Vizhinjam Port:हॉल ही में भारत के केरल में एक पोर्ट का उद्घाटन किया गया है, जिसका नाम विझिंजम पोर्ट है |यह भारत का पहला ट्रांसशिपमेंट हब है |जब एक देश अपने समुद्री मार्गों पर नियंत्रण करता है तो वह केवल व्यापार ही नहीं बल्कि अपने रणनीतिक प्रभुत्व को भी स्थापित करता है |इसी सन्दर्भ में विझिंजम पोर्ट भारत के लिए विशेष महत्व रखता है |इस लेख में विझिंजम पोर्ट के बारें में चर्चा करेंगे |
Vizhinjam Port के बारें में-

विझिंजम पोर्ट के उद्घाटन के बाद से भारत को वैश्विक समुद्री व्यापार के एक बड़े केंद्र के रूप में मान्यता मिल जाएगी |अब तक भारत की समुद्री व्यापारिक निर्भरता कोलंबों, सिंगापुर या संयुक्त अरब अमीरात के पोर्ट्स पर थी क्योंकि भारत के पास ऐसा कोई पोर्ट्स नहीं था जहाँ पर बड़े-बड़े जहाज आ सकते हो |विझिंजम पोर्ट के उद्घाटन के बाद भारत समुद्री व्यापारिक केंद्र के रूप में वैश्विक स्तर पर अपना स्थान बनाने में सक्षम हुआ है |
2 मई 2025 को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा केरल में भारत के पहले ट्रांसशिपमेंट हब के रूप में विझिंजम पोर्ट का उद्घाटन किया गया |यहाँ बड़े-बड़े जहाजों से माल सीधे छोटे जहाजों में लादा जा सकेगा |
यह पोर्ट केरल के तिरुवनंतपुरम जिले में अरब सागर के तट पर स्थित है |इस पोर्ट की लागत 8900 करोड़ रुपये की है तथा यह सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर आधारित है |
इस पोर्ट का संचालन अदाणी ग्रुप करेगा लेकिन इसमें केरल सरकार की 61.5% की हिस्सेदारी होगी |
इस पोर्ट की प्राकृतिक गहराई 18-20 मीटर है |इसका मतलब यह है कि बड़े जहाज बिना खुदाई (Dredging) के आ सकते है |तट से 1 किलोमीटर दूर ही जो बड़े जहाज है वह आसानी से आ सकेंगे तथा फिर उनसे छोटे जहाजों से रेल, वायु तथा सड़क मार्ग के द्वारा मालों को विभिन्न हिस्सों में पहुँचाया जा सकता है |
इस पोर्ट की प्रारंभिक क्षमता प्रतिवर्ष 1 मिलियन कंटेनर (TEU) है |लेकिन भविष्य में दो चरणों में 6.4 मिलियन TEU की अतिरिक्त क्षमता यहाँ पर विकसित कर ली जाएगी |
Note-TEU क्या होता है-
TEU एक माप होती है |इसका पूरा नाम Twenty-Foot Equivalent Unit है |जब 20 फीट लंबा कंटेनर होगा उसको एक इकाई माना जायेगा |
ट्रांसशिपमेंट हब क्या है और उसकी रणनीतिक आवश्यकता-
ट्रांसशिपमेंट हब अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मार्गों के पास स्थित होते है तथा इनकी प्राकृतिक गहराई अधिक होती है |यहाँ बड़े-बड़े कंटेनर आते है उनकी शिफ्टिंग की क्षमता बड़े जहाजों से छोटे जहाजों में तेज होती है |इसके अतिरिक्त यहाँ लॉजिस्टिक कनेक्टिविटी बेहतर होती है क्योंकि यहाँ पर इस तरह के जो भी ट्रांसशिपमेंट हब बनाये जाते है उनकी सड़क मार्ग, रेल मार्ग या हवाई मार्ग से कनेक्टिविटी बेहतर होती है |
ट्रांसशिपमेंट हब ऐसे पोर्ट होते है जहाँ पर कई बड़े-बड़े जहाज आ सके तथा फिर उनसे छोटे जहाजों में माल दूसरी जगहों पर जा सके |विश्व के जितने बड़े जहाज है वहां आ सकते हो तभी उसको वैश्विक समुद्री व्यापार के केंद्र के रूप में मान्यता मिलती है |
अब तक भारत में गहरे पानी वाला ट्रांसशिपमेंट पोर्ट नहीं था इसीलिए भारत की निर्भरता कोलंबो, सिंगापुर या यूएई पर थी |यदि किसी परिस्थितिवश कोई संकट आ जाता तो हमारा व्यापार प्रभावित हो सकता है |लागत में वृद्धि अधिक हो जाती है, हर कंटेनर पर 80$ से 100$ अतिरिक्त खर्च बढ़ जाता है |समय की हानि होती है |कोई क्रेता आपको वरीयता तभी देगा जब उसको सामान समय पर मिले |इस प्रकार भारत को प्रतिवर्ष लगभग 200 से 220 मिलियन डॉलर का नुकसान हो रहा था |ऐसी दशा में इस पोर्ट के बनने से भारत को फायदा होगा |
विझिंजम पोर्ट के फायदे-
1-प्राकृतिक गहराई-
इस पोर्ट की मात्र 1 किलोमीटर तट पर ही 18 से 20 मीटर की गहराई है तो इसमें जो बड़े-बड़े जहाज है वह आसानी से आ सकते |
2-कम बालू संचलन (Littoral Drift)-
इस पोर्ट के तटरेखा पर बालू का बहाव कम है, जिससे कम मरम्मत की आवश्यकता होगी |यह प्राकृतिक रूप से ऐसा क्षेत्र है जहाँ बालू का बहाव कम है |जब बालू का बहाव अधिक होता है तो समुद्री लहरों के द्वारा पोर्ट की संरचना को नुकसान होता है तथा उसकी सतह उथली हो जाएगी जोकि जहाजों के लिए ठीक नहीं रहता है |फिर बार-बार उसकी मरम्मत की जरुरत पड़ती है |लेकिन विझिंजम पोर्ट पर बालू का बहाव कम है जिस कारण से यहाँ मरम्मत की जरुरत कम पड़ेगी |
3-अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग रूट-

इस पोर्ट से अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग रूट सिर्फ 10 नॉटिकल मील दूरी पर है |
4-अच्छी कनेक्टिविटी-
इस पोर्ट से केवल 2 किमी. की दूरी पर ही राष्ट्रीय राजमार्ग है, रेलवे स्टेशन 12 किमी तथा हवाईअड्डा 15 किमी की दूरी पर स्थित है |इसलिए इस पोर्ट से कनेक्टिविटी बेहतर स्थित में है |
5-लागत में कमी-
इस पोर्ट के उद्घाटन से पहले भारत की निर्भरता दूसरे देशों पर थी जिस कारण से परिचालन व्यय, रख-रखाव के खर्चे में वृद्धि हो जाती थी |अब इस पोर्ट के निर्माण के बाद लागत दर में कमी आएगी |
6-समय की बचत-
कोई भी क्रेता किसी को वरीयता तभी देता है जब उसको सामान समय पर मिल जाये |इस पोर्ट के निर्माण के बाद भारत समय पर माल की डिलीवरी कर सकता है |
विझिंजम पोर्ट का भारतीय लॉजिस्टिक तथा अर्थव्यवस्था के लिए महत्व-
1-लॉजिस्टिक लागत घटेगी-
इस पोर्ट के निर्माण के बाद लॉजिस्टिक लागत घटेगी क्योंकि अब देश के अन्दर ही कंटेनर स्थानांतरित होंगे |पहले हमें जो परिवहन पर खर्च करना पड़ रहा था अब वह खर्च बचेगा |साथ ही साथ भारत आत्मनिर्भर बनेगा क्योंकि अब विदेशी पोर्ट्स पर हमारी निर्भरता कम होगी |
इस पोर्ट के निर्माण के बाद भारत के राजस्व को प्रतिवर्ष 200 से 220 मिलियन डॉलर बचत की उम्मीद है |
2-भारत आत्मनिर्भर बनेगा-
साथ ही साथ इस पोर्ट के निर्माण के बाद भारत आत्मनिर्भर बनेगा क्योंकि अब विदेशी पोर्ट्स पर हमारी निर्भरता कम होगी |पहले हम जो कोलंबो, सिंगापुर तथा यूएई पर समुद्री व्यापार के लिए निर्भर थे अब वह नहीं है |
3-व्यापार में तेजी-
डिलीवरी समय घटेगा जिससे व्यापार में तेजी आएगी |ऐसी दशा में एक उम्मीद यह भी है कि भारत का निर्यात भी बढ़ेगा |
4-आर्थिक विकास-
इस पोर्ट के निर्माण से नौकरी तथा आर्थिक विकास भी होगा क्योंकि जिस क्षेत्र में यह विकसित हो रहा है वहां पर रोजगार सृजन होगा तथा स्थानीय लोगों को नए अवसर प्रदान होंगे |
Read More-Pamban Bridge:जानें क्यों खास है भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज