Digital Rape:क्या होता है डिजिटल रेप, जानें डिजिटल रेप और वर्चुअल रेप में अंतर

लखनऊ में एक चार वर्ष की बच्ची के साथ डिजिटल रेप का मामला सामने आया है |लखनऊ में जब एक बच्ची स्कूल से घर लौटती है तो वह अपनी माँ से बस इतना कहती है, मम्मी मुझे नीचे दर्द हो रहा है |हैरान माँ डॉक्टर के पास ले जाती है, वहां जाँच होती है तथा सामने आता है एक डिजिटल बलात्कार |यह घटना कोई काल्पनिक घटना नहीं है बल्कि हॉल ही में लखनऊ में हुई एक ऐसी घटना की जहाँ स्कूल ड्राइवर ही बना रक्षक से भक्षक |इस लेख में Digital Rape क्या है, इस घटना के बारें में और डिजिटल रेप तथा वर्चुअल रेप में क्या अंतर है विषय पर चर्चा करेगें |

क्या है घटना-

लखनऊ में एक प्रतिष्ठित स्कूल के वैन चालक ने चार वर्ष की मासूम से स्कूल ले जाते समय वैन में अनाचार किया |जब बच्ची ने सारी बात मां को बताई तब मां शिकायत लेकर स्कूल पहुंची तो आरोपी चालक ने धमकाया |स्कूल प्रबंधक से शिकायत की तो कोई कार्यवाही नहीं की गयी |उसके बाद मां ने वैन चालक मो. आरिफ और स्कूल प्रबंधक संदीप कुमार के खिलाफ इंदिरानगर थाने में केस दर्ज कराया |आरोपी चालक को गिरफ्तार कर लिया गया है |

हरदोई के कोतवाली देहात निवासी महिला चार साल की बेटी के साथ इंदिरानगर में रहती है |उसने इंदिरानगर स्थित एक स्कूल में बच्ची का दाखिला कराया था |महिला के अनुसार स्कूल के प्रबंधक संदीप कुमार ने बच्ची के आने-जाने के लिए वैन की व्यवस्था करायी थी |14 जुलाई की दोपहर बच्ची घर पहुंची तो वह काफी परेशान थी |बेटी ने बताया कि उसके निजी पार्ट में दर्द हो रहा है |माँ बेटी को लेकर डॉक्टर के पास गयी, वहां पता चला कि बच्ची के प्राइवेट पार्ट में जख्म है और उसके साथ डिजिटल रेप हुआ है |

रोते हुए बोली बच्ची अंकल ने की थी शैतानी-

बेटी ने मां को बताया कि सुबह स्कूल ले जाते समय ड्राइवर अंकल ने उसके साथ गाड़ी में शैतानी की |बच्ची ने इशारों के माध्यम से वैन चालक की पूरी करतूत बताई |यह सुनकर मां के होश उड़ गए |घटना के समय बच्ची वैन में अकेले थी |पुलिस के अनुसार दुष्कर्म के दौरान बच्ची के विरोध पर आरोपी ने उसको मारपीट कर डराया भी था |इस वजह से मासूम बहुत ज्यादा सहम गयी थी |अभी भी वह दहशत में है |बमुश्किल उसने किसी तरह से चालक की करतूत अपनी मां को बताई |तब जाकर चालक पुलिस की गिरफ्त में आया है |

बच्ची की मां ने जब आरोपी आरिफ से इस बारें में बात की तो वह भड़क गया |वह बोला कि अगर तुम लोगों ने कुछ भी कहा और किया तो बच्ची को गायब कर दूंगा |पूरा परिवार खामियाजा भुगतेगा |आरोपी ने पीड़ित परिवार पर दबाव बनाने का पूरा प्रयास किया लेकिन परिजन दबे नहीं तथा हिम्मत दिखाते हुए पुलिस के पास पहुंचे और पूरी घटना बताई तथा आरोपी पर कार्यवाही करवाई |

क्या होता है डिजिटल रेप-

Digital Rape:क्या होता है डिजिटल रेप, जानें  डिजिटल रेप और वर्चुअल रेप में अंतर

यहाँ डिजिटल का मतलब मोबाइल या कंप्यूटर से नहीं है |यहाँ डिजिटल का मतलब है बच्ची के शरीर से की गयी जबरदस्ती |डिजिटल रेप कोई तकनीकी घोटाला नहीं है |यह एक बेहद गंभीर यौन अपराध है |अगर क़ानूनी भाषा में कहे तो जब किसी के गुप्तांगों में अंग या कोई वस्तु जबरदस्ती डाली जाती है तो वह बलात्कार की श्रेणी में आता है |चाहे जननांग प्रयोग हुआ हो या नहीं |यानी अगर एक बच्ची के साथ पेनिट्रेशन बिना सहमति के हुआ हो तो उसे रेप ही माना जायेगा तथा विशेष बात तो यह है कि POCSO एक्ट 2012 जो बच्चों की सुरक्षा के लिए बना एक विशेष कानून है जो 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यौन उत्पीड़न, शोषण तथा अश्लीलता से बचाने के लिए बनाया गया है |यह एक्ट मानता है कि बच्चा सहमति देने की स्थित में ही नहीं है |मतलब न बोल पाए तो भी अपराध है, चुप रहे तो भी अपराध है |डर गया तो अपराध है ही है |

जब यह घटना असली घटना थी फिर डिजिटल कैसे हुआ ?वर्तमान समय में डिजिटल रेप का दूसरा चेहरा भी उभर के आ रहा है |जहाँ वर्चुअल रियलिटी मेटावर्स में लोग दूसरे के अवतार्स के साथ बलात्कार कर रहे है |मेटा ने 'पर्सनल बाउंड्री' नाम का एक फीचर तक बनाया है ताकि कोई दूसरा आपकी वर्चुअल बॉडी के पास न आ सके पर फिर भी लोग हैक कर लेते है |बाउंड्री तोड़कर वर्चुअल जगत में भी हकीकत का शोषण करते है |

डिजिटल रेप VS वर्चुअल रेप-

डिजिटल रेप से आशय है किसी के शरीर में उंगली या कोई अन्य वस्तु जननांग के अलावा कोई भी चीज जबरन डालना यानी पेनिट्रेशन विदाउट कंसेंट यूजिंग फिंगर्स एंड ऑब्जेक्ट खासकर माइनर विक्टिम्स के मामलें में |भारतीय कानून के तहत POCSO एक्ट 2012 तथा आईपीसी की धारा 376 के तहत इसे बलात्कार की श्रेणी में माना जाता है |सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने निर्णय में स्पष्ट किया है कि यदि गुप्तांग में उंगली या वस्तु डाली जाती है तो वह रेप के अंतर्गत माना जायेगा |

वर्चुअल रेप तब होता है जब किसी वर्चुअल या डिजिटल प्लेटफार्म जैसे वर्चुअल रियलिटी, मेटावर्स, गेमिंग, चैटरूम या सोशल मीडिया में किसी व्यक्ति को बिना उसकी मर्जी के यौन रूप से टारगेट किया जाता है |जैसे वर्चुअल अवतार के साथ हरकतें करना, बिना अनुमति के सेक्सुअल एनकाउंटर सिमुलेट करना, ऑनलाइन स्पेस में शरीर के साथ अवांछनीय इंटरेक्शन इसमें कोई फिजिकल टच नहीं होता है, लेकिन मानसिक तथा भावनात्मक आघात होता है |कई बार यह AI या VR आधारित सिस्टम या गेम्स में होता है |यह कानून में अभी भी ग्रे एरिया में है लेकिन गंभीर सामाजिक तथा मानसिक प्रभाव छोड़ता है |

ऐसे रख सकते अपने बच्चों को सुरक्षित-

1-बच्चों को अच्छे तथा गलत स्पर्श के बीच का फर्क समझाएं |

2-बच्चों को समझाएं कि कोई गलत हरकत करें तो डरें नहीं घर में बताएं |

3-माता-पिता बच्चों को अपने मोबाइल नंबर जरुर याद करायें |

4-बच्चों से वाहन चालक, नौकर तथा अन्य लोगों के व्यवहार के बारें में पूछते रहें |

5-समय-समय पर बच्चों से यौन हिंसा के बारें में भी बातचीत करें |

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