अभिनेता जीन हैकमैन की पत्नी बेट्सी हैकमैन की मृत्यु ने हंता वायरस के खतरों को उजागर किया है | हंता वायरस के मामलें बहुत ही दुर्लभ है, लेकिन बीमारी की गंभीरता जागरूकता को आवश्यक बनाती है |इस लेख में हंता वायरस क्या है, इसके लक्षण तथा उपचार और प्रबंधन के विषय में चर्चा करेंगे |
हंता वायरस क्या है-

यह वायरस Rodents (कृन्तकों-छोटे कुतरने वाले स्तनधारी) द्वारा फैलाये जाने वाले वायरस परिवार का हिस्सा है, जो मनुष्यों में गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है |हंता वायरस से जुड़ी दो प्रमुख बीमारियाँ है-
1-हंता वायरस पल्मोनरी सिंड्रोम (HPS)-एक श्वसन संबंधी बीमारी जो फेफड़ों में तरल पदार्थ के निर्माण तथा साँस लेने में कठिनाई का कारण बनती है |
2-रेनल सिंड्रोम के साथ रक्तस्रावी बुखार (HFRS)-एक ऐसी स्थिति जिसमें आंतरिक रक्तस्राव तथा गुर्दे की विफलता होती है |
हंता वायरस मुख्य रूप से कृन्तकों, विशेष रूप से Deer Mice, सफ़ेद पैरों वाले चूहों, चावल के चूहों तथा कपास के चूहों द्वारा फैलता है |
संक्रमण के तरीके-
1-संक्रमण का सबसे आम तरीका एरोसोलाइजेशन है |जब कृतंक के मूत्र, मल या लार में गड़बड़ी होती है, तो वायरस के कण हवा में फ़ैल जाते है तथा सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाते है |
2-सीधा समपर्क-दूषित सतहों को छूने तथा फिर आँखों, नाक या मुहं को छूने से संक्रमण हो सकता है |
3-कृतंक के काटने से |
4-मानव से मानव संपर्क-दुर्लभ तथा केवल एंडीज वायरस जैसे विशिष्ट उपभेदों के साथ रिपोर्ट किया गया |
हन्ता वायरस संक्रमण के लक्षण-
हंता वायरस संक्रमण दो चरणों में आगे बढ़ता है-
1-शुरूआती चरण (संपर्क के 1-8 हफ्ते बाद), जिसमें बुखार, ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द (विशेष रूप से जांघों, कूल्हों तथा पीठ में), थकान, सिरदर्द, पेट में दर्द, मतली, उल्टी तथा दस्त शामिल है |
2-गंभीर चरण में-अचानक सांस लेने में तकलीफ, खांसी, सीने में जकड़न, फेफड़ों में तरल पदार्थ का निर्माण, तीव्र श्वसन संकट तथा दिल की विफलता का खतरा होता है, जो तत्काल चिकित्सा देखभाल के बिना घातक हो सकता है |
हंता वायरस से प्रभावित लोग-
कुछ लोग हंता वायरस के संपर्क में आने के लिए अधिक संवेदनशील है, जिनमें शामिल है-
1-कृतंक संक्रमित क्षेत्रों में कार्य करने वाले किसान तथा कृषि श्रमिक |
2-निर्माण श्रमिक तथा परित्यक्त स्थानों की सफाई करने वाले |
3-कृतंक घोसलों के संपर्क में आने वाले कैम्पर तथा हाइकर |
4-संक्रमण से निपटने वाले घर के मालिक |
5-पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिलाएं तथा पालतू कृतंकों को सँभालने वाले प्रतिरक्षाविहीन व्यक्ति |
हंता वायरस संक्रमण से सम्बंधित उपचार तथा प्रबंधन-
हंता वायरस के लिए कोई विशिष्ट एंटीवायरल उपचार या इलाज नहीं है |चिकित्सा देखभाल लक्षण प्रबंधन पर केन्द्रित है-
1-सांस लेने में सहायता के लिए ऑक्सीजन थेरेपी |
2-गंम्भीर मामलों में मैकेनिकल वेंटिलेशन |
3-गंभीर रोगियों के लिए गहन देखभाल इकाई (ICU) सहायता |
हंता वायरस से बचाव का सबसे अच्छा तरीका रोकथाम है-
1-कृन्तक नियंत्रण-कृंतक प्रवेश को रोकने के लिए घरों तथा कार्यस्थलों को सील करें |
2-उचित स्वच्छता-खाद्य अपशिष्ट का सुरक्षित तरीके से निपटान करें |
3-कृंतक गतिविधि वाले क्षेत्रों की सफाई करते समय दस्ताने तथा मास्क पहने |
4-भण्डारण स्थानों, खलिहानों तथा बाहरी क्षेत्रों में कृंतक घोसलों को परेशान करने से बचे |
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