भारत में गंगा, ब्रह्मपुत्र तथा सिन्धु नदी प्रणालियों में नदी डॉल्फिन की प्रथम जनसंख्या का आकलन किया गया है जिसके निष्कर्ष शीघ्र ही जारी किये जायेंगे |इस लेख में गंगा नदी डॉल्फिन के बारें में, प्रोजेक्ट डॉल्फिन आदि के विषय में चर्चा करेंगे |
प्रोजेक्ट डॉल्फिन के बारें में-

प्रोजेक्ट डॉल्फिन भारत सरकार की एक संरक्षण पहल है, जिसका लक्ष्य नदी तथा महासागरीय डॉल्फिनों का संरक्षण करना है |प्रोजेक्ट डॉल्फिन की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2020 में की थी |यह 10 वर्षों तक चलने वाली परियोजना है |यह अर्थ गंगा परियोजना के तहत नियोजित गतिविधियों में से एक है |परियोजना का नोडल मंत्रालय पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय है |इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य भारत की विविध डॉल्फिन प्रजातियों की सुरक्षा करना तथा उनके सामने आने वाले विभिन्न खतरों का समाधान करना है |इसका उद्देश्य समुद्री पारिस्थितिकी तथा समुद्री पर्यावरण के समग्र स्वास्थ्य को मजबूत करना है |इस परियोजना में गश्त तथा निगरानी को मजबूत करना तथा स्थानीय लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना शामिल है |
यह प्रोजेक्ट न केवल संरक्षण चिंताओं को संबोधित करती है, बल्कि हितधारकों को संरक्षण प्रयासों में शामिल होने के लिए सशक्त भी बनाती है |
गंगा नदी डॉल्फिन के बारे में-
यह डॉल्फिन भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव है |इसको पारिस्थितिकीय महत्ता तथा अनूठी अनुकूलताओं के लिए जाना जाता है |गंगा डॉल्फिन का वैज्ञानिक नाम प्लेटानिस्टा गैंगेटिका है |
यह ताजे पानी की डॉल्फिन प्रमुख रूप से गंगा, ब्रह्मपुत्र, मेघना तथा कर्नफुली-सांगू नदी प्रणालियों में पाई जाती है, जो भारत, बांग्लादेश तथा नेपाल में फैली है |
इस डॉल्फिन को नदी पारिस्थितिकी तंत्र की स्वास्थ्य स्थिति का संकेतक माना जाता है |इसका अस्तित्व जलीय आवासों कि स्थिति को दर्शाता है तथा जैव विविधता मूल्यांकन में महत्वपूर्ण है |इनकी घटती जनसंख्या प्रदूषण तथा आवास विनाश जैसी पर्यावरण समस्याओं का संकेत है |
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) में ये संकटग्रस्त के अंतर्गत सूचीबद्ध है |जबकि भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 1, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सम्मेलन (CITES) की परिशिष्ट 1 तथा प्रवासी प्रजातियों पर सम्मेलन (CMS) के परिशिष्ट 1 में सूचीबद्ध है |
गंगा नदी डॉल्फिन लगभग अंधी होती है तथा दिशा-निर्देश और शिकार के लिए इकोलोकेशन पर निर्भर करती है |यह अल्ट्रासोनिक ध्वनियाँ उत्पन्न करती है, जो पानी में वस्तुओं से टकराकर वापस आती है |जिससे यह ध्वनी का माध्यम से अपने परिवेश का अनुमान लगाती है |
ये ताजे पानी के गहरे हिस्सों में रहती है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहाँ दो या अधिक नदियाँ मिलती है |इस प्रकार के आवास उन्हें आवासीय क्षरण के प्रति संवेदनशील बनाते है |
यह मछलियों का शिकार करती है तथा पानी में शिकार का पता लगाने के लिए इकोलोकेशन का उपयोग करती है |
गंगा नदी डॉल्फिन के अस्तित्व को खतरा-
1-औद्योगिक तथा कृषि अपशिष्ट से जल प्रदूषण होता है, जिससे डॉल्फिन तथा उनके भोजन दोनों प्रभावित होते है|
2-बांध तथा बैराज निर्माण से प्राकृतिक जल प्रवाह में रूकावट होती है, जिससे आवास खंडित हो जाते है |इससे न केवल डॉल्फिन के लिए उपलब्ध स्थान कम होता है, बल्कि मछलियों की आबादी पर भी असर पड़ता है, जो इनका प्रमुख भोजन है |
3-मछली पकड़ने के जालों में फंसकर डॉल्फिन अक्सर अनजाने में मारी जाती है |यह समस्या विशेष रूप से उन क्षेत्रों में होती है जहाँ मछली पकड़ने की गतिविधियां डॉल्फिन के आवासों से मिलती है |
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