उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखंड में पांच संभावित खतरनाक हिमनद झीलों से उत्पन्न खतरे का मूल्यांकन करने के लिये विशेषज्ञों की दो टीमों का गठन किया है |ये झीलें ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड या GLOF से ग्रस्त है |विशेषज्ञों के टीमों का गठन इससे जुडी कई हालिया घटनाओं को देखते हुये किया गया है |इसका उद्देश्य GLOF घटना की संभावना को कम करना तथा उल्लंघन की स्थिति में राहत और निकासी के लिये अधिक समय प्रदान करना है |
इस लेख में-

1-ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड के बारें में |
2-GLOF के कारण |
3-GLOFs की प्रमुख विशेषताएं |
4-GLOF के जोखिम प्रबंधन संबंधी दिशा निर्देश |
5-अन्य महत्वपूर्ण बातें |
ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड के बारें में-
ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) हिमनद झीलों से पानी के अचानक छोड़े जाने के कारण होने वाली आपदा होती है |हिमनद झील के फटने से आने वाली बाढ़ विनाशकारी होती है |यह स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब हिमनद झील का बांध कमजोर हो जाता है तथा जल तेज प्रवाह के साथ बहने लगता है |
इस प्रकार की बाढ़ आमतौर पर ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने, भरी वर्षा, झील में पानी के बढ़ने के कारण आती है |वर्तमान में पृथ्वी की जलवायु बदल रही है, जिस कारण से ग्लेशियरों के पिघलने की दर भी तेज गति से बढ़ रही है |इसलिए ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) जैसी घटनाएँ बार-बार घटित हो रही है |
GLOF के कारण-
ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) की घटनाओं के लिये निम्नलिखित कारक जिम्मेदार है-
1-ग्लेशियरों के आकार में परिवर्तन-जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियरों के आकार में परिवर्तन, झील के जल स्तर में बदलाव तथा भूकंप आदि शामिल है |
2-राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण हिन्दू-कुश हिमालय के अधिकांश भागों में ग्लेशियर पिघल रहे है जिससे नई ग्लेशियर झीलों का निर्माण हो रहा है, जो कि ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) का प्रमुख कारण है |
3-हिमस्खलन |
4-भूस्खलन |
5-पर्वतीय क्षेत्रों में लगातार बढ़ती हुई मानवीय गतिविधियों के कारण भूस्खलन तथा हिमस्खलन की संभावना बढ़ जाती है, जिससे ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) घटना भी बढ़ रही है |
6-हिमनद मोराइन विफलता-ग्लेशियर के किनारों पर चट्टान तथा तलछट जमा हो जाते है, जिन्हें मोराइन कहा जाता है |ये मोराइन प्राकृतिक बांध बनाते है जो हिमनद झीलों को रोके रखते है |कटाव या अन्य कारण से मोराइन की विफलता से GLOF हो सकता हैं |
7-चरम मौसम घटनाओं जैसे-तीव्र वर्षा या बर्फ़बारी से भी ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड का खतरा बढ़ सकता है |
GLOFs की प्रमुख विशेषताएं-
1-ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) अचानक से घटित होते है |जिस कारण से प्रभावित क्षेत्रों में जनता को निकालना मुश्किल हो जाता है |
2-GLOF घटना में तेजी से भारी मात्रा में पानी के आने से समस्या आ जाती है |
3-GLOF में पानी की गति काफी तेज होती है जिस कारण से रास्तें में आने वाली चीजों के लिये यह काफी विनाशकारी होता है |
4-ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड भारी मात्रा में मलबा ले जाते है, जिनसे प्रभावित क्षेत्र में विनाश की स्थिति उत्पन्न हो जाती है |
GLOF के जोखिम प्रबंधन संबंधी दिशा निर्देश-
1-ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड से प्रभावित क्षेत्रों में संभावित झीलों की पहचान करना |जिससे GLOF के खतरों को कम किया जा सके |
2-सिथेंटिक-एपरर्चर रडार इमेजरी तकनीकी के उपयोग को बढ़ावा देना |जिसके द्वारा मानसून के मौसम में झील संरचनाओं सहित जल निकायों में आने वाले परिवर्तन को पहचाना जा सके|
3-संभावित बाढ़ को कम करने का प्रयास करना |
4-ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड से प्रभावित क्षेत्रों में मानवीय तथा निर्माण गतिविधियों के लिये एक व्यापक ढांचा विकसित किया जाना चाहिए |
5-भारत सहित कई देशों में ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड से संबंधित अर्ली वार्निंग सिस्टम (EWS) की संख्या बहुत कम है |अतः EWS में सुधार करना |
6-प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को शिक्षित करना |
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अन्य महत्वपूर्ण बातें-
1-केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत कार्य करने वाले राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन ने हिमालयी राज्यों में 188 हिमनद झीलों की पहचान की है, जोकि भरी वर्षा से टूट सकती है |इन 188 में से 13 उत्तराखंड में है |
2-कई अध्ययन के अनुसार 15 मिलियन लोगों को हिमनद झीलों से अचानक तथा घातक बाढ़ का खतरा है. ऐसे में इससे निपटने के लिये लगातार प्रयास किये जा रहे है |