केंद्रीय मंत्रिमंडल ने औपचारिक रूप से वर्ष 2028 तक केंद्र सरकार से 150 करोड़ रूपये के एकमुश्त बजटीय समर्थन के साथ 'International Big Cat Alliance' (IBCA) की स्थापना की घोषणा की |
इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस क्या है-

इस एलायंस की पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अप्रैल,2023 में प्रोजेक्ट टाइगर की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर मैसूर में प्रारंभ की गई थी |
इसका उद्देश्य 7 बड़ी बिल्लियों-शेर, बाघ, तेंदुआ, चीता, हिम तेंदुआ, जगुआर तथा प्यूमा के संरक्षण के लिये सहयोग सुनिश्चित करना है| बड़ी बिल्लियों के संरक्षण पर क्षमता निर्माण, संसाधन भंडार, अनुसंधान और विकास, जागरूकता निर्माण आदि के बारे में सूचना के प्रसार के लिये एक मंच प्रदान करना |
Note-जगुआर और प्यूमा के अतिरिक्त पांच बड़ी बिल्लियाँ भारत में पायी जाती है |
यह एलायंस 97 बड़े देशों का एक एक बहु-देशीय, बहु-एजेंसी एलायंस है |
इस गठबंधन की प्रमुख गतिविधियों में क्षमता निर्माण, पर्यावरण-पर्यटन, विशेषज्ञ समूहों के बीच हिस्सेदारी तथा वित्त दोहन आदि शामिल होंगे |
'रेंज देशों' के अतिरिक्त एलायंस में बड़ी बिल्ली संरक्षण में रूचि रखने वाले 'गैर-रेंज देश', संरक्षण भागीदार और बड़ी बिल्ली संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने वाले वैज्ञानिक संगठन भी शामिल होंगे |
International Big Cat Alliance ने सदस्यों की एक सभा, एक स्थायी समिति तथा साथ ही भारत में स्थित एक सचिवालय बनाने का प्रस्ताव रखा है |
पर्यावरण मंत्रालय इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस सचिवालय का नेतृत्व करने के लिये एक अंतरिम महानिदेशक की नियुक्ति करेगा, जब तक कि एलायंस के सदस्य दिन-प्रतिदिन के कार्यों की देखरेख के लिये एक स्थायी पदाधिकारी की नियुक्ति नहीं कर सकते |
इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस का महत्व-
1-यह एलायंस दुनियाभर के देशों से संरक्षणवादियों तथा विशेषज्ञों को एक साथ लाना चाहता है |
2-इसके माध्यम से भारत इन प्रजातियों के संरक्षण में ज्ञान, विशेषज्ञता तथा सर्वोत्तम प्रथाओं को अन्य देशों के साथ साझा करने की उम्मीद करता है |
3-यह एलायंस पिछले वर्ष नामीबिया से लाये गए चीतों से प्रेरित है |
बिग कैट्स/बड़ी बिल्लियों का परिचय-
बड़ी बिल्लियाँ जानवरों का वह समूह है, जो अपने सामर्थ्य, चपलता तथा शिकारी कौशल के लिये पहचानी जाती है |
ये जानवर शिकार के लिये विशेष अनुकूलता रखते है, जिसमें तीव्र इन्द्रियां, शक्तिशाली जबड़े तथा सिकुड़े हुये पंजे शामिल है |
ये शिकार की आबादी की नियंत्रित करके अपने पारिस्थितिकीय तंत्र के संतुलन को बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है |
ये सवाना, जंगलों तथा वनों जैसे विभिन्न आवासों में निवास करते है |
बड़ी बिल्लियों की कई प्रजातियाँ मानवीय गतिविधियों के कारण संकट में है या खतरे में है और उन्हें विशेष संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता है |
प्रोजेक्ट टाइगर का परिचय-
प्रोजेक्ट टाइगर भारत में 1973 में प्रारंभ की गयी एक वन्यजीव संरक्षण पहल है |
इसका उद्देश्य बाघों की आबादी बढ़ाना, बाघ आवास सुनिश्चित करना तथा मानव-बाघ संघर्ष को कम करना है |
यह प्रोजेक्ट विभिन्न रणनीतियों को नियोजित करती है, जिसमें आवास प्रबंधन, अवैध शिकार उपाय तथा सामुदायिक भागीदारी शामिल है |
जनसंख्या के रुझान तथा संरक्षण प्रयासों की प्रभावशीलता पर नज़र रखने के लिये बाघ जनगणना सर्वेक्षण नियमित रूप से आयोजित किये जाते है |
प्रोजेक्ट टाइगर ने कुछ बाघों की आबादी को सफलतापूर्वक स्थिर कर दिया है तथा बाघों के आवासों का विस्तार किया हैं |हालांकि अवैध शिकार तथा आवास हानि जैसी चुनौतियाँ वर्तमान में भी बनी हुई है |
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