सोशल मीडिया के समय में आज कल हर कोई अपनी पहचान बनाना चाहता है |कोई खुद की वीडियो बनाकर तो कोई दूसरे की वीडियो बनाकर अर्थात कंटेंट बनाकर जिसे सरल भाषा में कंटेंट क्रिएटर भी कहते है |अगर आप कंटेंट क्रिएटर नहीं भी है तो कई बार आपने भी राह चलते किसी व्यक्ति की अजीब हरकतों को देख कर उसका वीडियो या फोटो लेने की कोशिश जरुर की होगी |उसके बाद उस वीडियो या फोटो का मीम बना कर उसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर भी किया होगा |लेकिन अगर आप अक्सर ऐसा करते है तो आपका ऐसा करना आपको मुसीबत में भी डाल सकता है |दरअसल इस प्रक्रिया को Doxxing (डॉक्सिंग) कहा जाता है |इस लेख में Doxxing के बारे में चर्चा करेंगे |
इस लेख में-
1-Doxxing क्या है |
2-Doxxing के प्रभाव |
3-Doxxing से बचाव |
4-Doxxing से जुड़ें कानून |
Doxxing क्या है-
किसी व्यक्ति की निजी जानकारी को इन्टरनेट पर बिना उसकी सहमति के सार्वजनिक रूप से साझा करने को Doxxing (डॉक्सिंग) कहते है |इस जानकारी में किसी व्यक्ति का फोटो, वीडियो, नाम, पता, फ़ोन नंबर, सोशल मीडिया प्रोफाइल, वित्तीय जानकारी, मेडिकल रिपोर्ट या अन्य संवेदनशील डेटा शामिल हो सकते है |कुल मिलाकर इसमें वह सभी जानकारियां शामिल होती है जो पीड़ित को पहचानने योग्य बना सकती है |Doxxing करने का उद्देश्य आमतौर पर किसी को शर्मिंदा करने, व्यक्तिगत बदला लेने, किसी विशेष समुदाय के प्रति क्रोध या असहमति प्रदर्शित करने या पीड़ितों को डराने या धमकाने के लिये किया जाता है |कभी-कभी लोग इसका उपयोग केवल मनोरंजन के लिये या दूसरों को नुकसान पहुंचाकर आनंद प्राप्त करने के लिये भी करते है |
Doxxing के प्रभाव-
Doxxing गंभीर परिणामों का कारण भी बन सकती है |जैसे कि इसकी वजह से पीड़ित को शारीरिक नुकसान, डराये-धमकाये जाने या उत्पीडन का खतरा हो सकता है |पीड़ित की पहचान चोरी हो सकती है या उसके बैंक खातें भी खाली किये जा सकते है |इसकी वजह से कई बार पीड़ित को शर्मिंदगी, परेशानी तथा चिंता का भी सामना करना पड़ सकता है |इससे पीड़ित की प्रतिष्ठा पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है तथा उसे नौकरी या अवसरों से वंचित भी रहना पड़ सकता है |
Doxxing से बचाव-
ऐसे में अगर आप खुद को Doxxing से बचाना चाहते है तो आप कई कदम उठा सकते है |जैसे सोशल मीडिया प्रोफाइल को प्राइवेट रख सकते है |सोशल मीडिया पर या अजनबियों के साथ अपनी निजी जानकारी साझा करने से बचें |ऐसे ईमेल या संदेशों पर क्लिक करने से बचे जो संदिग्ध लगते है या जिनमें आप से आपकी निजी जानकारी मांगी जाती है |इन सब सावधानियों को रखने के बावजूद भी यदि आपको लगता है कि आपको डॉक्स किया गया है तो तुरंत कार्यवाही करें |जितनी जल्दी हों सके अपनी सोशल मीडिया तथा बैंक खातों का पासवर्ड बदलें |यदि आपको लगता है कि आपको धमकाया या परेशान किया जा रहा है तो घटना की रिपोर्ट पुलिस को करें |यदि Doxxing के कारण परेशान या तनावग्रस्त महसूस कर रहे है तो किसी मित्र, परिवार के सदस्य या मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से समर्थन प्राप्त करें |
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Doxxing से जुड़ें कानून-
ऑस्ट्रेलिया के साथ-साथ दूसरे देशों में Doxxing को पहले ही अपराध घोषित किया जा चुका है |अमेरिका में कई राज्यों ने डोक्सिंग पर रोक लगाने के लिये कानून बनाये है जिसमें अपराधियों के लिये अलग-अलग सजा का प्रावधान है |इसी तरह ब्रिटेन, सिंगापुर तथा हांगकांग जैसे देशों ने ऑनलाइन उत्पीड़न से निपटने तथा व्यक्तियों की गोपनीयता अधिकारों की रक्षा के लिये कानून पेश किये है |भारत में डॉक्सिंग के लिये अभी तक कोई विशेष कानून नहीं है लेकिन कई अन्य कानून है जिनका उपयोग डॉक्सिंग के मामलों में आरोप लगाने के लिये किया जा सकता है |जैसे कि-इस तरह के मामलों के लिये मानहानि, धमकी, जानबूझकर अपमान करने, डराने या धमकाने संबंधित धाराओं में शिकायतें दर्ज करायी जा सकती है |वहीँ सूचना प्रोद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66A जिसमें किसी व्यक्ति की निजी जानकारी को बिना सहमति के प्रकाशित करना और धारा 67 जिसमें कंप्यूटर सिस्टम को क्षति पहुंचाने या बाधित करना शामिल है |इसके तहत शिकायतें दर्ज की जाती है |वहीँ सूचना प्रोद्योगिकी (मध्यस्थता दिशानिर्देश) नियम, 2021 का नियम 7 भी मध्यस्थतों को डॉक्सिंग सामग्री को हटाने के लिये बाध्य करता है |यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि डोक्सिंग एक गंभीर मुद्दा है, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते है |अपनी ऑनलाइन गोपनीयता की रक्षा करना तथा खुद को डोक्सिंग से बचाने के लिये कदम उठाना महत्वपूर्ण है |
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