कोको आइसलैंड पांच द्वीपों का का एक समूह है, जिसमें से चार ग्रेट कोको रीफ पर तथा एक अन्य द्वीप लिटिल कोको रीफ पर है |यह द्वीप बंगाल की खाड़ी में स्थित कुछ छोटे द्वीपों का समूह है जिन पर बर्मा (वर्तमान में म्यांमार) का अधिकार है |बीजेपी से अंडमान निकोबार द्वीप समूह के कैंडिडेट विष्णु पद ने कहा है कि प्रधानमंत्री नेहरु ने कोको द्वीप को म्यांमार को गिफ्ट दे दिया जोकि अब चीन के पूर्ण नियंत्रण में है |इस लेख में कोको द्वीप के बारे में तथा इससे जुड़ें विवाद के बारें में चर्चा करेंगे |
इस लेख में-
1-कोको द्वीप के बारें में |
2-कोको द्वीप विवाद |
3-म्यांमार ने कोको द्वीप को लेकर चीन को छूट क्यों दी |
4-कोको द्वीप कैसा है |
कोको द्वीप के बारें में-

कोको द्वीप बंगाल की खाड़ी तथा अंडमान सागर की सीमा पर है तथा भारत के अंडमान एवम निकोबार द्वीप समूह से ठीक उत्तर में है |प्रशासनिक रूप से यह म्यांमार के यांगून मंडल का हिस्सा है |यांगून म्यांमार की पूर्व राजधानी रही है तथा वर्तमान में नाएप्यीडॉ (Naypyidaw) म्यांमार की राजधानी है |कोको द्वीप यांगून से 414 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है |अंडमान-निकोबार की तरह ही यह द्वीप भी भारत की समुद्री सुरक्षा के लिये भी काफी महत्वपूर्ण है |
भारत तथा म्यांमार दोनों ही पड़ोसी देश है |इनके मध्य संबंध काफी पुराने तथा गहरे है |1937 तक बर्मा भी भारत का ही हिस्सा हुआ करता था तथा यह ब्रिटिश राज के अधीन ही था |बर्मा यानी म्यांमार के अधिकतर लोग बौद्ध है |इस कारण भी भारत से सांस्कृतिक संबंध बनता है |दोनों देशों के मध्य करीब 1600 किलोमीटर से अधिक लम्बी भूमि सीमा तथा बंगाल की खाड़ी में एक समुद्री सीमा है |इसके अतिरिक्त चार उत्तर पूर्वी राज्यों अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर तथा मिजोरम की अंतर्राष्ट्रीय सीमा म्यांमार के साथ लगती है |कोको दक्षिण एशिया के सबसे प्रमुख राजनीतिक द्वीपों में से एक है |
कोको द्वीप विवाद-
हॉल ही में कोको द्वीप को लेकर अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह से भाजपा के उम्मीदवार विष्णु पद रे ने यह दावा किया है कि देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरु ने उत्तरी अंडमान द्वीप समूह का एक हिस्सा कोको द्वीप समूह म्यांमार को गिफ्ट में दिया था जो वर्तमान में चीन के सीधे नियंत्रण में है |
चीन से मुकाबला करने के लिये भारत सरकार कैंबल खाड़ी में एक शिपयार्ड तथा दो रक्षा हवाई अड्डों का निर्माण कर रही है |भारत पर नज़र रखने के लिये चीन 1990 से ही कोको द्वीप पर लगातार अपनी सैन्य गतिविधियों को बढ़ा रहा है |चीन ने इस द्वीप पर एक मानिटरिंग स्टेशन तथा रडार भी लगाया है |इसके अतिरिक्त चीन ने कोको द्वीप पर बनी एयर स्ट्रिप को भी बढ़ा दिया है |वहीँ चीन ने इस आईलैंड के अलावा श्रीलंका, पाकिस्तान, म्यांमार तथा बांग्लादेश में भी कई बंदरगाह बनाये हुये है |अब सवाल यह है कि सच में म्यांमार को कोको द्वीप समूह गिफ्ट में मिला था |इस संबंध में कई दावे है-
1-प्रथम दावा-
कई लोगों को कहना है कि जब भारत को आज़ादी मिली तब अंडमान निकोबार भी आज़ाद भारत का हिस्सा हो गये तब कोको द्वीप समूह को ब्रिटिशर्स ने म्यांमार को सौंप दिया था |
2-दूसरा दावा-
कुछ लोगों का मत है कि ब्रिटिश सरकार अंडमान द्वीप को भारतीय क्रांतिकारियों को सजा देने के लिये इस्तेमाल करती थी |कैदियों तथा बाकी लोगों के लिये खाना कोको आईलैंड से ही आता था |ऐसे में ब्रिटिशर्स ने खर्चे तथा झंझट से बचने के लिये इस द्वीप को बर्मा के एक नामी परिवार को लीज पर दे दिया था तथा वर्ष 1882 में ये आधिकारिक तौर पर बर्मा (म्यांमार) का हिस्सा बन गया |
3-तीसरा दावा-
एक तर्क यह भी है कि भारत सामरिक तौर पर मजबूत न बन सके इसके लिये ब्रिटिश सरकार ने जानबूझकर कोको द्वीप समूह को भारत से अलग कर दिया था |
म्यांमार ने कोको द्वीप को लेकर चीन को छूट क्यों दी-
म्यांमार लम्बे समय से राजनीतिक तथा आर्थिक तौर पर अस्थिर है और यहाँ रोहिंग्या मुसलमान भी है जिन्हें वहां की स्थानीय बौद्ध आबादी द्वारा कभी स्वीकार नहीं किया गया |दोनों के मध्य समय-समय पर तनाव बढ़ जाता है तथा इस आपसी उठापटक का असर वहां की राजनीति पर पड़ता रहता है |इसका नतीजा यह हुआ कि म्यांमार कभी भी इकोनॉमिक तौर पर मजबूत नहीं हो सका |एक रिपोर्ट यह बताती है कि इस क्षति से उभरने के लिये म्यांमार ने चीन से भारी कर्ज लिया हुआ है |वर्ष 2020 से पहले ही उस पर कुल कर्ज में 40% हिस्सा चीन का था तथा यह लगातार बढ़ रहा है |अब इस स्थिति में म्यांमार की सरकार चीन के आगे मजबूर है |इसके अलावा चीन में म्यांमार के कई दूसरे प्रोजेक्ट भी चल रहे है जिनमें से एक है क्याउकफ्यू पोर्ट (Kyaukphyu Port) यहाँ से चीन नौसेना भारतीय परमाणु पनडुब्बियों की गतिविधियों को ट्रैक कर सकती है |
कोको द्वीप कैसा है-
कोको द्वीप अंडमान-निकोबार द्वीप समूह से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है |इसके नाम की भी एक कहानी मिलती है |वैसे समुद्र से सटे सभी इलाकों में नारियल की उपलब्धता काफी ज्यादा होती है लेकिन कोको आईलैंड पर इसकी भरमार है इसलिए इसे कोको आईलैंड कहा जाता है |कोको आईलैंड के दो भाग है-ग्रेट कोको तथा स्माल कोको आईलैंड |
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