Parrot Fever नामक बीमारी के कहर से यूरोप में हर कोई दहशत में है | यूरोप में इस बीमारी से अब तक 5 लोगों ने अपनी जान गंवा दी है तथा 90 से अधिक संक्रमित हो चुके है | पैरेट फीवर को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने भी चेतावनी जारी की है | WHO ने अपने बयान में कहा है कि 2023 में तथा 2024 के शुरुआत में डेनमार्क,ऑस्ट्रिया,जर्मनी,नीदरलैंड में पैरेट फीवर के मामलों में पिछले वर्ष की तुलना में असामान्य वृद्धि दर्ज की गयी है |आइए जानते है कि पैरेट फीवर क्या है,उसके लक्षण,कारण तथा उपचार |

Parrot Fever (पैरेट फीवर) क्या है-

पैरेट फीवर को साइटाकोसिस के नाम से जाना जाता है | यह क्लैमाइडिया सिटासी(क्लैमाइडोफिला) नामक बैक्टीरिया के कारण होता है| यह बैक्टीरिया कई स्तनधारियों को संक्रमित कर सकता है जैसे-बिल्ली,कुत्ते आदि |यह बैक्टीरिया मुख्य रूप से तोतें तथा पक्षियों में पाया जाता है |इसलिए इसे पैरेट फीवर के नाम से जाना जाता है |मनुष्य क्लैमाइडिया सिटासी बैक्टीरिया से प्रभावित वायुजनित कणों को सांस के द्वारा ग्रहण करके साइटाकोसिस से संक्रमित हो सकते है, जिससे निमोनिया जैसी बीमारी हो सकती है |इस बीमारी का मनुष्य-से-मनुष्य संचरण बहुत कम है जिसके कुछ ही मामलें सामने आयें है |
पैरेट फीवर कैसे फैलता है-
पैरेट फीवर संक्रमित पक्षियों के मल या श्वसन बूंदों के संपर्क में आने के कारण फैलता है |ये संक्रमित पक्षियों के साथ सीधे संपर्क तथा उनके पंखों से निकलने वाले धूल के कणों को सांस लेने या संक्रमित पक्षियों द्वारा दूषित भोजन या पानी का सेवन करने से हो सकता है| बच्चों,बुजर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को ये बीमारी ज्यादा प्रभावित करती हैं| यदि इसका इलाज न किया जाये तो ये बीमारी जानलेवा भी हो सकती है |इस बीमारी से सबसे ज्यादा खतरा-तोतें पालने वाले,पशु चिकित्सक तथा बगीचे में काम करने वालों को है |
पैरेट फीवर के लक्षण-
पैरेट फीवर के लक्षण फ्लू जैसे होते है जोकि निम्नलिखित है-
1-बुखार
2-तेज और दर्दनाक सिरदर्द
3-मांसपेशियों में दर्द-थकान और कमजोरी
4-सूखी और खरखराती खांसी
5-गंभीर मामलों में-सांस लेने में तकलीफ
6-थकान-कमजोरी महसूस करवाती है |
7-ठंड लगना-कंपकंपी और कांपना
8-भूख न लगना-कमजोरी और थकान का कारण
9-उल्टी,दस्त तथा पेट दर्द
पैरेट फीवर से बचाव-
1-संक्रमित पक्षियों से सम्पर्क में न आये |
2-पालतू तोतों को खरीदने से पहले उनकी स्वास्थ्य जाँच करवाए|
3-पक्षियों के पिंजरों को साफ़ रखें |नियमित रूप से पिंजरों को साफ़ करे तथा उन्हें कीटाणुरहित करे |
4-पक्षियों के भोजन तथा पानी को ताज़ा रखें तथा भोजन और पानी के बर्तनों को नियमित रूप से साफ़ करें |
5-अपने हाथों को धोएं |पक्षियों के संपर्क में आने के बाद हमेशा अपने हाथों को साबुन तथा पानी से अच्छी तरह धोएं |
पैरेट फीवर का इलाज-
पैरेट फीवर का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है |यदि आपको लगता है कि आपको पैरेट फीवर हो सकता है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें |