Senna Spectabilis: जानें क्या है वायनाड वन्यजीव अभयारण्य में सेन्ना स्पेक्टाबिलिस उन्मूलन परियोजना

वायनाड के पर्यावरण संगठनों ने वायनाड वन्यजीव अभयारण्य से 'सेन्ना स्पेक्टाबिलिस' उन्मूलन परियोजना में पारदर्शिता बनांये रखने का आग्रह किया है |यह पौधा नीलगिरी जीवमंडल में वन्यजीव आवास के लिये बड़ा खतरा है |इस लेख में सेन्ना स्पेक्टाबिलिस के बारे में, सेन्ना स्पेक्टाबिलिस उन्मूलन योजना के बारे में चर्चा करेंगे |

Senna Spectabilis: जानें क्या है वायनाड वन्यजीव अभयारण्य में सेन्ना स्पेक्टाबिलिस उन्मूलन परियोजना

सेन्ना स्पेक्टाबिलिस के बारे में-

यह एक विदेशी आक्रामक पौधे की प्रजाति है |यह अमेरिका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की स्थानीय वनस्पति है |या एक पर्णपाती प्रजाति है, जो शीघ्रता से वृद्धि करती है |इस पेड़ की घनी पत्तियां अन्य देशी पेड़ों तथा घास की प्रजातियों की वृद्धि को रोकती है |इस कारण से यह प्रजाति वन्यजीवों, विशेष रूप से शाकाहारी जानवरों के लिये भोजन की कमी का कारण बनती है |इसमें फूल आने के बाद यह हजारों बीज अपने आसपास के क्षेत्र में प्रसारित कर देता है |इसे IUCN रेड लिस्ट के अंतर्गत 'कम चिंतनीय' श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है |

सेन्ना स्पेक्टेबिलिस पश्चिमी घाट में वायनाड वन्यजीव अभयारण, नीलगिरी बायोस्फीयर रिज़र्व, बांदीपुर, नागरहोल, मुदुमलाई, सत्यमंगलम बाघ अभयारण्य तथा पश्चिमी घाट के अन्य भाग में फ़ैल गई है |

सेन्ना स्पेक्टाबिलिस उन्मूलन योजना के बारे में-

यह परियोजना इस विदेशी आक्रामक पौधे को खत्म करने के लिये प्रबंधन योजना है |इस योजना में पेड़ के भूदृश्य-स्तर प्रबंधन की परिकल्पना की गई है |गौरतलब है कि उन्मूलन परियोजना के अंतर्गत बड़े पेड़-पौधों तथा छोटे पौधों के लिये त्रि-आयामी दृष्टिकोण का उपयोग कर आक्रामक प्रजातियों को हटाया जाता है |त्रि-आयामी दृष्टिकोण इस प्रकार है-

1-बड़े पेड़ों की छाल को 1.3 मीटर की ऊंचाई पर छीलना चाहिए, एक बार ऐसा हो जाने के बाद, पेड़ को महीने में एक बार देखा जाना चाहिए ताकि छीले गये क्षेत्र में नयी वृद्धि को हटाया जा सके |

2-मध्यम वृद्धि वाले वृक्षों को विशेष रूप से डिज़ाइन किये गये खरपतवार खींचने वाले यंत्रों का उपयोग कर उखाड़ा जाता है |

3-छोटे पौधों को मशीन की सहायता से हटाया जायेगा |

सेन्ना स्पेक्टाबिलिस का पश्चिमी घाट पर प्रभाव-

1-सेन्ना स्पेक्टाबिलिस की घनी पत्तियां अन्य देशी पेड़ों तथा घास की प्रजातियों की वृद्धि को रोकती है |

2-जैव विविधता को कम करती है |

3-ये आक्रामक पौधा होने के कारण पारिस्थितिकी तंत्र संतुलन को बाधित करता है |

4-इन आक्रामक प्रजातियों के कारण जंगलों की वहन क्षमता काफी कम हो जाती है जिससे मानव-पशु संघर्ष में तीव्रता आती है |

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आक्रामक प्रजाति क्या है-

1-आक्रामक प्रजाति वह जीव है जो किसी नयी नये वातावरण में पारिस्थितिकी तंत्र को क्षति पहुंचाता है, जहाँ वहां मूल रूप से नहीं रहता है |

2-ये देशी पौधों तथा जानवरों को विलुप करने, जैव विविधता को कम करने, सीमित संसाधनों के लिये देशी जीवों के साथ प्रतिस्पर्धा करने और आवासों में परिवर्तन करने में सक्षम है |

3-ये जहाज के पानी,आकस्मिक उत्सर्जन तथा अधिकतर लोगों द्वारा किसी क्षेत्र में प्रवेश कर सकते है |

4-भारत में कई आक्रामक प्रजातियाँ है जैसे-चारू मसल, लैंटाना झाड़ियाँ, भारतीय बुलफ्रॉग, कांग्रेस घास, आदि |

5-आक्रामक प्रजातियों के कारण जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है |

वायनाड वन्यजीव अभयारण्य के बारे में-

यह अभयारण्य नीलगिरी बायोस्फीयर रिज़र्व का एक अंग है |इसकी स्थापना 1973 में हुई थी |यह अभयारण्य उत्तर-पूर्व में कर्नाटक के नागरहोल तथा बांदीपुर और दक्षिण-पूर्व में तमिलनाडू के मुदुमलाई के संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क से सटा हुआ है |काबिनी नदी (कावेरी की सहायक नदी) इस अभयारण्य से होकर बहती है |

इस अभयारण्य में दक्षिण भारतीय नाम पर्णपाती वन, पश्चिमी तट अर्द्ध-सदाबहार प्रकार के वन पाये जाते है |

इन वनों में सागौन, नीलगिरी, रबड़, साल, टीक आदि कई प्रकार के वृक्ष तथा अनेक झाडिया पायी जाती है |

यहाँ हाथी, गौर, बाघ, पैंथर, सांभर, चित्तीदार हिरण, बार्किंग डिअर, जंगली सुअर, स्लॉथ बिअर, नीलगिरी लंगूर, बोनट मकॉक, कॉमन लंगूर, जंगली कुत्ता, ऊदबिलाव, मालाबार विशाल गिलहरी आदि कई जीव-जंतु पाए जाते है |

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