International Thermonuclear Experimental Reactor:जानें विश्व की सबसे बड़ी परमाणु संलयन ITER परियोजना के बारें में

International Thermonuclear Experimental Reactor:हॉल ही में भारत ने विश्व की सबसे बड़ी परमाणु संलयन परियोजना अंतर्राष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगिक रिएक्टर (ITER) में Central Solenoid के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण घटक प्रदान कर एक अहम भूमिका निभाई है |इस लेख में ITER परियोजना क्या है, इस परियोजना में भारत की भूमिका, इस परियोजना के उद्देश्य तथा महत्व पर चर्चा करेंगे |

International Thermonuclear Experimental Reactor परियोजना क्या है-

International Thermonuclear Experimental Reactor:जानें विश्व की सबसे बड़ी परमाणु संलयन ITER परियोजना के बारें में

अंतर्राष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगिक रिएक्टर (ITER) फ्रांस में स्थित है |यह 35 देशों का एक सहयोग ही जिसे 1985 में शुरू किया गया था |

यह परियोजना दक्षिणी फ्रांस में स्थित है, जिसका उद्देश्य परमाणु संलयन को एक व्यावहारिक, स्वच्छ तथा टिकाऊ ऊर्जा स्रोत के रूप में प्रदर्शित करना है |यह पारंपरिक परमाणु विखंडन से अलग है तथा संलयन प्रक्रिया हाइड्रोजन परमाणुओं को मिलाकर ऊर्जा उत्पन्न करती है, जिससे कार्बन मुक्त ऊर्जा मिलती है तथा दीर्घकालिक रेडियोधर्मी अपशिष्ट उत्पन्न नहीं होता है |

इस परियोजना का प्राथमिक लक्ष्य 'बर्निंग प्लाज्मा' बनाना है, जो एक आत्मनिर्भर अवस्था है जो केवल 50 मेगावाट इनपुट ऊर्जा से 500 मेगावाट बिजली का उत्पादन करने में सक्षम होगी |संलयन एक अत्यंत जटिल तकनीक की मांग करता है तथा ITER इसका एक असाधारण उदाहरण है |संलयन प्रक्रिया में 'टोकोमक' नामक डोनट-आकार का रिएक्टर प्रयोग किया जाता है, जिसमें संलयन अभिक्रिया होगी |

अंतर्राष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगिक रिएक्टर (ITER) का केंद्रबिंदु 'केंद्रीय सोलनॉयड' होता है, जोकि एक विशाल मैग्नेटिक प्रणाली है, जो संलयन प्रतिक्रिया को शुरू तथा नियंत्रित करती है |

ITER में भारत की भूमिका-

भारत ने ITER परियोजना में कई महत्वपूर्ण घटकों की आपूर्ति कर वैज्ञानिक अनुसंधान तथा विकास में अपनी वैश्विक स्थिति को सुदृढ़ किया है-

1-क्रायोस्टेट-यह विशाल कक्ष जो रिएक्टर को संरचनात्मक मजबूती देता है तथा क्षति से बचाता है |

2-क्रायोलाइन्स-शीतलन प्रणालियां जो तरल हीलियम का उपयोग करके चुम्बकों को -269°C के चरम तापमान तक कम कर देती है, जिससे वे संलयन प्रक्रिया में प्रभावी रूप से कार्य करने में सक्षम हो जाते है |

3-हीटिंग सिस्टम-प्लाज्मा का तापमान 15 करोड़ °C से ऊपर ले जाने के लिए आवश्यक, ताकि संलयन प्रक्रिया निरंतर बनी रहे |

4-इन-वॉल शील्डिंग तथा कूलिंग सिस्टम-रिएक्टर को विकिरण क्षति से बचाते है तथा संचालन की स्थिति को अनुकूल बनाये रखते है |

ITER का महत्व-

अंतर्राष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगिक रिएक्टर प्रथम ऐसा संलयन उपकरण है जो दीर्घकालिक अवधि तक संलयन को बनाये रखेगा तथा संलयन पर आधारित बिजली के उत्पादन के लिए जरुरी सामग्रियों, प्रोद्योगिकियों तथा भौतिक व्यवस्थाओं का परीक्षण करेगा |

ITER में अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी-

ITER परियोजना में 30 से अधिक देश शामिल है, जिसमें भारत, अमेरिका, चीन, रूस, जापान, दक्षिण कोरिया तथा यूरोपीय यूनियन प्रमुख है |यह वैश्विक सहयोग विशेषज्ञता तथा संसाधनों को साझा करने की सुविधा देता है, जो परमाणु संलयन जैसे जटिल क्षेत्र में अत्यंत आवश्यक है |ITER समझौते 2006 के अनुसार भारत, अमेरिका, चीन, रूस, जापान, दक्षिण कोरिया तथा यूरोपीय यूनियन परियोजना के निर्माण, संचालन आदि की लागत साझा करेंगे |

परमाणु संलयन क्या है-

संलयन का अर्थ जुड़ना, परमाणु संलयन दो हल्के नाभिक से एक एकल भारी नाभिक बनने के प्रक्रिया है |इस प्रक्रिया में दो हल्के नाभिक आपस में जुड़कर एक भारी नाभिक बनाते है तथा परिणाम में बड़ी मात्रा में ऊर्जा मुक्त करते है |इस प्रक्रिया में नाभिक को संलयित करने के लिए अधिक मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है |संलयन प्रक्रिया के लिए कई मिलियन डिग्री तापमान तथा कई मिलियन पास्कल दाब वाली परिस्थिति की आवश्यक होती है |

संलयन से प्राप्त ऊर्जा परमाणु विखंडन से निकलने वाली ऊर्जा से तीन से चार गुना अधिक होती है |परमाणु संलयन प्रोद्योगिकी के उपयोग निम्नलिखित है-

1-बिजली उत्पादन-संलयन रिएक्टर बेसलोड पॉवर उत्पन्न करने का लक्ष्य रखते है जिससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन नहीं होता है तथा यह जीवाश्म ईंधन के लिए एक टिकाऊ विकल्प प्रदान करता है |

2-हाइड्रोजन उत्पादन-उच्च तापमान संलयन ऊष्मा थर्मोकेमिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से पानी को विभाजित कर सकती है, जिससे बड़े पैमाने पर हरित हाइड्रोजन उत्पादन संभव हो सकता है |

3-कैंसर थेरेपी आइसोटोप-संलयन से उत्पन्न न्यूट्रॉन डायग्नोस्टिक इमेजिंग तथा लक्षित उपचारों के लिए मोलिब्डेनम-99 जैसे रेडियो आइसोटोप का उत्पादन कर सकते है |

4-चंद्र या मंगल बेस-जीवन समर्थन, आवास ताप तथा संसाधनों के उपयोग के लिए विश्वसनीय ऊर्जा प्रदान करते है |

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