State Of Forest Report 2023:केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने देहरादून में वन रिपोर्ट (SFR) 2023 जारी की |

हॉल ही में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री द्वारा वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून में स्टेट ऑफ़ फारेस्ट रिपोर्ट (SFR) 2023 जारी की गयी |स्टेट फारेस्ट रिपोर्ट भारत सरकार द्वारा वन और वृक्ष आवरण, कार्बन स्टॉक, वन की आग तथा अन्य प्रमुख वन मापदंडों को ट्रैक करने के लिए एक द्विवार्षिक मूल्यांकन है |इस लेख में वन रिपोर्ट 2023 के प्रमुख निष्कर्षों के बारें में चर्चा करेंगे |

State Of Forest Report 2023:केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने देहरादून में वन रिपोर्ट (SFR) 2023 जारी की |

वन रिपोर्ट 2023 के मुख्य निष्कर्ष-

वन रिपोर्ट 2023 के मुख्य निष्कर्ष निम्न है-

1-भारत का कुल वन तथा वृक्ष आवरण 8,27,367 वर्ग किलोमीटर है जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17% है, जिसमें वन आवरण 7,15,343 वर्ग किलोमीटर (21.76%) तथा वृक्ष आवरण 1,12.014 वर्ग किलोमीटर (3.41%) योगदान देते है|

2-वन रिपोर्ट 2021 से वृद्धि मामूली है, जिसमें 1445 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है |छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश तथा ओडिशा ने वन तथा वृक्ष आवरण में सकारात्मक वृद्धि हुई है |जबकि मध्य प्रदेश, कर्नाटक, लद्दाख तथा नागालैंड जैसे राज्यों में हरित आवरण में कमी देखी गयी है |

3-वर्तमान आकलन से यह पता चलता है कि 19 राज्यों/केन्द्रशासित क्षेत्रों में 33% से अधिक भौगोलिक क्षेत्र वन आवरण के अंतर्गत है |इसमें से 8 राज्यों/केंद शासित क्षेत्रों जैसे-मिजोरम, लक्ष्यद्वीप, अंडमान निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा तथा मणिपुर में 75% से अधिक वन आवरण है |

4-कुल कच्छ वनस्पति आवरण 4,992 वर्ग किलोमीटर है|

5-राष्ट्रीय वन नीति 1988 का लक्ष्य भारत के भौगोलिक क्षेत्र का 33% भाग वन या वृक्ष आवरण के अंतर्गत होना है, जिससे वर्तमान कवरेज लक्ष्य से कम है |

6-पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र तथा नीलगिरी जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में बहुत घने वनों में कुछ वृद्धि के बावजूद वन आवरण में कमी देखी गयी है |

7-रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 0.15% मैन्ग्रोव आवरण के अंतर्गत है |

वन रिपोर्ट 2023 में वन गुणवत्ता तथा परिभाषाओं के बारे में चिंताएं-

SFR 2023 में वन गुणवत्ता तथा परिभाषाओं के बारे में निम्नलिखित चिंताएं व्यक्त की गयी है-

1-विशेषज्ञ हरित आवरण में कथित वृद्धि में योगदान देने वाले वनों की गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त करते है |

2-वन रिपोर्ट में गैर-देशी तथा वृक्षारोपण क्षेत्र (जैसे-बांस, बाग, ताड़) शामिल है जो प्राकृतिक वनों की वास्तविक स्थिति को विकृत कर सकते है |

3-रिपोर्ट में वृक्षारोपण तथा मोनोकल्चर से डेटा एकत्र किया गया है, जो वन स्वास्थ्य तथा जैव विविधता के बारे में हितधारकों को गुमराह कर सकता है |

4-वन विखंडन तथा जैव विविधता जैसे महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी संकेतकों पर ध्यान केन्द्रित करने की कमी है, जिससे प्रस्तुत आंकड़ों के वास्तविक पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन करना मुश्किल हो जाता है |

वन रिपोर्ट 2023 में वन आग तथा निगरानी सम्बंधित निष्कर्ष-

वन रिपोर्ट 2023 भारत की वन आग चेतावनी प्रणाली की प्रभावशीलता पर प्रकाश डालता है, जिसने 2023-24 के आग के मौसम के लिए 112.67 लाख से अधिक SMS अलर्ट जारी किये |

नासा के AQUA तथा NOAA के Suomi-NPP जैसे उपग्रह आग के हॉटस्पॉट की निगरानी करते है, जो पिछले वर्षों की तुलना में आग की घटनाओं में मामूली कमी का पता लगाते है |

जलवायु कार्यवाही तथा कार्बन स्टॉक से लिंक-

भारत के कार्बन स्टॉक में 2021 और 2023 के मध्य 81.5 मिलियन टन की बढ़ोतरी हुई, जो 2030 तक कार्बन स्टॉक को 2.5-3 बिलियन टन बढ़ाने के देश के लक्ष्य के अनुरूप है |जबकि वन रिपोर्ट बढ़ते स्टॉक में 4.25% की वृद्धि की रिपोर्ट करता है |यह वन क्षरण के कारणों पर विस्तृत डेटा प्रदान नहीं करता है न ही कार्बन पृथक्करण में वन गुणवत्ता का योगदान के बारे में बताता है |

विशेषज्ञों का तर्क है कि SFR भूमि-उपयोग परिवर्तनों या पारिस्थितिकी तंत्र के नुकसान को ट्रैक करने के लिए तंत्र प्रदान करने में विफल रहता है, जिससे जलवायु कार्यवाही या दीर्घकालिक पर्यावरणीय योजना के लिए एक विश्वसनीय संकेतक के रूप में इसकी क्षमता कम हो जाती है |

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