प्रवर्तन निदेशालय:जानें क्या है ED और इसकी कार्य और शक्तियों के बारें में

प्रवर्तन निदेशालय:प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 2015 से धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) 2002 के तहत 5892 मामलें हाथ में लिए है |जिसमें विशेष अदालतों द्वारा अब तक केवल 15 मामलों में ही दोषसिद्धि हुई है, जो कुल मामलों की तुलना में बहुत ही कम है |मनी लॉन्ड्रिंग के लगातार बढ़ते मामलें तथा दोषसिद्धि की कम दर कानून के प्रभावी क्रियान्वयन पर सवाल उठाती है |इस लेख में प्रवर्तन निदेशालय के बारें में, इसके कार्य और शक्तियों और धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के विषय पर चर्चा करेंगे |

प्रवर्तन निदेशालय के बारें में-

प्रवर्तन निदेशालय:जानें क्या है ED और इसकी कार्य और शक्तियों के बारें में

यह एक कानून प्रवर्तन तथा आर्थिक ख़ुफ़िया एजेंसी है |इसकी स्थापना 1 मई, 1956 को की गयी थी |इसकी स्थापना आर्थिक मामलों के विभाग के तहत एक 'प्रवर्तन इकाई' के रूप में की गयी थी |यह निदेशालय राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन है |

इसका मुख्यालय नयी दिल्ली में है |इसका प्राथमिक उद्देश्य कुछ प्रमुख अधिनियमों को लागू करना है-

1-प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 (धन शोधन निवारण अधिनियम 2002) |

2-भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 

3-फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA), 1999

4-फॉरेन एक्सचेंज रेगुलेशन एक्ट (FERA), 1973

प्रवर्तन निदेशालय के कार्य-

1-फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA), 1999 के उल्लंघन से सम्बंधित सूचना को इकट्ठा करना तथा उनका प्रसार करना |फेमा एक्ट ने फेरा 1973 को प्रतिस्थापित किया |इसका उद्देश्य देश में विदेशी मुद्रा बाजार के व्यवस्थित विकास तथा रखरखाव को बढ़ावा देना और विदेशी व्यापार एवं भुगतान को सुविधाजनक बनाना |

2-प्रवर्तन निदेशालय इस एक्ट के तहत हवाला, फॉरेन एक्सचेंज रैकेटियरिंग, निर्यात प्रक्रियाओं का पूरा न करना, विदेशी विनिमय का गैर-प्रत्यावर्तन तथा उल्लंघन जैसी संदिग्ध गतिविधियों की जाँच करता है|

3-फेरा, 1973 तथा फेमा, 1999 के उल्लंघन के मामलों का न्याय-निर्णयन करना |

4-कार्यवाही के समापन पर लगाये गए दंड की वसूली करना |

5-विदेशी मुद्रा तथा तस्करी निवारण अधिनियम के संरक्षण (COFEPOSA) के तहत निवारक निरोध के मामलों की प्रक्रिया तथा सिफारिश करना |

6-प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 के अपराधी के खिलाफ सर्वेक्षण, तलाशी, जब्ती, गिरफ्तारी, अभियोजन कार्यवाई आदि करना |यह एक्ट 2005 में लागू हुआ था |इस एक्ट का उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या से निपटना है |

7-भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 के तहत मामलों की जाँच करना |

प्रवर्तन निदेशालय की शक्तियां-

1-किसी स्थानीय पुलिस स्टेशन द्वारा दर्ज किये गए 1 करोड़ रुपये से अधिक की आय अर्जित करने संबंधित आपराधिक मामलें पर ED कार्यवाही करता है |

2-धन की हेरा-फेरी के संदेह के मामले में ED संपत्ति की तलाशी, जब्ती तथा कुर्की का आदेश भी दे सकता है |

3-निदेशालय मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों की पूर्वव्यापी जाँच नहीं कर सकता |

4-2005 से पूर्व अर्जित तथा शोधन की गयी किसी भी संपत्ति की जाँच धन शोधन निवारण अधिनियम, 2005 के अंतर्गत नहीं की जा सकती है |अगर किसी ऐसी संपत्ति का निपटारा 2005 के पश्चात किया जाता है तो मामला PMLA के अंतर्गत आता है |प्रवर्तन निदेशालय को PMLA (धन शोधन निवारण अधिनियम) की धारा 48 तथा 49 के अंतर्गत जाँच करने की शक्ति प्राप्त है |

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धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) कैसे होता है-

PMLA की धारा 3 के अनुसार, धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) वह प्रक्रिया है जिसमें अपराध से अर्जित आय को छिपाया जाता है या उसे बेदाग संपत्ति के रूप में दर्शाया जाता है |मनी लॉन्ड्रिंग के निम्नलिखित 3 चरण है-

1-प्लेसमेंट-अवैध धन को छोटी-छोटी राशियों में वित्तीय प्रणाली में प्रवेश कराना (जैसे नकद को तोड़ना, स्मर्फिंग )|

2-लेयरिंग-जटिल निवेश या लेन-देन के जरिए धन का स्थानांतरण तथा स्रोत को छिपाना |

3-इंटीग्रेशन-सफेद धन के रूप में निवेश या संपत्ति खरीदकर इसे वैध अर्थव्यवस्था में शामिल करना |

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, यह प्रक्रिया देश की वित्तीय प्रणाली, संप्रभुता तथा मौद्रिक स्थिरता के लिए गंभीर खतरा बन सकती है, साथ ही मुद्रास्फीति तथा आर्थिक अस्थिरता भी पैदा कर सकती है |आतंकी गतिविधियों की फंडिंग में मनी लॉन्ड्रिंग का सीधा संबंध होता है |

धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 क्या है-

धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक राजनीतिक घोषणापत्र तथा कार्य कार्यक्रम के अनुरूप लागू किया गया है |

इसका मुख्य उद्देश्य धन शोधन रोकना, अपराध से अर्जित संपत्ति को जब्त करना तथा दोषियों को सजा देना है |

इस अधिनियम में सबूत का भार अभियुक्त पर होता है अभियोजन नहीं, बल्कि अभियुक्त को स्वयं को निर्दोष सिद्ध करना होता है |Enforcement Case Information Report (ECIR) कार्यवाही शुरू करने के लिए पर्याप्त है, FIR की आवश्यकता नहीं है |

वहीं संपत्ति की कुर्की के लिए पूर्व-पंजीकृत आपराधिक मामला आवश्यक नहीं है, लेकिन अभियोजन के लिए अनुसूचित अपराध दर्ज होना जरुरी है |

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