Abortion Rights:4 मार्च 2024 को फ्रांस की नेशनल असेम्बली और सीनेट का सयुंक्त सत्र आयोजित हुआ जिसमे फ्रांस के संविधान के अनुच्छेद 34 में एक महत्वपूर्ण संशोधन किया गया हैं | इस संशोधन के माध्यम से Abortion Rights (गर्भपात के अधिकारों) को सुनिश्चित करने वाले विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी गयी है | इस सन्दर्भ में पेश किया गया विधेयक एक महिला को स्वेच्छा से गर्भावस्था को समाप्त करने के अधिकार की गारंटी देता है |यह गर्भपात अधिकारों के लिये ऐसे स्पष्ट संवैधानिक संरक्षण वाले एकमात्र देश के रूप में फ्रांस की स्थिति को मजबूत करता है |फ्रांस गर्भपात के अधिकारों को लागू करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है |

वर्साय पैलेस में आयोजित संसद के विशेष सयुंक्त सत्र में इस विधेयक को 780-72 वोट से पारित किया गया हैं | फ्रांस में किसी भी प्रकार के संवैधानिक संशोधन को करने के लिये सयुंक्त सत्र बुलाया जाता हैं जिसमें 3/5 बहुमत की आवश्यकता होती हैं |
गौरतलब है कि यह विधेयक फ्रांसीसी संविधान के अनुच्छेद 34 में संशोधन करता है तथा यह निर्दिष्ट करता है कि "कानून उन शर्तों को निर्धारित करता है,जिसके द्वारा महिलाओं को गर्भपात कराने की स्वतंत्रता की गारंटी दी जाती है |"
राजनीतिक आधार पर सर्वसम्मति फ्रांस में गर्भपात की पहुँच के लिये व्यापक समर्थन को रेखांकित करती है |
फ्रांस में 1975 से ही गर्भावस्था को समाप्त करने का महिलाओं को कानूनी अधिकार हैं जिसे अब संवैधानिक अधिकार में बदल दिया गया हैं | प्रधानमंत्री गेब्रियल अटल ने 1975 में फ्रांस में गर्भपात को वैध बनाने में एक प्रमुख व्यक्ति सिमोन वेइल की विरासत का आह्वान करते हुये महिलाओं के अधिकारों को बनाये रखने के नैतिक दायित्व पर जोर दिया था |
यह ऐतिहासिक निर्णय लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने तथा प्रजनन स्वतंत्रता की रक्षा के लिये देश की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है |
फ्रांस में अचानक गर्भपात के अधिकार को संवैधानिक अधिकार देने की आवश्यकता क्यों पड़ी-
फ्रांस में अचानक गर्भपात के अधिकार को संवैधानिक अधिकार देने की आवश्यकता का प्रमुख कारण 2022 में अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय से उभरी हैं जहाँ पर अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने 1973 के Roe Vs Wade के उस निर्णय को बदल दिया जिसमें महिलाओं को गर्भावस्था को समाप्त करने का अधिकार प्रदान किया गया था | सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय ने गर्भावस्था समाप्त करने के कानूनी अधिकार को वस्तुतः समाप्त कर दिया | इससे पूरे पश्चिम देशों विशेषकर फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, इटली आदि देशों में एक चिंता उभरी कि क्या आने वाले समय में हमारे यहाँ भी ऐसी स्थितियां उत्पन्न हो सकती है जहाँ पर महिलाओं की चयन की स्वतंत्रता के अधिकार पर इस तरह का निर्णय आ सकता है कि वह अपनी गर्भवस्था को समाप्त करने की स्थिति में न रहे | इसी दौरान फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमेनुअल मैक्रो ने अपनी देश की जनता से वायदा किया था कि वह इस प्रकार का संवैधानिक अधिकार बनायेंगे जहाँ पर महिलाओं को अपनी गर्भवस्था को समाप्त करने का अधिकार प्रदान किया जायेगा | इसी कारण से इस संवैधानिक संशोधन को फ्रांस की संसद में पारित किया गया है तथा गर्भपात के कानूनी अधिकार को संवैधानिक अधिकार में परिवर्तित कर दिया गया है |
गर्भपात को समाप्त करने में भारत की स्थिति-
* गर्भपात के दृष्टिकोण से भारत एक देश है |
* मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेगनेंसी एक्ट,1971 (संशोधन 2021)
1-एक पंजीकृत चिकित्सक गर्भपात कर सकता है |
2-यदि गर्भवस्था से महिला के मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य को खतरा हो |
3-भ्रूण के गंभीर मानसिक रूप से पीड़ित होने की संभावना हो | या प्रसव होने पर शारीरिक असामान्यतायें हो सकती हो |
4-यदि 20 सप्ताह से कम समय से गर्भवती हो, तो केवल एक चिकित्सक तय करेगा कि गर्भपात सुरक्षित है या नहीं|
5-अगर गर्भावस्था 20 से 24 सप्ताह के बीच है, तो दो डॉक्टरों को स्वास्थ्य सम्बन्धी चिंताओं का आकलन करना होगा उसी के बाद निर्णय लिया जायेगा की गर्भपात किया जा सकता है कि नहीं |
6-20-24 सप्ताह के बीच गर्भपात के विकल्प का उपयोग केवल कुछ ही महिलायें कर सकती है जैसे-रेप पीड़िता, नाबालिग, मानसिक या शारीरिक रूप से बीमार महिलायें|
* संशोधन 2021 में -गर्भवती महिलायें 24 सप्ताह तक गर्भपात करा सकती है |
* भारत के उच्चतम न्यायालय ने भी एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि एकल महिलाओं को भी 24 सप्ताह तक गर्भपात कराने की अनुमति दी जनि चाहिए |
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