Coral Bleaching:क्या है प्रवाल और प्रवाल विरंजन ?

यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के अनुसार, ओशियन हीट (समुद्र का तापमान बढ़ने) के कारण विश्व स्तर पर प्रवाल विरंजित और नष्ट हो रहे है, जो चौथी वैश्विक सामूहिक प्रवाल विरंजन घटना है |इस लेख में प्रवाल क्या है, प्रवाल विरंजन से संबंधित जानकारी पर चर्चा करेंगे |

इस लेख में-

1-प्रवाल क्या है |

2-प्रवालों के विकास के लिये आवश्यक परिस्थितियां |

3-प्रवाल विरंजन क्या है |

4-वैश्विक सामूहिक प्रवाल विरंजन |

5-भारत में प्रवाल |

6-प्रवालों की आकृति |

7-प्रवाल भित्तियों का महत्व |

प्रवाल क्या है-

यह आनुवंशिक रूप से समान जीवों से बने होते है, जिन्हें पॉलीप्स कहा जाता है |इन पॉलीप्स में ज़ोंक्सांथेला नामक सूक्ष्म शैवाल उनके ऊतकों के भीतर रहते है |प्रवाल तथा शैवाल का परस्पर संबंध है |प्रवाल ज़ोंक्सांथेला को प्रकाश संश्लेषण के लिये आवश्यक यौगिक प्रदान करता है |बदलें में, ज़ोंक्सांथेला प्रवाल को कार्बोहाइड्रेट जैसे प्रकाश संश्लेषण के कार्बनिक उत्पादों की आपूर्ति करता है |इनका उपयोग प्रवाल पॉलीप्स द्वारा उनके कैल्शियम कार्बोनेट कंकाल के संश्लेषण के लिये किया जाता है |प्रवालों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करने के अलावा, ज़ोंक्सांथेला प्रवालों को सुन्दर रंग प्रदान करता है|

प्रवाल एक सूक्ष्म सागरीय जीव है |ये जीव सामूहिक रूप से निवास करते है |प्रवाल अपने शरीर से कैल्शियम कार्बोनेट स्राव करते है, जिसके द्वारा बाह्य कठोर कंकाल का निर्माण होता है |इससे उनके कोमल शरीर की रचना होती है |

प्रवालों के विकास के लिये आवश्यक परिस्थितियां-

1-तापमान-

20-24 डिग्री सेल्सियस |यही कारण है कि प्रवाल उष्णकटिबंधीय सागरों में महाद्वीपों के पूर्वी तट के निकट पाए जाते है |पश्चिमी तट के निकट ठंडी जलधारा के प्रभाव के कारण प्रवालों का अभाव होता है|

2-लवणता-

31% से 37% होनी चाहिए |इस प्रकार स्वच्छ जल तथा अधिक लवणता वाले जल दोनों प्रवाल के लिये हानिकारक होते है |

3-सागरीय नितल की गहराई-

महासागरीय धरातल की गहराई 70 मीटर से कम होनी चाहिए |जूजैकेलाई नामक शैवाल प्रवालों के शरीर के अन्दर निवास करता है |यह प्रवाल को पोषण प्रदान करता है |अधिक गहराई पर पर्याप्त मात्रा में सूर्य के प्रकाश के अभाव में शैवाल जीवित नहीं रह सकते है |

4-अवसाद रहित जल |

प्रवाल विरंजन क्या है-

Coral Bleaching:क्या है प्रवाल और प्रवाल विरंजन ?

जब प्रवालों को तापमान, प्रकाश या पोषक तत्वों जैसी स्थितियों में परिवर्तन के कारण तनाव का सामना करना पड़ता है, तो वे अपने ऊतकों में रहने वाले सहजीवी शैवाल ज़ोंक्सांथेला को बाहर निकाल देते है, जिससे वे पूरी तरह से सफ़ेद हो जाते है |इस घटना को प्रवाल विरंजन कहा जाता है |हल्का सफ़ेद रंग कैल्शियम कार्बोनेट के पारभासी ऊतकों का होता है, जो ज़ोंक्सांथेला उत्पन्न करने वाले वर्णक की क्षति के कारण दिखाई देते है |

विरंजित प्रवाल, विरंजन के स्तर तथा समुद्र के तापमान के सामान्य स्तर पर आने के आधार पर जीवित रह सकते है |

यदि हीट पॉल्यूशन (गर्मी-प्रदूषण) समय पर कम हो जाता है, तो कुछ हफ़्तों में, ज़ोंक्सांथेला प्रवाल में वापस आ सकते है तथा साझेदारी को फिर से शुरू कर सकते है, लेकिन गंभीर विरंजन तथा बाहरी वातावरण में लम्बे समय तक तनाव से प्रवाल नष्ट हो सकते है |इसके निम्न कारण है-

1-भू-मंडलीय तापन |

2-अल-नीनो प्रभाव |

3-महासागरीय प्रदूषण |

पिछले कुछ दशकों में, जलवायु परिवर्तन तथा बढ़ते कार्बन उत्सर्जन और अन्य ग्रीनहाउस गैसों के कारण ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि ने समुद्रों का तापमान सामान्य से अधिक बढ़ा दिया है |

कैरेबियन, भारतीय तथा प्रशांत महासागरों में प्रवालों का विरंजन नियमित आधार पर होता रहा है |

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वैश्विक सामूहिक प्रवाल विरंजन-

Coral Bleaching:क्या है प्रवाल और प्रवाल विरंजन ?

पहला सामूहिक विरंजन-यह वर्ष 1998 में हुआ जब अल नीनो मौसम पैटर्न के कारण प्रशांत महासागर में समुद्री सतह के तापमान में वृद्धि हुई |इस घटना के कारण विश्व के 8% प्रवाल नष्ट हो गये|

दूसरा सामूहिक विरंजन-यह घटना वर्ष 2002 में हुई थी |हालाँकि, पिछले दशक में, बड़े पैमाने पर विरंजन की घटनाओं में समय के साथ तथा अधिक अंतर हो गया है |सबसे लम्बी तथा सबसे हानिकारक विरंजन घटना वर्ष 2014 से वर्ष 2017 तक हुई |

तीसरा सामूहिक विरंजन-वर्ष 2014-17 के मध्य हुई इस घटना ने पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र, उत्तर, दक्षिण-प्रशांत तथा हिन्द महासागर में गुआम की चट्टानों को प्रभावित किया |यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि वर्ष 2017 में वैश्विक तापमान, अब तक दर्ज किये गये तापमान में तीसरा सबसे अधिक था |

भारत में प्रवाल-

भारत में प्रवाल कच्छ की खाड़ी, मन्नार की खाड़ी, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह तथा लक्ष्यद्वीप में पाए जाते है |

प्रवालों की आकृति-

Coral Bleaching:क्या है प्रवाल और प्रवाल विरंजन ?

प्रवालों के कंकालों के एकत्रीकरण तथा संयोजन के कारण एक भित्तिनुमा स्थलाकृति का निर्माण होता है |इसे प्रवाल भित्ति या मूंगे की चट्टान कहा जाता है |

प्रवाल भित्तियों का महत्व-

1-प्रवाल भित्तियों का व्यापक पारिस्थितिक महत्व है |प्रवाल तथा प्रवाल भित्तियां जैव-विविधता के दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होती है |अतः इन्हें उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों का वर्षा वन कहा जाता है |प्रवालों की लगभग 2500 प्रजातियाँ है |प्रवाल भित्तियों में जंतुओं के 34 में से 32 नस्ल पाए जाते है जबकि उष्ण कटिबंधीय वर्षा क्षेत्र में मात्र 9 नस्ल पाए जाते है |

2-प्रवाल भित्तियां मत्स्यन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है |

3-प्रवाल भित्तियां सूनामी तथा तूफानी चक्रों से भी तटीय क्षेत्रों की रक्षा करती है |

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