Under Water Metro:पीएम मोदी ने कोलकाता में देश की पहली अंडर वाटर मेट्रो का किया उद्घाटन

Under Water Metro:प्रधानमंत्री मोदी ने कोलकाता में भारत की पहली अंडर वाटर मेट्रो टनल का उद्घाटन किया है | कई वर्षों के मेहनत के पश्चात कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड(KMRCL) की टीम ने यें सफलता हासिल की | हुगली नदी के नीचे बनी सुरंग कोलकाता मेट्रो के ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कोरिडोर का हिस्सा है जो हावड़ा मैदान को एस्प्लेनेड से जोड़ती है |हावड़ा मैदान-एस्प्लेनेड मेट्रो लाइन भारत में एक बड़ी नदी के नीचे पहली परिवहन सुरंग पेश करती है | इसके साथ ही हावड़ा मेट्रो स्टेशन अब सबसे गहरा मेट्रो स्टेशन बन गया है यानी यह सतह से 33 मीटर नीचे है |

हावड़ा मैदान तथा एस्प्लेनेड स्टेशन के बीच करीब 4.8 किलोमीटर की दूरी है | इस क्षेत्र में यह मेट्रो नदी के नीचे 520 मीटर की दूरी 45 सेकंड में तय कर लेगी |

Under Water Metro:पीएम मोदी ने कोलकाता में देश की पहली अंडर वाटर मेट्रो का किया उद्घाटन
अंडर वाटर मेट्रो की विशेष बातें-

1-यह मेट्रो टनल इंजीनियरिंग का एक बेहतरीन नमूना है |

2-हावड़ा मैदान तथा एस्प्लेनेड स्टेशन क्षेत्र में यह मेट्रो हुगली नदी के नीचे 520 मीटर की दूरी मात्र 45 सेकंड में तय कर लेगी |

3-इसकी अधिकतम रफ़्तार 80 किलोमीटर प्रति घंटा होगी |

4-यात्रियों की सुरक्षा के लिये मेट्रो में बेहतर ग्रैब हैंडल तथा हैंडल लूप के साथ-साथ अग्निशामक यन्त्र भी होंगे |

5-इस मेट्रो में स्वचालित ट्रेन ऑपरेशन सिस्टम लगा है अर्थात ड्राइवर के बटन दबाते ही ट्रेन स्वयं ही अगले स्टेशन संचालित हो जाएगी |

6-इमरजेंसी के समय यात्री Talk-To-Driver यूनिट के द्वारा मोटरमैन के साथ संवाद भी कर सकेंगे |

7-मेट्रो के प्रत्येक कोच की निगरानी के लिये CCTV कैमरे भी लगे हैं|

8-हावड़ा मैदान तथा एस्प्लेनेड स्टेशन तक जाने में 6 मिनट का समय लगेगा |

9-कुल 16 किलोमीटर के रास्ते में 10.8 किमी भूमिगत है | जिसमे नदी के नीचे का हिस्सा भी सम्मिलित है |

ऐसे बनी कोलकाता की अंडर वाटर मेट्रो-

चैनल टनल ब्रिटेन तथा फ्रांस के मध्य इंग्लिश चैनल के नीचे बनी है | कोलकाता मेट्रो ने अंडरवाटर मेट्रो के लिये हुगली नदी के नीचे टनल बनाने के लिये लन्दन पेरिस वाली यूरोस्टार की तकनीकी का अध्ययन किया |

अंडरवाटर मेट्रो को बनाने में कोलकाता मेट्रो को कई अनिश्चिताओं का सामना करना पड़ा |कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (KMRCL) ने प्लानिंग स्तर पर ही लोगों की असुविधा को दूर करने के लिये तकनीकी का सहारा लिया |

कॉरिडोर के भूमिगत हिस्से के लिये टॉप-डाउन कट तथा कवर प्रोसेस के बजाय नवीनतम बोरिंग प्रक्रिया को अपनाया गया है |

टनल को बोर करने के लिये Earth Pressure Balance टनल बोरिंग मशीनों (TBN) का इस्तेमाल किया गया है जिसके लिये इसे खास तौर पर जर्मनी से अपनी जरुरत के हिसाब से डिज़ाइन करवाया  गया था | इस तकनीकी की विशेषता यह है कि ये मिट्टी काटने के साथ-साथ निर्मित हिस्से को सील करती जाती है यानी अगर कटिंग के दौरान पानी आता भी है तब भी ये तैयार हो चुके टनल में नहीं जाता है | इसके साथ ही टनल में बाद में भी कभी पानी न आये इसके लिये इसमें पहली बार इसके ज्वाइन्ट में हाइड्रोफिलिक गास्केट का इस्तेमाल किया गया है,जो पानी के संपर्क में आते ही 10 गुना अधिक फ़ैल जायेगा |यानी ये पानी के संपर्क में आते ही पहले से ज्यादा वाटरप्रूफ हो जायेगा |

अंडर वाटर टनल के लिये जरुरी बातें-

पानी के नीचे टनल बनाना अत्यंत जटिल कार्य है,जिसके लिये उच्च स्तर इंजीनियरिंग की आवश्यकता होती है |सुरंग निर्माण के समय कर्मचारियों की सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था करनी पड़ती है |अंडर वाटर टनल बनाने के लिये निम्न बातों का ध्यान रखा जाता है-

1-वाटरप्रूफिंग:

पानी के नीचे सुरंगों को पूर्ण रूप से वाटर प्रूफ बनाने के लिये डिज़ाइन किया जाता है |पानी को सुरंग में आने से रोकने के लिये आधुनिक वाटरप्रूफिंग मैटेरियल तथा कंस्ट्रक्शन तकनीकी का प्रयोग किया जाता है |

2-इमरजेंसी एक्जिट:

अंडर वाटर टनल में आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए कई इमरजेंसी एक्जिट होते है |

3-इमरजेंसी लाइट अरेंजमेंट:

बिजली जाने या इमरजेंसी स्थिति में विजिबिलिटी तथा सुरक्षा सुनिश्चित करने होते पानी के नीचे टनल को इमरजेंसी लाइटिंग से लैस किया जाता हैं |

4-वेंटिलेशन तथा एयर क्वालिटी:

अंडर वाटर टनल में आधुनिक वेंटिलेशन व्यवस्था होती है |जो सुरंग से सफ़र करने वालों के लिये आरामदायक तथा सुरक्षित वातावरण बनाये रखता है |वेंटिलेशन व्यवस्था वायु की गुणवत्ता की भी निगरानी करता है |

5-आग से बचाव:

टनल में आग से बचाव के लिये भी व्यवस्था होती है जैसे-फायर अलार्म, स्प्रिंकलर आदि |

6-पानी का दबाव:

टनल को पानी के उच्च दबाव से बचाने के लिये टनल को प्रेशर रिलीफ सिस्टम से लैस किया जाता है |

7-मेंटनेंस तथा निरीक्षण:

टनल की सुरक्षा का ध्यान रखने के लिये नियमित रखरखाव तथा निगरानी आवश्यक है |

FAQ-

1-भारत में अंडर वाटर मेट्रो कहाँ है ?

कोलकाता में |

2-भारत में मेट्रो कब शुरू हुई ?

24 अक्टूबर 1984 भारत की पहली मेट्रो कोलकाता मेट्रो को कहा जाता है |

3-भारत में मेट्रो के जनक कौन थे ?

ई.श्रीधरन को भारत में मेट्रो का जनक कहा जाता हैं |

4-भारत में ऐसी कौन सी मेट्रो है जिसको भारतीय रेलवे द्वारा नियंत्रित किया जाता है ?

कोलकाता मेट्रो | यह एकमात्र रेल नेटवर्क भी है जिसे भारतीय रेलवे द्वारा नियंत्रित किया जाता है |

Read More-Chakshu Platform:फ्रॉड कॉल और SMS को रोकेगा चक्षु पोर्टल


एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने