Global Climate Risk Index 2025:जानें क्या है वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक और भारत की स्थिति

Global Climate Risk Index 2025:हॉल ही में वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक (CRI) जारी किया गया |इस सूचकांक में भारत 6 वें स्थान पर है तथा 1993 से 2022 के मध्य चरम मौसम की घटनाओं से सर्वाधिक प्रभावित देशों में शामिल है |जबकि चरम मौसम की घटनाओं से सर्वाधिक प्रभावित शीर्ष पांच देशों में डोमिनिका, चीन, होंडुरास, म्यांमार तथा इटली शामिल है |

जलवायु जोखिम सूचकांक 2025 के बारे में-

Global Climate Risk Index 2025:जानें क्या है वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक और भारत की स्थिति

जलवायु जोखिम सूचकांक 2025 बॉन तथा बर्लिन स्थित एक स्वतंत्र विकास, पर्यावरण और मानवाधिकार संगठन, जर्मनवाच द्वारा प्रकाशित किया गया है |जलवायु जोखिम सूचकांक चरम मौसम के कारण होने वाले मानवीय तथा आर्थिक नुकसान के आधार पर देशों को रैंक करता है |नवीनतम संस्करण में बढ़ती क्षति तथा ठोस जलवायु कार्यवाई की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है |

यह सूचकांक, देशों के समक्ष मौजूद जलवायु जोखिम को ध्यान में रखते हुए अंतर्राष्ट्रीय जलवायु नीति बहसों तथा प्रक्रियाओं पर प्रकाश डालता है |

जलवायु जोखिम सूचकांक की मुख्य विशेषताएं-

1-सूचकांक के अनुसार वर्ष 1993 से 2022 तक चरम मौसम की घटनाओं के कारण दुनिया भर में 7,65,000 से अधिक मौतें हुई |

2-वैश्विक स्तर पर 9000 से अधिक चरम मौसमी घटनाओं के कारण प्रत्यक्ष आर्थिक नुकसान 4.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर (मुद्रास्फीति-समायोजित) तक पहुँच गया|

3-गौरतलब है कि चरम मौसम के प्राथमिक प्रभाव बाढ़, तूफ़ान, गर्म लहरें तथा सूखा थे |

4-वैश्विक दक्षिण देश, विशेषकर निम्न मध्यम आय वर्ग वाले देश, विषम मौसम से असमान रूप से प्रभावित है और दस सर्वाधिक प्रभावित देशों में से पांच देश इसी समूह के है |

5-सूचकांक के अनुसार COP29 जलवायु वित्त के लिए महत्वाकांक्षी नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQG) निर्धारित करने में विफल रहा|

6-COP29 में विकासशील देशों के लिए 2035 तक प्रतिवर्ष 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर की धनराशि का वादा किया गया है, जो कमजोर देशों की तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है |

7-अनुकूलन वित्त का भी गंभीर अभाव है तथा जलवायु प्रभावों से होने वाली हानि तथा क्षति से निपटने के लिए वित्त पोषण में भी महत्वपूर्ण अंतराल है |

8-जलवायु जोखिम सूचकांक इस बात पर जोर देता है कि वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए शमन प्रयासों को बढ़ाया जाना चाहिए, विशेष रूप से उच्च आय वाले तथा अत्यधिक उत्सर्जन करने वाले देशों द्वारा |

9-जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचने तथा वैश्विक जलवायु जोखिमों को प्रबंधनीय बनाये रखने के लिए देशों को अधिक मजबूत जलवायु लक्ष्य निर्धारित करने होंगे तथा अधिक प्रभावी राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान को लागू करना होगा |

जलवायु जोखिम सूचकांक 2025 दर्शाता है कि चरम मौसम की घटनायें विशेष रूप से भारत तथा चीन जैसे देशों में, अधिक लगातार तथा गंभीर होती जा रही है |भविष्य की कमजोरियों को कम करने तथा और भी अधिक मानवीय तथा आर्थिक लागतों को रोकने के लिए मजबूत जलवायु वित्त तथा शमन प्रयासों की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण है |

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