
हॉल ही में भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अप्रत्याशित रूप से अपने पद से इस्तीफा दे दिया है |इस्तीफे के पीछे कारण स्वास्थ्य देखभाल तथा चिकित्सा सलाह बताया गया है, जबकि उनके कार्यकाल के दो वर्ष शेष थे |इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अनुच्छेद 67(a) के तहत दिया गया, जो तत्काल प्रभाव से लागू हो गया |इस लेख में उपराष्ट्रपति की योग्यताएं, अवधि, त्यागपत्र तथा चुनाव प्रक्रिया के विषय में चर्चा करेंगे |
उपराष्ट्रपति के बारें में-
भारत के उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है |भारतीय संविधान के अनुच्छेद 63 में कहा गया है कि भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा |अनुच्छेद 64 में कहा गया है कि उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में भी कार्य करता है तथा वह कोई अन्य लाभ का पद नहीं धारण कर सकता है |
एक उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति की मृत्यु, पदत्याग या बर्खास्तगी या अन्य कारणों से हुयी पदरिक्ति की स्थिति में नए राष्ट्रपति का यथाशीघ्र निर्वाचन होने तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है |
जब उपराष्ट्रपति भारत के संविधान के अनुच्छेद 65 के तहत राष्ट्रपति की भूमिका या कर्तव्यों को ग्रहण करता है, तो वह राज्यसभा के सभापति के दायित्वों का निर्वहन नहीं करेगा तथा अनुच्छेद 97 के तहत सभापति के लिए निर्दिष्ट वेतन या भत्ते प्राप्त नहीं करेगा |
उपराष्ट्रपति पद के लिए आवश्यक योग्यताएं-

अनुच्छेद 66 में उपराष्ट्रपति पद के लिये आवश्यक योग्यताएं निम्नलिखित है-
1-भारतीय नागरिक होना चाहिए |
2-वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चूका हो |
3-राज्यसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचन के लिए पात्र होना चाहिए |
4-संघ या राज्य सरकारों, स्थानीय प्राधिकरणों या किसी अन्य सार्वजनिक प्राधिकरण के अधीन किसी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए |
उपराष्ट्रपति का चुनाव-
संविधान के अनुच्छेद 68 में यह प्रावधान है कि कार्यकाल समाप्ति के कारण उपराष्ट्रपति के रिक्त पद को भरने के लिए चुनाव वर्तमान कार्यकाल समाप्त होने से पहले पूरा किया जाना चाहिए |संविधान का अनुच्छेद 324 भारत के चुनाव आयोग को उपराष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया की देखरेख, निर्देशन तथा नियंत्रण का अधिकार प्रदान करता है |अनुच्छेद 66 में कहा गया है कि उपराष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाना चाहिए, जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित तथा मनोनीत सदस्य शामिल होते है |
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 के अनुसार उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पद ग्रहण करने की तिथि से पांच वर्षों का होता है |
उपराष्ट्रपति पद की चुनाव प्रक्रिया-
अनुच्छेद 66(1) के अनुसार, चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से किया जायेगा |चुनाव गुप्त मतदान के द्वारा होता है |उपराष्ट्रपति के चुनाव में राष्ट्रपति के चुनाव के विपरीत राज्यों की कोई भूमिका नहीं होती है |
राष्ट्रपति की तरह उपराष्ट्रपति को जनता द्वारा सीधे नहीं चुना जाता बल्कि परोक्ष विधि से चुना जाता है |वह संसद के दोनों सदनों के सदस्यों के निर्वाचक मंडल द्वारा चुना जाता है |यह निर्वाचक मंडल राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल से दो बातों में भिन्न है-
1-इसमें संसद के निर्वाचित तथा मनोनीत दोनों सदस्य होते है जबकि राष्ट्रपति के चुनाव में केवल निर्वाचित सदस्य होते है |
2-इसमें राज्य विधानसभाओं के सदस्य शामिल नहीं होते है |राष्ट्रपति के चुनाव में राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते है |
उपराष्ट्रपति संसद के किसी सदन या किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं होगा |यदि संसद के किसी सदन या किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन का कोई सदस्य उपराष्ट्रपति निर्वाचित हो जाता है, तो यह माना जायेगा कि उसने उस सदन में अपना स्थान उस तारीख को खाली कर दिया है जिस दिन वह उपराष्ट्रपति के रूप में अपना पद ग्रहण करता है |
उपराष्ट्रपति पद की अवधि तथा त्यागपत्र-
उपराष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तारीख से पांच वर्ष की अवधि के लिए पद धारण करेगा, लेकिन वह
1-अपने पद का त्याग राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र देकर कर सकता है, गौरतलब है कि त्यागपत्र उस तारीख से प्रभावी हो जाता है जिससे उसे स्वीकार किया जाता है |
2-उपराष्ट्रपति राज्यसभा के एक ऐसे संकल्प द्वारा पद से हटाया जा सकता है, जिसे राज्यसभा के तत्कालीन सदस्यों के बहुमत द्वारा पारित किया गया हो तथा जिससे लोकसभा सहमत हो |
अनुच्छेद 68 के अनुसार, उपराष्ट्रपति पद की अवधि की समाप्ति के कारण हुई रिक्ति को भरने के लिए चुनाव, निर्वतमान उपराष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होने से पहले पूरा किया जाना आवश्यक है |
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