उत्तराखंड कैबिनेट ने यूनिफार्म सिविल कोड (UCC) मैनुअल को दी मंजूरी:जानें क्या है समान नागरिक संहिता

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें यूनिफार्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता-UCC) मैनुअल को मंजूरी दी गयी |कैबिनेट ने समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए हॉल ही में तैयार किये गये नियमों में आंशिक संशोधन करने के बाद मैनुअल को मंजूरी दी |इस लेख में उत्तराखंड के समान नागरिक संहिता के बारे में, उसके प्रमुख प्रावधान तथा यूनिफार्म सिविल कोड के विषय में चर्चा करेंगे |

उत्तराखंड के समान नागरिक संहिता के बारे में-

उत्तराखंड कैबिनेट ने यूनिफार्म सिविल कोड (UCC) मैनुअल को दी मंजूरी:जानें क्या है समान नागरिक संहिता

कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा "हमने 2022 में घोषणा की थी कि सरकार बनने के बाद हमारा पहला काम UCC होगा |समिति ने मसौदा तैयार किया है तथा इसे राष्ट्रपति की सहमति से पारित किया गया |प्रशिक्षण अंतिम चरण में है तथा हम जल्द ही कार्यान्वयन की तारीखों की घोषणा करेंगे |हमने आज नियमों पर चर्चा की है |"

सात अनुसूचियों के तहत 392 धाराओं से युक्त UCC, चार खंडों में फैले 750 पृष्ठ के विस्तृत मसौदे पर आधारित है |सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व वाली समिति ने 2 फरवरी 2024 को राज्य सरकार को अपना मसौदा प्रस्तुत किया |समान नागरिक संहिता को फरवरी 2024 में राज्य विधानसभा द्वारा पारित किया गया था |

विशेष सत्र के दौरान विधानसभा में पारित होने के बाद, UCC विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा गया तथा राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) द्वारा अनुमोदित किया गया |

राज्य ने इसे अंतिम मंजूरी के लिए भेजा क्योंकि UCC समवर्ती सूची में आता है तथा इसके लिए राष्ट्रपति की मंजूरी की आवश्यकता होती है |

उत्तराखंड के यूनिफार्म सिविल कोड के प्रमुख प्रावधान-

1-कानून में स्पष्ट रूप से आदिवासी समुदायों को शामिल नहीं किया गया गया है तथा 'हलाला', 'इद्दत' तथा तलाक जैसी प्रथाओं पर प्रतिबन्ध लगाया गया है, जो मुस्लिम पर्सनल लॉ का हिस्सा है |

2-इसके अनुसार महिलाओं को सम्पति तथा विरासत के अधिकार से सम्बंधित मामलों में समान अधिकार दिए जाये |

3-इस संहिता में विवाह तथा तलाक को पंजीकृत करना भी अनिवार्य कर दिया गया है, ऐसा न करने पर संबन्धित दंपत्ति सभी सरकारी सुविधाओं के लाभ से वंचित हो जायेगा |

4-इसमें लिव-इन रिलेशनशिप को पंजीकृत न करने पर भी कड़े प्रावधान है |लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चों को UCC के तहत दंपत्ति की वैध संतान माना जायेगा |

4-UCC के कार्यान्वयन के लिए, राज्य सरकार ने विवाह, तलाक, विरासत के अधिकार, लिव-इन रिलेशनशिप तथा लिव-इन रिलेशनशिप की समाप्ति के पंजीकरण के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल स्थापित किया है |

समान नागरिक संहिता के बारे में-

1-यह संहिता विवाह, तलाक, गोद लेने तथा विरासत जैसे विषयों से सम्बंधित प्रत्येक धर्म के अलग-अलग व्यक्तिगत कानूनों को बदलने के लिए कानूनों का एक समान सेट बनाने का प्रयास करती है |

2-यह संविधान के अनुच्छेद 44 से सम्बंधित है, जो यह अनिवार्य करता है कि राज्य "भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक सहिंता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा |"यह प्रावधान राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों (संविधान के भाग 4) का एक हिस्सा है, जो देश के शासन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |

3-गोवा भारत का एकमात्र राज्य है जिसके पास 1867 के पुर्तगाली नागरिक संहिता का अनुसरण करते हुए एक समान नागरिक संहिता है |

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