिकी, कुल सार्वजनिक व्यय, राजस्व तथा समग्र राजकोषीय स्थिरता में उनके योगदान के संदर्भ में भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाते है |राज्य लगभग दो-तिहाई सार्वजनिक व्यय तथा कुल राजस्व के एक तिहाई के लिए जिम्मेदार है, इसलिये उनका राजकोषीय प्रदर्शन देश की समग्र आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है |
रिपोर्ट समग्र सूचकांक के माध्यम से प्रत्येक राज्य के राजकोषीय स्वास्थ्य का निष्पक्ष मूल्यांकन करती है, जिससे सर्वोत्तम प्रथाओं के विरुद्ध तुलना तथा बेंचमार्किंग की सुविधा मिलती है |
राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक के उद्देश्य-
राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक के निम्नलिखित उद्देश्य है-
1-मानकीकृत मैट्रिक्स के माध्यम से भारतीय राज्यों में राजकोषीय स्वास्थ्य का तुलनात्मक विश्लेषण प्रदान करना है |
2-राज्यों की राजकोषीय प्रबंधन प्रथाओं में मजबूती तथा चिंता के क्षेत्रों की पहचान करना |
3-अनुभवजन्य मूल्यांकन के माध्यम से पारदर्शिता, जवाबदेही तथा विवेकपूर्ण राजकोषीय प्रबंधन को बढ़ावा देना |
4-राजकोषीय स्थिरता तथा लचीलापन बढ़ाने के उद्देश्य से सूचित निर्णय लेने में नीति निर्माताओं को सहायता करना |
प्रमुख संकेतकों का मूल्यांकन-
राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक (FHI) 2025 राज्यों का मूल्यांकन संकेतकों के व्यापक सेट पर करता है, जिन्हें पांच श्रेणियों में विभाजित किया गया है-
1-कर उछाल-यह मापता है कि राज्य की कराधान नीति आर्थिक विकास के प्रति कितनी संवेदनशील है |
2-ऋण-से-GSDP अनुपात-यह अनुपात राज्य के कुल सार्वजनिक ऋण की तुलना उसके सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) से करता है |
3-ऋण प्रबंधन-ऋण स्थिरता तथा ब्याज बोझ सहित राज्य के ऋण पोर्टफोलियो का विश्लेषण |
4-राजकोषीय घाटा प्रबंधन-सकल राज्य घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में राजकोषीय घाटे का आकलन तथा वैधानिक सीमाओं का पालन |
5-समग्र राजकोषीय स्थिरता-राज्य के राजस्व, व्यय, घाटे तथा ऋण संकेतकों का एक समग्र विश्लेषण |
राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक 2025 के मुख्य निष्कर्ष-
1-ओडिशा 67.8 के शीर्ष स्कोर के साथ सबसे आगे है, जो ऋण स्थिरता तथा पूंजीगत व्यय में उत्कृष्ट है, जो दर्शाता है मजबूत राजकोषीय प्रबंधन |छत्तीसगढ़ तथा गोवा राजस्व जुटाने तथा ऋण प्रबंधन पर ध्यान केन्द्रित करते हुए इसके करीब है |
2-ओडिशा, झारखंड, गोवा तथा छत्तीसगढ़ गैर-कर राजस्व उत्पन्न करने में उत्कृष्ट है, जबकि ओडिशा को खनन राजस्व से लाभ होता है |
3-पंजाब, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल तथा केरल उच्च राजकोषीय घाटे, खराब ऋण स्थिरता तथा कम व्यय गुणवत्ता जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे है |
4-पश्चिम बंगाल तथा पंजाब में ऋण-से-GSDP अनुपात बढ़ रहा है, जिससे उनके ऋण पोर्टफोलियो की स्थिरता के बारे में चिंताएं बढ़ रही है |