हॉल ही में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ए.एम.खानविलकर को भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है | इस लेख में लोकपाल क्या है,लोकपाल की संरचना,लोकपाल का अधिकार क्षेत्र और शक्तियों तथा भारत के वर्तमान लोकपाल की नियुक्ति के सम्बंधित में बताया गया है |
इस लेख में-
1-लोकपाल क्या है |
2-लोकपाल की संरचना |
3-लोकपाल का अधिकार क्षेत्र और शक्तियाँ |
4-भारत के वर्तमान लोकपाल की नियुक्ति |
6-लोकपाल-विश्व परिदृश्य |
लोकपाल क्या है-

भारत में लोकपाल बिना किसी संवैधानिक स्थिति के वैधानिक निकाय है |
लोकपाल वह अधिकारी या व्यक्ति होते हैं,जो कुछ लोक पदाधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोपों तथा सम्बंधित मामलों की जाँच करते है |
लोकपाल की संरचना-

2-या सुप्रीम कोर्ट का पूर्व न्यायाधीश |
3-या सत्यनिष्ठा तथा उत्कृष्ट क्षमता वाला एक प्रतिष्ठित व्यक्ति,जिसके पास भ्रष्टाचार विरोधी नीति,लोक प्रशासन,सतर्कता,बीमा तथा बैंकिंग,कानून और प्रबंधन सहित वित्त से सम्बंधित मामलों में न्यूनतम 25 वर्षों का विशेष अनुभव तथा विशेषज्ञता हो |
अधिकतम 8 सदस्यों में से आधे न्यायिक सदस्य होंगे तथा न्यूनतम 50% सदस्य अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछडा वर्ग या अल्पसंख्यक तथा महिलायें होंगी |
लोकपाल का न्यायिक सदस्य या तो सुप्रीम कोर्ट का पूर्व न्यायाधीश या हाईकोर्ट का पूर्व मुख्य न्यायाधीश हो |
गैर-न्यायिक सदस्य को सत्यनिष्ठा तथा उत्कृष्ट क्षमता वाला एक प्रतिष्ठित व्यक्ति होना चाहिये,जिसके पास भ्रष्टाचार विरोधी नीति,लोक प्रशासन,सतर्कता,बीमा तथा बैंकिंग,कानून और प्रबंधन सहित वित्त से सम्बंधित मामलों में न्यूनतम 25 वर्षों का विशेष अनुभव तथा विशेषज्ञता हो |
लोकपाल के अध्यक्ष तथा सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष या 70 वर्ष की आयु तक होता है |
लोकपाल के सदस्यों और अध्यक्षों को राष्ट्रपति द्वारा एक चयन समिति की सिफारिश पर नियुक्त किया जाता है |
चयन समिति निम्न से मिलकर बनती है-
2-लोकसभा अध्यक्ष
3-लोकसभा में विपक्ष का नेता
4-भारत का मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित न्यायाधीश
5-एक प्रख्यात न्यायविद
अध्यक्ष तथा सदस्यों के लिए चयन समिति कम-से-कम 8 व्यक्तियों का एक सर्च पैनल गठित करती है|
वर्ष 2013 के लोकपाल अधिनियम के तहत,कार्मिक तथा प्रशिक्षण विभाग को लोकपाल के अध्यक्ष या सदस्य बनने में रूचि रखने वाले उम्मीदवारों की एक सूची तैयार करनी होती है |
इसके बाद यह सूची प्रस्तावित 8 सदस्यीय खोज समिति के पास जाएगी,जो नामों को शार्टलिस्ट करेगी तथा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले चयन पैनल के समक्ष रखेगी |
चयन पैनल खोज समिति द्वारा सुझायें गए नामों को चुन भी सकता हैं तथा नहीं भी |
लोकपाल का अधिकार क्षेत्र और शक्तियाँ-
लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में PM,मंत्री,संसद के सदस्य,समूह A,B,C तथा D के अधिकारी तथा केंद्र सरकार के अधिकारी शामिल होते है |
इसे प्रधानमंत्री, अन्तराष्ट्रीय सम्बन्ध,सुरक्षा,सार्वजनिक व्यवस्था,परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष से सम्बंधित मामलों में भ्रष्टाचार के आरोपों से बाहर रखा गया है |
संसद में कही गयी किसी बात या वहाँ दिये गए वोट के सन्दर्भ में लोकपाल के पास मंत्रियों तथा सांसदों पर कोई अधिकार नहीं है|
इनके पास CBI को निर्देश देने की शक्तियां हैं |
इसके Inquiry Wing को सिविल कोर्ट की शक्तियाँ प्रदान की गई है |
लोकपाल के पास विशेष परिस्थितियों में भ्रष्टाचार के माध्यम से उत्पन्न या प्राप्त की गयी सम्पतियों,आय,प्राप्तियों,तथा लाभों को जब्त करने का अधिकार हैं |
लोकपाल के पास भ्रष्टाचार के आरोपों से सम्बंधित लोक सेवक के स्थानांतरण या निलबन की सिफारिश करने की शक्ति है |
भारत के वर्तमान लोकपाल की नियुक्ति-
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ए,एम.खानविलकर को भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है | इसके साथ ही उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी,संजय यादव तथा ऋतुराज अवस्थी को लोकपाल के न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है |
27 मई,2022 को न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्रघोष का कार्यकाल पूरा होने के बाद से लोकपाल अपने नियमित प्रमुख के बिना कार्यरत है |
लोकपाल-विश्व परिदृश्य-
लोकतंत्र की सफलता तथा सामाजिक-आर्थिक विकास की प्राप्ति नागरिकों की शिकायतों के त्वरित निवारण पर निर्भर करती है |इसीलिए दुनिया के विभिन्न देशों में इन शिकायतों के निवारण के लिए निम्न संस्थागत युक्तियाँ सृजित की गयी है-
2-प्रशासनिक न्यायालय प्रणाली
3-प्रोक्यूरेटर प्रणाली
दुनिया में नागरिक शिकायतों के निवारण के लिए सबसे पुरानी लोकतान्त्रिक संस्था स्केंडिनेवियन देशों की संस्था ओम्बुड्समैन है | डोनाल्ड सी.रॉबर्ट जोकि ओम्बुड्समैन के अन्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अधिकारिक विद्वान है,जिन्होंने कहा है कि ओम्बुड्समैन,"नागरिकों की अन्यायपूर्ण प्रशासनिक कार्यवाईयों के खिलाफ परिवादों को दूर करने के लिए विलक्षण रूप से उपयुक्त संस्था हैं |"
ओम्बुड्समैन संस्था पहली बार 1809 में गठित की गयी थी | ओमबुद (Ombud) एक स्वीडिश शब्द है जो एक ऐसे व्यक्ति की और इंगित करती हैं जो कि किसी अन्य व्यक्ति के प्रतिनिधि अथवा प्रवक्ता के रूप में कार्य करता है | डोनाल्ड सी.रॉबर्ट के अनुसार ओम्बुड्समैन का आशय ऐसे पदाधिकारी से है जो कि विधायिका द्वारा प्रशासनिक तथा न्यायिक कार्यवाई के खिलाफ परिवादों के निवारण के लिए नियुक्त किया जाता है |
स्वीडन का ओम्बुड्समैन संसद द्वारा 4 साल के लिए नियुक्त किया जाता है |यह संसद द्वारा ही हटाया जा सकता है | यह विधायिका के साथ ही कार्यपालिका तथा न्यायपालिका से भी आज़ाद होता है |यह न्यायाधीशों सहित किसी भी गलत सरकारी सेवक के खिलाफ अभियोग दायर कर सकता है |तथापि वह स्वयं कोई दंड देने का अधिकार नहीं रखता है |वह आवश्यक सुधारात्मक कार्यवाई के लिए उच्च अधिकारियों को अवगत कराता है |
न्यूजीलैंड प्रथम कॉमनवेल्थ देश है जिसने 1962 में ओम्बड्समैन प्रणाली को पार्लियामेंट्री कमिश्नर फॉर इन्वेस्टीगेशन के रूप में अपनाया |
ओम्बुड्समैन को भारत में लोकपाल/लोकायुक्त कहा जाता है |
समाजवादी देशों जैसे-रूस,चीन,पोलैंड,हंगरी,चेकोस्लोवाकिया तथा रोमानिया ने भी लोक परिवादों के लिए संस्थागत युक्ति सृजित की है |इन्हें मुख्तार प्रणाली (प्रोक्यूरेटर सिस्टम) कहते है|
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