Satellite Internet: कैसे काम करता है सैटेलाइट इंटरनेट ?

वर्ष 2024 की शुरुआत में इंटरनेट तथा मोबाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (IAMAI) ने Internet In India 2023 में इंटरनेट यूजर्स पर एक रिपोर्ट पेश की थी |इसमें कहा गया था कि देश में कुल 82.1 करोड़ इंटरनेट यूजर्स है |देश में 5G की एंट्री के बाद अब कई दिग्गज कंपनियां सैटेलाइट इंटरनेट की सुविधा दे रही है |इसमें अब सैटेलाइट इंटरनेट की सबसे बड़ी कंपनी Starlink (स्टारलिंक) का नाम भी जल्द जुड़ जायेगा |स्टारलिंक के मालिक एलन मस्क भारत दौरे में प्रधामंत्री मोदी से मुलाकात करने वाले है |संभावना है कि एलन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट कंपनी स्टारलिंक को भारत में मंजूरी मिल सकती है |इस लेख में सैटेलाइट इंटरनेट क्या है तथा यह कैसे काम करता है पर विस्तार से चर्चा करेंगे |

इस लेख में-

1-सैटेलाइट इंटरनेट क्या है |

2-सैटेलाइट इंटरनेट कैसे काम करता है |

3-सैटेलाइट इंटरनेट की विशेषता |

4-सैटेलाइट इंटरनेट की कमी |

5-भारत में इंटरनेट सैटेलाइट |

सैटेलाइट इंटरनेट क्या है-

Satellite Internet: कैसे काम करता है सैटेलाइट इंटरनेट

सैटेलाइट इंटरनेट एक ऐसी तकनीक है जो अंतरिक्ष मैं मौजूद उपग्रहों के माध्यम से इंटरनेट कनेक्शन प्रदान करती है |ये उन क्षेत्रों में इंटरनेट पहुँच प्रदान करने का एक तरीका है जहाँ पारम्परिक जमीनी विकल्प जैसे केबल या DSLउपलब्ध नहीं है |

सैटेलाइट इंटरनेट कैसे काम करता है-

आसान भाषा में समझे तो सैटेलाइट इंटरनेट अंतरिक्ष में उपग्रहों द्वारा संचालित एक ऑनलाइन कनेक्शन प्रदान करता है |यह उपग्रह सिग्नल भेजते तथा प्राप्त करते है जो इंटरनेट सेवा प्रदाता यानी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स तथा घर के इंटरनेट मॉडेम तक पहुँचते है |यह ग्रामीण क्षेत्रों में एक आम तकनीक है जहाँ घरों में केवल फाइबर ऑप्टिक्स या DSL कनेक्शन जैसे अन्य ब्रांडबैंड इंटरनेट विकल्पों तक पहुँच नहीं है |सैटेलाइट इंटरनेट के लिये इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर के उपग्रहों को अंतरिक्ष में लॉन्च करते है, जो पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा करते है |घर के बाहरी हिस्से में पेड़ों या फिर इमारतों जैसी किसी भी बाधा से मुक्त एक सैटेलाइट डिश द्वारा मॉडेम से सिग्नल को रूट करने के बाद अंतरिक्ष से सिग्नल प्राप्त करते है |वाई-फाई राउटर स्थापित करके सिग्नल का उपयोग इंटरनेट उपकरणों को चलाने के लिये कर सकते है |

सैटेलाइट इंटरनेट की विशेषता-

इसकी सबसे बड़ी विशेषता इसकी व्यापक पहुंच है जैसे कि उन दूर-दराज के क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान कर सकता है जहाँ पारम्परिक विकल्प नहीं है |पुरानी तकनीक की तुलना में नए उपग्रहों तथा बेहतर उपकरणों के साथ सैटेलाइट इंटरनेट हाई स्पीड दे सकता है जो अन्य विकल्पों के बराबर या उससे अधिक हो सकती है |इसके लिये किसी जमीनी बुनियादी ढांचे की आवश्यकता भी नहीं होती है, जिससे इसे स्थापित करना आसान और तेज हो जाता है |साथ ही ये पारम्परिक विकल्पों की तुलना में खराब मौसम में कम प्रभावित होता है |हालाँकि भारी वर्षा या बर्फ थोड़ी गति धीमी कर सकते है |कुल मिलाकर सैटेलाइट इंटरनेट उन लोगों के लिये एक उत्कृष्ट विकल्प हो सकता है जिनके पास इंटरनेट तक पहुँच का कोई अन्य साधन नहीं है या जो तेज विश्वसनीय तथा सुरक्षित कनेक्शन चाहते है |

सैटेलाइट इंटरनेट की कमी-

सैटेलाइट इंटरनेट अभी भी कुछ नुकसान के साथ आता है जैसे कि उच्च लागत तथा डाटा सीमायें जो कि अलग-अलग योजनाओं पर निर्भर करता है |

भारत में इंटरनेट सैटेलाइट-

भारत में सैटेलाइट इंटरनेट कई प्रदाताओं द्वारा दिया जाता है |जैसे Airtel, Jio तथा BSNL |इसके अलावा स्टारलिंक जैसे कुछ अंतर्राष्ट्रीय प्रदाता भी भारत में प्रवेश करने की योजना बना रहे है |इससे पहले भी एलन मस्क ने भारत में स्टारलिंक आधारित सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस रोलआउट करने की कोशिश की थी लेकिन सरकार ने इसकी मंजूरी नहीं दी थी |ऐसे में स्टारलिंक को संचार मंत्रालय से अप्रूवल मिलने के बाद उम्मीद है कि वे जल्द भारत में एंट्री करेंगें |फ़िलहाल सुरक्षा से जुड़ें कुछ मुद्दों पर गृह मंत्रालय से फाइनल अप्रूवल का इंतजार है |

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