हॉल ही में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के बस्टर्ड रिकवरी प्रोग्राम के तहत, एक ही हफ्ते के भीतर चार ग्रेट इंडियन बस्टर्ड चूजे पैदा हुए |यह सफलता जैसलमेर के सुदासरी प्रजनन केंद्र में कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से प्राप्त की गयी |इस लेख में बस्टर्ड रिकवरी प्रोग्राम क्या है, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के बारे में, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की संरक्षण स्थिति तथा इसके प्रमुख खतरे के विषय में चर्चा करेंगे |
बस्टर्ड रिकवरी प्रोग्राम क्या है-

यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, राज्य वन विभागों,होउबारा बस्टर्ड संरक्षण के लिए अन्तर्राष्ट्रीय कोष तथा NGO भागीदारों के सहयोग से कार्यान्वित किया जा रहा है |
यह प्रोजेक्ट सार्थक संरक्षण परिणाम प्राप्त करने के लिए दीर्घकालिक प्रयासों (15-20 वर्ष) की आवश्यकता पर बल देती है |इस प्रोजेक्ट के निम्नलिखित उद्देश्य है-
1-बाहरी आबादी को सुरक्षित करने के लिए संरक्षण प्रजनन |
2-प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान करने, खतरों का आकलन करने, आबादी की निगरानी करने, आजीविका को समझने तथा आनुवंशिकी का अध्ययन करने के लिए अनप्रयुक्त अनुसन्धान |
3-संरक्षण में सुधार, सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने, हितधारकों को संवेदनशील बनाने तथा बस्टर्ड के अनुकूल भूमि उपयोग को बढ़ावा देने के लिए क्षमता निर्माण करना|
4-अनुकरणीय संरक्षण प्रथाओं को प्रदर्शित करने के लिए पायलट आवास प्रबंधन |
इन बहुआयामी प्रयासों का उद्देश्य बस्टर्ड संरक्षण को बढ़ाना तथा उनके प्राकृतिक आवासों में मानवीय गतिविधियों के साथ स्थायी सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना है|
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के बारें में-
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (अर्डियोटिस निग्रिसेप्स),जिसे स्थानीय रूप से गोडावण भी कहा जाता है, राजस्थान का राज्य पक्षी है तथा इसे भारत का सबसे गंभीर रूप से लुप्तप्राय पक्षी माना जाता है |इसे घास के मैदान की पारिस्थितिकी के स्वास्थ्य का प्रतिनिधित्व करने वाली प्रमुख घास के मैदान की प्रजाति माना जाता है |
इसकी आबादी अधिकतर राजस्थान तथा गुजरात तक ही सीमित है |महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा आंध्रप्रदेश में भी इसकी छोटी आबादी पाई जाती है |
बिजली की लाइनों से टकराने या बिजली लगने, शिकार, आवास के नुकसान तथा व्यापक कृषि विस्तार के परिणामस्वरूप होने वाले परिवर्तनों के कारण यह पक्षी लगातार खतरे में रहता है |
यह एक धीमी गति से प्रजनन करने वाली प्रजाति है |वे कुछ अंडे देते है तथा लगभग एक साल तक चूजों की देखभाल करते है |जो लगभग 3-4 साल में परिपक्व हो जाता है |
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की संरक्षण स्थिति-
1-IUCN की Red List में-गंभीर रूप से संकटग्रस्त |
2-CITES (वन्य जीवों और वनस्पतियों की संकटग्रस्त प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन) की परिशिष्ट 1 में |
3-प्रवासी प्रजातियों पर कन्वेंशन (CMS) की परिशिष्ट 1 में|
4-वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची 1 के तहत इसे शामिल किया गया है |
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के लिए खतरा-
बिजली की लाइनें ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के लिए खतरा पैदा करती है, क्योंकि उनकी सामने की दृष्टि ख़राब होती है तथा शरीर भरी होता है, जिससे वे ठीक से उड़ नहीं पाते है|
कम ऊंचाई पर उड़ने वाले पक्षी होने के कारण वे अक्सर समय पर बिजली की लाइनों का पता लगाने में विफल हो जाते है जिससे घातक टक्करें होती है |
बिजली की लाइनों के पास ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की अधिकांश मौतें बिजली के झटके के बजाए टक्करों से होती है, जिससे ओवरहेड लाइनें संरक्षण के लिए एक बड़ी चिंता बन जाती है |
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