HeatWaves in India:भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने तापमान में सामान्य से अधिक वृद्धि की भविष्यवाणी करते हुये, सम्पूर्ण भारत के कई राज्यों में संभावित हीटवेव की भविष्यवाणी की है |इस लेख में हीटवेव क्या है,प्रभाव तथा बचने के उपाय के बारे में बताया गया है |
इस लेख में-

1-हीटवेव क्या है |
2-हीटवेव के कारण |
3-हीटवेव के प्रभाव |
4-भारत में हीटवेव घोषित करने के मानदंड |
5-हीटवेव से बचने के उपाय |
हीटवेव क्या है-
हीटवेव अत्यधिक उष्ण मौसम की लम्बी अवधि है,जो मानव स्वास्थ्य,पर्यावरण तथा अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है |भारत एक उष्णकटिबंधीय देश होने के नाते,विशेष रूप से लू के प्रति संवेदनशील है |ऐसी घटनायें हॉल के वर्षों में तीव्र होने के साथ-साथ अधिक बार देखने को मिल रही है |
मैदानी क्षेत्रों में तापमान जब 40 डिग्री या उससे अधिक पार कर जाता है तब हीटवेव का प्रभाव पड़ने लगता हैं |भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार जब मैदानी क्षेत्रों में तापमान 40 डिग्री तथा पहाड़ी क्षेत्रों में 30 डिग्री पार कर जाता है तो लू चलने लगती है जोकि स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती है |यदि किसी क्षेत्र में तापमान 47 डिग्री से अधिक चला जाता है तो उसे गंभीर हीटवेव की श्रेणी में रखा जाता है |जबकि तटीय क्षेत्रों में 37 डिग्री के ऊपर तापमान जाने पर गंभीर हीटवेव की स्थिति मानी जाती है|
हीटवेव के कारण-
हीटवेव के निम्नलिखित कारण है-
1-ग्लोबल वार्मिंग:भारत में हीटवेव के प्राथमिक कारणों में से एक ग्लोबल वार्मिंग है, जो जीवाश्म ईंधन जलाने, वनाच्छादन तथा औद्योगिक गतिविधियों जैसी मानवीय गतिविधियों के कारण पृथ्वी के औसत तापमान में दीर्घकालिक वृद्धि का उल्लेख करता है |
2-शहरीकरण:तीव्र शहरीकरण तथा शहरों में कंक्रीट के जंगलों का विकास "शहरी ताप द्वीप प्रभाव" के रूप में पहचानी जाने वाली घटना को जन्म दे सकता हैं |
3-अल नीनो के कारण:अल नीनो घटना के कारण प्रशांत महासागर गर्म हो जाता है जिससे वैश्विक जलवायु प्रतिरूप प्रभावित होता हैं |जिसके कारण विश्व में तापमान,वर्षा के पैटर्न में बदलाव आ जाता है |

हीटवेव के प्रभाव-
1-स्वास्थ्य पर प्रभाव-
*गर्मी का तीव्रता से बढ़ना शरीर के तापमान को नियंत्रित करने की क्षमता से समझौता कर सकता हैं |इसके परिणामस्वरूप बुखार, थकावट, हीटस्ट्रोक तथा हाइपरथर्मिया सहित कई बीमारियाँ हो सकती है |
*गर्मी के कारण मौतें तथा अस्पताल में मरीजों की संख्या में तीव्र वृद्धि हो सकती है या इसका प्रभाव धीमा हो सकता हैं |
2-जल संसाधनों पर प्रभाव-
*हीटवेव भारत में जल की कमी की समस्या को बढ़ा सकती है |जिसके परिणामस्वरूप जल निकायों का सूखना, कृषि तथा घरेलू उपयोग हेतु जल की उपलब्धता में कमी और जल संसाधनों के लिये प्रतिस्पर्धा में वृद्धि हो सकती है |
*इससे जल को लेकर संघर्ष हो सकता है, सिंचाई पद्वतियां प्रभावित हो सकती है तथा जल पर निर्भर उद्योगों पर असर पड़ सकता हैं |
3-ऊर्जा पर प्रभाव-
*हीटवेव्स शीतलन उद्देश्यों के लिये विद्युत की मांग को बढ़ा सकती है, जिससे पॉवर ग्रिड पर तनाव तथा संभावित ब्लैकआउट हो सकता हैं |
*यह आर्थिक गतिविधियों को बाधित कर सकता है |उत्पादकता को प्रभावित कर सकता है तथा हाशिये पर रहने वाले आबादी को प्रभावित कर सकता है जिनके पास हीटवेव के दौरान शीतलन हेतु विश्वसनीय विद्युत तक पहुँचने की संभावना कम होगी |
4-कृषि उत्पादकता पर प्रभाव-
*गंभीर हीटवेव की स्थिति में खेतों में आग लगने की सम्भावना बढ़ जाती है जिससे कृषि उत्पादकता में कमी आती है तथा किसानों की आय में कमी आती है |इसके साथ ही सूखे की अवधि बढ़ जाती है |
5-अर्थव्यवस्था पर प्रभाव-
*अत्यधिक हीटवेव की लहरें आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित करती है |अत्यधिक गर्मी के समय श्रमिकों की उत्पादकता में कमी आती है |इसके साथ ही अत्यधिक गर्मी के समय काम के घंटों में कमी आती है |
भारत में हीटवेव घोषित करने के मानदंड-
1-मैदानी तथा पहाड़ी क्षेत्र:
*मैदानी क्षेत्रों में यदि किसी क्षेत्र का अधिकतम तापमान कम से कम 40 डिग्री C उससे अधिक जबकि पहाड़ी क्षेत्रों के लिये कम से कम 30 डिग्री या उससे अधिक तक पहुँच जाता है तो उसे हीटवेव की श्रेणी में रखा जाता है |
*सामान्य हीटवेव-सामान्य तापमान में 4.50 डिग्री C से 6.40 डिग्री C की वृद्धि |या जब वास्तविक अधिकतम तापमान 45 डिग्री C से अधिक होता है तो हीटवेव की स्थिति बनती है |
*गंभीर हीटवेव-सामान्य तापमान में 6.40 डिग्री C से अधिक की वृद्धि |या वास्तविक अधिकतम तापमान 47 डिग्री C से अधिक होता है |
*उपरोक्त मानदंड मौसमी उपखंड के कम-से-कम दो स्थानों में निरंतर दो दिनों तक पूरे किये जाते है, तो दूसरे दिन को हीटवेव घोषित कर दिया जाता है |
2-तटीय क्षेत्र-
*जब अधिकतम तापमान सामान्य से 4.50 डिग्री C या अधिक होता है, तो उसे हीटवेव कहा जा सकता है |बशर्ते वास्तविक तापमान 37 डिग्री C या अधिक हो |
हीटवेव से बचने के उपाय-
हीटवेव से बचने के लिये निम्न उपाय करें-
1-अधिक से अधिक साफ़ पानी पिए जिससे पानी की कमी से होने वाली बीमारियों से बचा जा सके |
2-बाहर धूप में जाने से बचे |यदि निकलते भी है तो अपने को ढक कर निकले |
3-यात्रा के दौरान पानी को साथ में रखे और बीच-बीच में पानी का घूंट लेते रहे |
4-किसी भी प्रकार के नशीली पदार्थ के सेवन से बचे |
5-बासी भोजन करने से बचे |मौसमी फलों का सेवन करें |
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