International Labour Day:इसे अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के नाम से भी जाना जाता है |उद्योगों तथा विभिन्न क्षेत्रों में मजदूरों की मेहनत और योगदान को सम्मानित करने के लिए यह दिन समर्पित है |इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने की आवश्यकता पर जोर दिया |इस लेख में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस को मनाने का कारण, इतिहास, इसके महत्व तथा अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के योगदान के विषय में चर्चा करेंगे |
International Labour Day-

प्रति वर्ष 1 मई को भारत सहित विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है |अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस को लेबर डे, मई दिवस, इंटरनेशनल वर्कर डे, कामगार दिन, श्रमिक दिवस के नाम से भी जाना जाता है |1 मई विश्वभर के मजदूरों तथा श्रमिकों को समर्पित है |मजदूर दिवस मजदूरों तथा श्रमिकों की उनकी उपलब्धियों तथा राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को दर्शाने के लिए मनाया जाता है |मजदूर दिवस मनाने का उद्देश्य मजदूरों तथा श्रमिकों को संगठित करना, उनके मध्य आपसी एकता को मजबूत करना तथा अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करना है |आज के दिन मजदूरों के जीवन में आने वाली समस्याओं तथा उनके समाधान पर मंथन किया जाता है |अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा इस दिन सम्मलेन का आयोजन किया जाता है तथा विश्वभर में सरकारों द्वारा मजदूरों के लिए कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की जाती है |अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस विश्व के निर्माण में मजदूरों तथा श्रमिकों के योगदान तथा बलिदान को दर्शाता है |
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस का इतिहास-
मजदूर दिवस का इतिहास 137 वर्ष पुराना है |मजदूर दिवस की जड़ें 1886 में अमेरिका में हुए श्रमिक आंदोलन से जुडी है |1880 के में दशक अमेरिका तथा पश्चिमी देशों में औद्योगिकीकरण का दौर चल रहा था |उस समय मजदूरों से असीमित काम लिया जाता था |उन्हें सूर्योदय से सूर्यास्त तक काम करने के लिए मजबूर किया जाता था जबकि वेतन नाममात्र दिया जाता था |इसी के विरोध में अमेरिका तथा कनाडा की ट्रेड यूनियनों के संगठन फेडरेशन ऑफ़ ऑर्गनाइज्ड ट्रेड्स एंड लेबर यूनियन ने तय किया किया मजदूर 1 मई 1886 के बाद 8 घंटे से अधिक काम नहीं करेंगे |इसके बाद अमेरिका में लाखों श्रमिक इस मांग के लिए हड़ताल पर चले गए तथा यही से बड़े श्रमिक आंदोलनों की शुरुआत हुयी |इस आंदोलन के दौरान कुछ पुलिस वालों ने मजदूरों पर गोली चला दी जिसमें कई मजदूरों की मौत हो गयी तथा कई घायल हो गए |इस घटना के बाद 1889 में पेरिस में इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांफ्रेंस हुयी जिसमें 1 मई को मजदूरों तथा श्रमिकों को समर्पित करने की घोषणा की गयी |
अमेरिका में हुए इस आंदोलन के कारण ही वर्तमान समय में कामकाज के लिए 8 घंटे निर्धारित है |
भारत के प्रथम मजदूर दिवस समारोह के बारें में-
इसके लिये ट्रिप्लिकेन समुद्र तट पर तथा मद्रास हाईकोर्ट के पास दो अहम बैठकों का आयोजन किया गया था |मलयपुरम सिंगरावेलु चेट्टियार द्वारा स्थापित लेबर किसान पार्टी द्वारा इन बैठकों का आयोजन किया गया था |1923 को मद्रास में सर्वप्रथम भारत में मजदूर दिवस मनाया गया | यह पार्टी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से भी जुड़ी थी |इस बैठकों के दौरान एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें ब्रिटिश सरकार से 1 मई को मजदूर दिवस घोषित करने तथा इसे सरकारी अवकाश बनाने का अनुरोध किया गया|
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस का महत्व-
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस विश्व के निर्माण में मजदूरों तथा श्रमिकों के योगदान को सम्मान देने का दिन है |वर्तमान समय में भी विश्वभर के मजदूरों को उनके हक़ की मजदूरी, सुरक्षित वर्क एनवायरनमेंट और सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करना पड़ता है |इसलिए इस दिन को मना कर हम उनके संघर्षों को याद करते है तथा उनको अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने का प्रयास करते है |
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के बारे में-
1919 से अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन एकमात्र त्रिपक्षीय संयुक्त राष्ट्र संगठन है |अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन 187 सदस्य देशों की सरकारों, नियोक्ताओं तथा मजदूरों को एक मंच प्रदान करता है, जिसके माध्यम से श्रम मानकों का निर्धारण किया जा सकें, नीतियों को विकसित किया जा सकें तथा समस्त पुरुषों एवं महिलाओं के लिए सभ्य कार्य को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम तैयार किये जा सकें |इसे वर्साय संधि के माध्यम से 1919 में राष्ट्र संघ की एक एजेंसी के रूप में स्थापित किया गया था |
1946 में यह संयुक्त राष्ट्र की पहली संबद्ध विशेष एजेंसी बनी |इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है |इस संगठन का का मानना है कि सार्वभौमिक तथा स्थायी शांति के लिये सामाजिक न्याय आवश्यक है |यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त मानव तथा श्रम अधिकारों को बढ़ावा देता है |
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) को विभिन्न वर्गों के मध्य शांति में सुधार हेतु, श्रमिकों के लिये सभ्य कार्य तथा न्याय सुनिश्चित करने तथा अन्य विकासशील देशों को तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए 1969 में नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त किया गया था |
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन का संगठनात्मक ढांचा इस प्रकार से है-
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन अपना कार्य तीन मुख्य निकायों के माध्यम से पूरा करता है जिनमें सरकार, नियोक्ता तथा श्रमिक प्रतिनिधि शामिल होते है |
1-अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मलेन:
यह अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों तथा अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की व्यापक नीतियों को निर्धारित करता है |इसकी बैठक प्रति वर्ष जिनेवा में होती है |इसे अक्सर अंतर्राष्ट्रीय श्रम संसद के रूप में जाना जाता है |
2-शासी निकाय:
यह अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की कार्यकारी परिषद है |इसकी बैठक वर्ष में तीन बार जेनेवा में होती है |यह ILO के नीतिगत निर्णय लेता है और कार्यक्रम तथा बजट तैयार करता है, जिसे वह अपनाने के लिए सम्मलेन में प्रस्तुत करता है |शासी निकाय तथा कार्यालय के कार्य को प्रमुख उद्योगों को कवर करने वाली त्रिपक्षीय समितियों द्वारा सहायता प्रदान की जाती है |
3-अंतर्राष्ट्रीय श्रम कार्यालय:
यह अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) का स्थायी सचिवालय है |अंतर्राष्ट्रीय श्रम कार्यालय ILO की सम्पूर्ण गतिविधियों का केंद्र बिंदु है, जिसे यह शासी निकाय की जाँच तथा महानिदेशक के नेतृत्व में तैयार करता है |
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