वर्तमान समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) लगातार बढ़ रहा है तथा विकसित हो रहा है |आजकल स्कैमर्स के लिये सोशल मीडिया से किसी की तस्वीर लेना तथा उसे मॉर्फ़ करना बहुत आसान हो गया है |जहाँ एक ओर डीपफेक एक खतरा बनकर उभरा है वहीँ Shallofake के खतरे को भी आज के समय नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता है |हम इस लेख में शैलोफेक टेक्नोलॉजी तथा इससे जुड़े खतरे तथा विविध जानकारी पर चर्चा करेंगे |
हॉल ही में अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस द्वारा बेतुकी टिप्पणी करने वाला एक फर्जी वीडियो वायरल हुआ जोकि फर्जीवाड़े के संबंध में विश्व के सामने एक नए खतरे की ओर ध्यान आकर्षित करता है |
क्या है शैलोफेक (उथला नकली)-

शैलोफेक कुछ हद तक डीपफेक जैसे ही होते है |शैलोफेक वीडियो या ऑडियो क्लिप होते है जिन्हें हेर-फेर करके किसी को ऐसा दिखाया जाता है जो उन्होंने कभी न कहा हो या किया हो |ये आमतौर पर फोटोशॉप या वीडियो बनाने वाले सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके किया जाता है |जैसे कि Face-Swapping जहाँ किसी व्यक्ति का चेहरा किसी दूसरे व्यक्ति के चेहरे से बदल दिया जाता है |इसका इस्तेमाल आमतौर पर गलत सूचनाओं को फ़ैलाने या किसी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने या मनोरंजन के लिये भी किया जा सकता है |
जैसे किसी राजनेता का वीडियो जिसमें वह झूठे वायदे करता हुआ दिखाई दे रहा है या फिर किसी अभिनेता का वीडियो जिसमें वह किसी अपराध को स्वीकार करता हुआ दिखाई दे रहा है |किसी दोस्त का वीडियो जिसमें वह आपको अपमानित करता हुआ दिखाई दे रहा है |
शैलोफेक अर्थात् उथला नकली का तात्पर्य ऐसे नकली उत्पादों की गुणवत्ता से है जिनकी गुणवत्ता डीपफेक से कम होती है |लेकिन यह उन्हें और भी खतरनाक बनाता है |शैलोफेक आसानी से बनाये तथा उपयोग किये जा सकते है |वर्तमान समय में बढ़ते डिजिटल वातावरण में गलत सूचना फ़ैलाने के लिये शैलोफेक्स का चलन बढ़ गया है |
पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेन्स, बैंक स्टेटमेंट जैसे पहचान पत्र का गलत प्रमाण पत्र बनाने के लिये शैलोफेक्स का उपयोग किया जाता है |इसके द्वारा कभी-कभी एक ही दस्तावेज को केवल परिवर्तन करके फिर से उपयोग किया जा सकता है |
शैलोफेक को कैसे पहचाना जा सकता है-
जब कभी आपको किसी वीडियो पर शक हो तो सबसे पहले वीडियो या ऑडियो की गुणवत्ता की जाँच करें क्योंकि शैलोफेक्स अक्सर कम गुणवत्ता वाले होते है |इसके अलावा इस तरह की वीडियोज में ऑडियो तथा वीडियो सिंक में भी गड़बड़ियाँ देखने को मिल सकती है |
शैलोफेक्स में अक्सर अजीब या अस्वाभाविक दिखने वाले चेहरें या आवाजें हो सकती हैं |यदि आप वीडियो या ऑडियो क्लिप का स्रोत नहीं पहचानते है तो ये भी वीडियो के संदिग्ध होने की सम्भावना है |
सोशल मीडिया पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें तथा किसी भी प्रकार के धोखाधडी वाले लेनदेन के लिये अपने बैंक खाते पर नज़र रखे |यदि डिजिटल प्लेटफार्म पर मौजूदा अपने महत्वपूर्ण दस्तावेजों तथा व्यक्तिगत जानकारियों पर ध्यान रखे तो हम शैलोफेक्स के बढ़ते खतरे को रोक सकते है |
शैलोफेक्स तथा डीपफेक में अंतर-
शैलोफेक्स तथा डीपफेक दोनों ही फर्जी वीडियो बनाने की तकनीकें है जो लोगों को भ्रमित करने के लिये इस्तेमाल की जाती हैं |शैलोफेक में मौजूदा वीडियो तथा ऑडियो में छोटे बदलाव किये जाते है, जिससे कि किसी व्यक्ति का चेहरा बदलना या किसी भाषण में शब्द को जोड़ना |ये फोटोशॉप या अन्य वीडियो बनाने वाले सॉफ्टवेयर का उपयोग करके किया जा सकता है |शैलोफेक बनाने में डीपफेक की तुलना में कम समय तथा प्रयास लगता है |वही दूसरी ओर डीपफेक अधिक जटिल तकनीक है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करती है |ये AI मॉडल को प्रशिक्षित करके किया जाता है जो वास्तविक लोगों के वीडियो तथा ऑडियो का विश्लेषण करते है |AI मॉडल डेटा का उपयोग करके नए वीडियो को बना सकते है जो असली लगते तो है लेकिन होते नहीं है |
भारत में भी लोकसभा चुनावों के दौरान गलत सूचना के प्रसार को रोकने के लिये चुनाव आयोग ने हॉल ही में एक मिथक बनाम वास्तविकता रजिस्टर लॉन्च किया है |जिसे नवीनतम फर्जी ख़बरों को शामिल करने के लिये नियमित रूप से अपडेट किया जायेगा |मिथक बनाम वास्तविकता रजिस्टर चुनाव आयोग की अधिकारिक वेबसाइट mythvsreality.eci.gov.in के माध्यम से जनता के लिये उपलब्ध है |
पोल पैनल का कहना है कि गलत सूचना तथा झूठी कहानियों के प्रसार के साथ ये सक्रिय पहल यह सुनिश्चित करना चाहती है कि मतदाताओं को पूरी चुनावी प्रक्रिया के दौरान सटीक और सत्यापित जानकारी मिल सकें |यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि शैलोफेक तथा डीपफेक दोनों ही लोगों को धोखा देने के लिये इस्तेमाल किये जा सकते है |यदि आप ऑनलाइन वीडियो देखते है तो ये महत्वपूर्ण है कि आप वीडियो के सही स्रोत की पहचान करें और सुनिश्चित करें कि आप जो देख रहे है वह वास्तविक है |
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